
विधानसभा चुनाव से कुछ ही महीने पहले बिहार में मंत्रिमंडल का विस्तार होने जा रहा है. आज शाम होने जा रहे इस कैबिनेट विस्तार में बीजेपी के सात विधायक मंत्री बनने जा रहे हैं. हालांकि जेडीयू ने आश्चर्यजनक रूप से इस मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल नहीं होने का फैसला किया है. यानी कि इस विस्तार में जेडीयू का भी विधायक मंत्री नहीं बनने जा रहा है.
इस ताजा विस्तार में जाति समीकरण का असर साफ दिख रहा है. जो 7 विधायक मंत्री बनेंगे उनमें से 3 पिछड़ी, 2 अति पिछडी और 2 सवर्ण हैं.
मंत्री बनने वाले विधायकों में दरभंगा से बीजेपी विधायक और वैश्य जाति के संजय सरावगी को मंत्री बनाया जा रहा है. दरभंगा के जाले से विधायक जीवेश मिश्रा को भी मंत्रिमंडल में जगह मिल रही है. नए मंत्रियों में कृष्ण कुमार मंटू, कुर्मी जाति से, मोतीलाल प्रसाद, तेली जाति के, राजू सिंह, राजपूत समुदाय से, विजय कुमार मंडल, केवट समुदाय से और सुनील कुमार, कुशवाहा जाति से हैं.
सवाल है कि चुनाव से ऐन पहले नीतीश सरकार को मंत्रिमंडल विस्तार करने की क्या जरूरत पड़ी?
दरअसल बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार काफी समय से टलता आ रहा था. 11-12 महीनों से इस पर अटकले चलती आ रही थीं. अभी हाल ही में चर्चा हुई कि अब मंत्रिमंडल विस्तार खरमास के बाद होगा.अब खरमास बीते भी डेढ़ महीने हो गए हैं. अब बजट सत्र भी आ गया है. ये मौजूदा सरकार के लिए सबसे बड़ा सत्र होगा. इसके बाद सरकार के लिए ऐसा सत्र कोई होगा नहीं, क्योंकि अक्टूबर-नवंबर में चुनाव होने की संभावना है.
बता दें कि बिहार का बजट सत्र 28 फरवरी से शुरू हो रहा है. इस बजट सत्र में सरकार पूरे दमखम के साथ जाना चाहती है. और एकजुटता प्रदर्शित करना चाहती है.
इसलिए सरकार में ये धारणा है कि अगर मंत्रिमंडल विस्तार में देरी होती है तो मंत्री को काम करने का समय ही नहीं मिल पाएगा. इसलिए सरकार इन 7-8 महीनों का इस्तेमाल नए मंत्रियों को काम करने के लिए देना चाहती है.
आजतक संवाददाता सुजीत झा ने कहा कि ये मंत्रिमंडल विस्तार खरमास से पहले ही हो जाना चाहिए था. लेकिन नीतीश कुमार प्रगति यात्रा पर थे और इस पर चर्चा के लिए समय नहीं मिल पा रहा था. लेकिन जब मंगलवार को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पटना आए और नीतीश से उनकी मुलाकात हुई तो इस पर सहमति बन गई.
उन्होंने कहा कि इस विस्तार में क्षेत्रीय संतुलन का भी ख्याल रखा गया है.दरभंगा से फिलहाल दो लोगों का नाम चल रहा है. अररिया से एक व्यक्ति हैं.
सारण-छपरा से मंटू पटेल को अवसर मिलाा है. गौरतलब है कि 19 फरवरी को मंटू पटेल ने बड़ी कुर्मी रैली का आयोजन किया था और अपनी ताकत दिखाई थी.
बिहार में कुर्मी को जेडीयू का वोट माना जाता है लेकिन बीजेपी ने इस बार कुर्मी मंटू पटेल को मंत्री पद का मौका दिया है. सम्राट चौधरी के रूप में कुशवाहा समुदाय का नेतृत्व पहले से ही मंत्रिमंडल में है लेकिन एक और कुशवाहा सुनील कुमार को मौका दिया गया है. इस तरह से बीजेपी ने 'लव'-'कुश' दोनों को साधने की कोशिश की है.
जेडीयू का मंत्री क्यों नहीं बन रहा
सवाल यह भी उठ रहा है कि इस मंत्रिमडंल विस्तार में जेडीयू के विधायक मंत्री क्यों नहीं बन रहे हैं. दरअसल विधानसभा पार्टियों के सदस्यों की संख्या के लिहाज से जेडीयू का कोटा पहले से ही भरा है. जेडीयू के 45 विधायकों के आधार पर जितने मंत्री बन सकते थे. ये आंकड़ा पहले ही पूरा हो चुका है. इसकी संख्या 13 है. इसलिए जब सीएम नीतीश कुमार और जेपी नड्डा के बीच मंत्रिमंडल विस्तार पर चर्चा हुई तो नीतीश ने ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई और नीतीश ने खाली मंत्रियों की संख्या भरने पर हरी झंडी दे दी.
इसके बाद जेपी नड्डा ने बीजेपी कोर कमेटी की मीटिंग की और मंत्री बनाए जाने वाले विधायकों के नाम पर चर्चा की. इस पर सहमति बनने के बाद आज मंत्रिमंडल विस्तार को हरी झंडी दे दी गई.