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आसोज अमावस्या, BJP और INLD का '6 दिन लंबा वीकेंड' वाला तर्क... जानें- EC ने हरियाणा में चुनाव तारीख बदलने की क्या बताई वजह

हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर मतदान 1 अक्टूबर की जगह 5 अक्टूबर को होगा. सके साथ ही आयोग ने जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनावों की मतगणना की तारीख भी बदल दी. दोनों राज्यों में अब 4 अक्टूबर के बजाय 8 अक्टूबर को वोटों की गिनती होगी. हरियाणा चुनाव की तारीख बदलने को लेकर बीजेपी-INLD ने भी मांग की थी.

हरियाणा चुनाव की तारीख बदल दी गई है हरियाणा चुनाव की तारीख बदल दी गई है
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 31 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 10:34 PM IST

चुनाव आयोग ने शनिवार को हरियाणा चुनाव की तारीख बदलने की घोषणा की. अब राज्य की 90 विधानसभा सीटों पर मतदान 1 अक्टूबर की जगह 5 अक्टूबर को होगा. आयोग ने बताया कि बिश्नोई समुदाय के सदियों पुराने त्योहार को ध्यान में रखते हुए ये फैसला लिया गया है. इसके साथ ही आयोग ने जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनावों की मतगणना की तारीख भी बदल दी. दोनों राज्यों में अब 4 अक्टूबर के बजाय 8 अक्टूबर को वोटों की गिनती होगी. तारीख बदलने को लेकर बीजेपी और INLD, दोनों दल भी मांग कर रहे थे.

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चुनाव आयोग के मुताबिक उसने बिश्नोई समुदाय के मतदान के अधिकार और परंपराओं का सम्मान करने के लिए हरियाणा चुनाव की तारीख बदलने का फैसला किया. बिश्नोई समाज अपने गुरु जम्भेश्वर की याद में 300-400 साल पुरानी प्रथा को मनाते आ रहे हैं. और इस वर्ष आसोज अमावस्या 2 अक्टूबर को पड़ रही है. इसके मद्देनजर चुनाव आयोग को हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीख पुनर्निर्धारित करने के लिए अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा, बीकानेर, राजस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष से एक ज्ञापन प्राप्त हुआ था.

ज्ञापन में उन्होंने कहा था कि पंजाब, राजस्थान और हरियाणा के परिवार गुरु जम्भेश्वर की याद में बीकानेर में वार्षिक उत्सव के लिए 'आसोज' महीने की 'अमावस' पर राजस्थान में अपने पैतृक गांव मुकाम आते हैं. इस वर्ष यह त्यौहार 2 अक्टूबर को है और सिरसा, फतेहाबाद और हिसार में रहने वाले हजारों बिश्नोई परिवार इस दिन राजस्थान की यात्रा करेंगे, जिससे उन्हें अपना मताधिकार नहीं मिल पाएगा.

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बीजेपी-INLD ने दिया था लंबा वीकेंड तर्क

बीजेपी और इंडियन नेशनल लोक दल (आईएनएलडी) की ओर से भी चुनाव आयोग से तारीख बदलने की मांग की गई थी. दोनों दलों ने आयोग से लिखित रूप से अनुरोध करते हुए कहा था कि चुनाव की तारीख (1 अक्टूबर) को आगे बढ़ाया जाए क्योंकि यह तारीख सप्ताहांत, सार्वजनिक छुट्टियों और धार्मिक त्योहारों से टकरा रही है. ऐसे में लोग छुट्टियों का फायदा उठाकर अपने शहर से बाहर जा सकते हैं, जिससे मतदान का प्रतिशत कम हो सकता है. 

हरियाणा भाजपा अध्यक्ष मोहन लाल बडोली ने चुनाव आयोग को लिखे पत्रा में कहा था, "1 अक्टूबर से पहले और बाद में कई छुट्टियां अपनी चिट्ठी में उन्होंने जिक्र किया है कि 28 तारीख को शनिवार और 29 तारीख को रविवार है, 30 को बीच में सोमवार यानी वर्किंग डे है और 1 अक्टूबर मंगलवार को मतदान होगा. जबकि 2 अक्टूबर को गांधी जयंती की छुट्टी है तो 3 अक्टूबर को अग्रसेन जयंती का अवकाश है. ऐसे में 6 दिन का लंबा वीकेंड होने के कारण लोग छुट्टियों पर जा सकते हैं. लोकसभा चुनाव के बाद निर्वाचन आयोग ने कहा था कि हमने इन चुनावों से सबक सीखा है कि भीषण गर्मी में चुनाव और सप्ताहांत में मतदान नहीं कराना चाहिए."

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क्या है आसोज अमावस्या?

आसोज अमावस्या बिश्नोई समाज का एक प्रमुख त्योहार है. यह पर्व सैकड़ों वर्षों से बिश्नोई समाज के संस्थापक गुरु जम्भेश्वर की याद में मनाया जाता है. राजस्थान के बीकानेर में मुकाम नामक गांव में गुरु जम्भेश्वर ने समाधि ली थी. इस जगह को अब मुक्ति धाम कहा जाता है. बिश्नोई समाज में यह धारणा है कि यहां निष्काम भाव से सेवा करने वालों को मोक्ष प्राप्त हो जाता है. मुकाम मंदिर में हर साल दो प्रमुख मेलों का आयोजन किया जाता है. पहला फाल्गुन अमावस्या पर और दूसरा आसोज अमावस्या के दिन. हर साल आसोज अमावस के मौके पर यहां हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के दूरगामी क्षेत्रों से लोग आते हैं और मुक्तिधाम पर माथा टेकते हैं. 

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एक नजर 2019 के विधानसभा चुनाव पर 

पिछली बार यानी 2019 के विधानसभा चुनाव में एक ही चरण में वोट डाले गए थे. तब हरियाणा विधानसभा की सभी सीटों के लिए 21 अक्टूबर 2019 को वोट डाले गए थे. चुनाव नतीजों का ऐलान 24 अक्टूबर को हुआ था. 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में 68.20 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था.

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हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में बीजेपी 36.7 फीसदी वोट शेयर के साथ 40 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. तब कांग्रेस को 28.2 फीसदी वोट मिले थे और पार्टी 31 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही थी. दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) को 14.9 फीसदी वोट शेयर के साथ 10, हरियाणा लोकहित पार्टी को एक फीसदी से भी कम वोट शेयर के साथ एक सीट पर जीत मिली थी.

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