
बिहार चुनाव 2025 के करीब आते ही राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. हर चुनाव की तरह इस बार भी यह सवाल उठ रहा है कि प्रमुख मुद्दे क्या होंगे- जाति, धर्म, आरक्षण या विकास? बिहार की राजनीति लंबे समय से जातिगत समीकरणों और गठबंधनों के इर्द-गिर्द घूमती रही है, लेकिन बदलते समय के साथ जनता की प्राथमिकताएं भी बदली हैं. रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं और बुनियादी ढांचे का विकास अब लोगों के बीच चर्चा का विषय बन रहा है. इन्हीं सब मुद्दों पर पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव से आजतक ने खास बातचीत की.
क्या इस बार बिहार का चुनाव विकास पर केंद्रित होगा? पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव का मानना है कि देश में कभी भी विकास को मुख्य मुद्दा बनाकर चुनाव नहीं लड़ा गया. उन्होंने कहा कि हमें तो नहीं लगता इस देश में कभी विकास में चुनाव होगा ना कभी हुआ. मनमोहन सिंह जी के समय एक बार विकास की बात आई थी. उसके बाद जो मैं समझता हूं, लंबे समय से मंडल कमंडल पर चुनाव होता है. चुनावों में हमेशा जाति, धर्म, आरक्षण, पुलवामा, डीएनए, हिंदू-मुस्लिम जैसे विषयों को प्राथमिकता दी जाती है.
मार्केटिंग का खेल बन गया चुनाव: पप्पू यादव
उन्होंने कहा कि चुनाव अब मुद्दों की बजाय मार्केटिंग का खेल बन चुका है. जिसके पास ज्यादा पैसा होगा, वही बेहतर प्रचार करेगा और चुनाव में बढ़त बनाएगा. चुनाव का तो कोई मतलब रह नहीं गया. जो जितना अच्छा मार्केटिंग करेगा, जिनके पास जितने ज्यादा पैसे होंगे, ज्यादा खर्च करेंगे, चुनाव में लगभग लोग उसको टिकट दे रहे हैं. साउथ में 2000, तीन हजार 4000 करोड़ वाले लोग चुनाव लड़ते हैं.
पप्पू यादव ने कहा कि नीतीश कुमार अस्वस्थ जरूर हैं, लेकिन वह अभी भी बिहार की राजनीति में प्रासंगिक हैं. बीजेपी अकेले चुनाव लड़कर देख ले तो पता चल जाएगा. INDIA गठबंधन कांग्रेस के बिना चुनाव लड़कर देख ले. जो आदमी संघर्ष नहीं करता है, बिहार को नहीं जानता है वह कैसे चुनाव लड़ेगा. अरविंद केजरीवाल बिना संघर्ष करके आए और मार्केटिंग की. लोगों को बड़े-बड़े सपने दिखाए और अब गायब हो गए. आजकल खैरात और लोगों को लुभाने पर चुनाव लड़ा जा रहा है. अब बिना फ्री के चुनाव नहीं लड़ा जा रहा है. यदि मुद्दों पर और व्यक्ति पर चुनाव होता तो इन फ्री की क्या जरूरत पड़ती?
बाबा बागेश्वर पर भड़के पूर्णिया सांसद
बाबा बागेश्वर की राजनीतिक भूमिका पर पूछे गए सवाल के जवाब में पप्पू यादव ने कहा, "जिस लड़के (धीरेंद्र शास्त्री) की बात आप कर रहे हैं, उसको हिंदुत्व और सनातन के बारे में क्या ही पता. सनातन का मतलब है दूसरों के विचारों का सम्मान करना, दूसरों की आजादी, दूसरों की खुशियों को ढूंढना, दूसरों को मुस्कुराने का अवसर देना. सनातन का मतलब है वसुदेव. सब एक हैं, सब का खून एक है. हमारे ही खून से कोई बहुत को बौद्ध धर्म को अपनाया, कोई इस्लाम को अपनाया. मैं किसी का विरोधी नहीं हूं. लेकिन कोई आदमी यह कहे कि हमको जो छेड़ेगा, हम छोड़ेंगे नहीं. वो अपने को हाथी से तुलना करते हैं. कोई संत ऐसी प्रवृत्ति का नहीं होता है, बिच्छू काटता है तो उसको माफ कर देता है. संत किसी पर प्रतिक्रिया नहीं देता है. संत हमेशा साधना संगत है. संत बेहतर मानवीय मूल्यों की बात करता है, सबको लेकर चलने की बात करता है. ये हमेशा गाली और नफरत की बात करते रहते हैं. इनको साउथ में जाकर ऐसी बात करनी चाहिए."
हरियाणा, महाराष्ट्र और अब दिल्ली में जीतने वाली बीजेपी की बिहार में स्थिति पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा को जीत नहीं मिल रही, बल्कि विपक्ष हार रहा है. जनता और वोटों की स्थिति को देखें तो हरियाणा और दिल्ली में किस तरह जीते हैं, उसे देखने की जरूरत है. अब तक बिहार के लिए इन्होंने कोई विशेष पैकेज की घोषणा नहीं की है. पलायन पर, यहां फैक्ट्री लगाने पर कोई बात नहीं की. सबसे ज्यादा यहां की फैक्ट्री बंद हैं. बिहार के कई जिलों में मक्का, मखाना और दूध का सबसे अधिक उत्पादन होता है, लेकिन सरकार ने कभी इसे बढ़ावा देने की कोशिश नहीं की.
क्षेत्रीय दलों को खत्म करने का बीजेपी पर आरोप
पप्पू यादव ने आरोप लगाया कि बीजेपी धीरे-धीरे क्षेत्रीय दलों को खत्म करने की रणनीति अपना रही है. उन्होंने कहा कि बिहार की राजनीति बदलाव चाहती है, लेकिन जनता के सामने कोई ठोस विकल्प नहीं दिखता. लालू यादव और नीतीश कुमार लंबे समय से सत्ता में रहे हैं, जिससे जनता एक नए नेतृत्व की तलाश में है. नीतीश कुमार 20 साल रहे. वो बहुत अच्छे आदमी हैं. पोलिटिकल क्रेडिबिलिटी भले ही कमजोर पड़ गई हो. उम्र के कारण अस्वस्थ हो गए हों. लेकिन इन पर बीजेपी का असर कभी नहीं पड़ता. बीजेपी ने इनको खूब गालियां दीं, बीजेपी खत्म करना चाहती थी. लेकिन हर परिस्थिति में वह डटे रहे. बीजेपी इनका इस्तेमाल कर रही है. बीजेपी को लगता है कि नरेंद्र मोदी ने जिस तरीके से चेंद्रबाबू नायडू को खत्म कर दिया, जैसे दिल्ली में सत्ता खत्म की, शिंदे को खत्म किया,आडवाणी जी को खत्म किया, महबूबा मुफ्ती को खत्म किया, हरियाणा में दुष्यंत चौटाला को खत्म किया. चिराग पासवान को खत्म किया. इसी तरह नीतीश कुमार का इस्तेमाल करके बीजेपी अकेले अपने दम पर सरकार बनाना चाहती है.