
बिहार में चुनावी साल है और राजनीतिक दल अपने समीकरण बनाने में जुट गए हैं. राज्य में कुल 243 सीटें हैं और दो बड़े गठबंधन हैं. जेडीयू के नेतृत्व वाला एनडीए सत्ता में है और आरजेडी, कांग्रेस के नेतृत्व वाला महागठबंधन विपक्ष में है. दोनों ही अलायंस में कुल 10 पार्टियां हैं. जबकि कई दल ऐसे हैं, जो अपने इलाकों में खासे सक्रिय हैं और प्रभाव रखते हैं. इनमें प्रशांत किशोर, पुष्पम प्रिया, असदुद्दीन ओवैसी और आरसीपी सिंह की पार्टी प्रमुख है. ये नेता ना तो लालू यादव-कांग्रेस और ना नीतीश-बीजेपी के खेमे में हैं.
कहा जा सकता है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में इन नेताओं की पार्टियां तीसरे मोर्चे के रूप में उभर रही हैं, जो पारंपरिक गठबंधनों से अलग अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रही हैं. ये दल स्वतंत्र रूप से अपनी राजनीतिक गतिविधियों में लगे हैं.
2020 में कितनी पार्टियों ने लड़ा चुनाव?
बिहार में 2020 के विधानसभा चुनाव में 212 पार्टियों ने हिस्सा लिया था. जबकि 2024 के लोकसभा चुनाव में 96 पार्टियां मैदान में उतरी थीं. हालांकि, 2020 के विधानसभा चुनाव में दर्जनों पार्टियां ऐसी थीं, जिन्होंने सिर्फ एक-एक सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. कई पार्टियों ने 2, 3, 4, 5, 6 उम्मीदवारों को टिकट दिए थे.
बिहार में अभी किसके कितने विधायक?
बिहार में अभी एनडीए की सरकार है. 2020 के चुनाव में एनडीए ने 125 और महागठबंधन ने 110 सीटें जीती थीं. वर्तमान में एनडीए के खेमे में 129 विधायक हैं. बीजेपी के 80, जेडीयू के 45 और जीतनराम मांझी की HAM पार्टी के 4 विधायक हैं. वहीं, विपक्ष के पास 107 विधायक हैं. आरजेडी के 77, कांग्रेस के 19 और CPI (ML) के 11 विधायक हैं. बहुमत के लिए 122 विधायक होना जरूरी है.
एनडीए में कौन-कौन?
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), जनता दल (यूनाइटेड), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम), लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) का नाम प्रमुख है.
महागठबंधन में कौन-कौन?
राष्ट्रीय जनता दल (राजद), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अलावा वामपंथी दलों में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन का नाम प्रमुख है. गठबंधन में मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी का नाम भी शामिल है.
कौन-कौन पार्टियां किसी गठबंधन में नहीं हैं?
बहुजन समाज पार्टी (BSP), आम आदमी पार्टी, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM), जन सुराज पार्टी, प्लूरल्स पार्टी, आप सबकी आवाज, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का नाम प्रमुख है.
तीसरे मोर्चे का चुनाव में क्या प्रभाव
जन सुराज पार्टी: चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर ने सबसे पहले 'जन सुराज अभियान' की शुरुआत की है और पूरे राज्य में पदयात्रा की. उसके बाद 2 अक्टूबर 2024 को राजनीतिक दल का ऐलान किया. जनसुराज पार्टी ने अपना चुनावी पदार्पण नवंबर 2024 में बिहार की चार विधानसभा सीटों इमामगंज, बेलागंज, रामगढ़, और तरारी के उपचुनावों में किया. इन चुनावों में पार्टी के सभी चारों उम्मीदवार हार गए. तीन उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. तीन सीटों पर पार्टी तीसरे स्थान पर रही. जबकि रामगढ़ में चौथे स्थान पर रही. इन उपचुनावों में पार्टी को कुल मिलाकर लगभग 66,000 वोट मिले. पार्टी के प्रदर्शन पर प्रशांत किशोर ने कहा, हमारी नवगठित पार्टी ने चारों सीटों पर करीब 10% वोट हासिल किए. उन्होंने यह भी कहा, आगामी बिहार विधानसभा चुनावों के लिए उनके पास तैयारी के लिए पर्याप्त समय है.
जन सुराज पार्टी अभी अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने में जुटी है और बिहार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रही है. पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बिहार के जिलों का दौरा किया है और संगठन को खड़ा करने के लिए ताकत झोंकी है. पार्टी एक मजबूत राजनीतिक विकल्प के रूप में सामने आने की कोशिश कर रही है.
AIMIM: 2020 के चुनाव में AIMIM का प्रदर्शन सीमांचल में मजबूत रहा. लेकिन विधायकों के दल-बदल के कारण पार्टी की विधानसभा में उपस्थिति कमजोर हो गई. बिहार में AIMIM को मुख्य रूप से मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन हासिल होता है, लेकिन सीमांचल से बाहर इसकी पकड़ कमजोर है. AIMIM के 2025 चुनावों में क्या रणनीति होगी, यह देखने योग्य होगा.
2020 के विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारे. 5 सीटों पर जीत मिली और 4 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार तीसरे नंबर पर आए. जिन सीटों पर जीत मिली, उनमें अमौर से अख्तरुल इमान, जोकीहाट से शाहनवाज आलम, बहादुरगंज से अनजार नईमी, कोचाधामन से मुश्ताक आलम और बैसी से अब्दुल सुब्हान का नाम शामिल है.
2020 में AIMIM ने कुल 5,23,279 वोट हासिल किए थे. यानी 1.3 फीसदी वोट शेयर रहा. सभी सीटें सीमांचल क्षेत्र (कटिहार, किशनगंज, अररिया और पूर्णिया) में थीं, जहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है. हालांकि, जून 2022 में ओवैसी की पार्टी को झटका लगा और चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए. अभी पूर्णिया जिले की आमौर सीट से अख्तरुल इमान पार्टी के विधायक हैं. इमान पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष हैं.
प्लूरल्स पार्टी: इस पार्टी की स्थापना 2020 में पुष्पम प्रिया चौधरी ने की. पुष्पम प्रिया लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातकोत्तर हैं. पार्टी ने 2020 के विधानसभा चुनावों में हिस्सा लिया, जिसमें पुष्पम प्रिया स्वयं बांकीपुर सीट से उम्मीदवार थीं. हालांकि, उन्हें सफलता नहीं मिली. 2024 में पुष्पम प्रिया ने राज्य में सत्ता परिवर्तन के लिए मुहिम चलाई और बोधगया से 'महायान यात्रा' शुरू की. पुष्पम प्रिया सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर खासी एक्टिव देखी जाती हैं.
2020 के चुनाव में पुष्पम प्रिया की पार्टी ने 102 सीटों पर उम्मीदवार उतारे. सिर्फ तीन सीटों पर यह पार्टी तीसरे स्थान पर आई. पार्टी को पूरे राज्य में 1,22,997 वोट मिले. यानी 0.3% वोट शेयर रहा. बांकीपुर से पुष्पम प्रिया को 5,189 वोट मिले. जबकि बीजेपी के नितिन नबीन को 83,068 वोट मिले. दूसरे नंबर पर कांग्रेस के लव सिन्हा को 44,032 वोट मिले थे. प्लूरस पार्टी को बेतिया सीट पर 1,559 और मुजफ्फरपुर सीट पर 3522 वोट मिले थे.
आप सबकी आवाज: बिहार की राजनीति में यह नवगठित पार्टी है. इसकी स्थापना पूर्व केंद्रीय मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह ने 31 अक्टूबर 2024 को की. बिहार की राजनीति में आरसीपी सिंह प्रमुख चेहरे माने जाते हैं. एक समय वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी सहयोगी के तौर पर गिने जाते थे और जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं.
आरसीपी ओबीसी समुदाय की कुर्मी जाति से आते हैं. बिहार में कुर्मी समाज को प्रभावशाली माना जाता है. आरसीपी को भी कुर्मी मतदाताओं के बीच समर्थन हासिल है. वे नालंद जिले से आते हैं. उनका जन्म वहां मुस्तफापुर गांव में हुआ. यह जिला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह क्षेत्र भी है. नालंदा में उनकी मजबूत पकड़ और प्रभाव माना जाता है. आरसीपी सिंह 2010 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर जद(यू) में शामिल हुए. उन्होंने पार्टी संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 2020 में राष्ट्रीय अध्यक्ष बने.
आरसीपी सिंह केंद्रीय इस्पात मंत्री के रूप में भी कार्यरत रहे हैं. हालांकि, 2022 में राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद उन्हें दोबारा पार्टी ने मौका नहीं दिया, जिससे उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा. पार्टी से मतभेदों के चलते उन्होंने अगस्त 2022 में जद(यू) से इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद मई 2023 में वे बीजेपी में शामिल हो गए. हालांकि, बाद में जब जेडीयू ने महागठबंधन छोड़ा और एनडीए में वापसी की तो आरसीपी की बीजेपी से दूरियां बढ़ने लगीं.
अक्टूबर 2024 में उन्होंने नई पार्टी की स्थापना की और उसे 'आप सबकी आवाज़' नाम दिया. ये पार्टी राष्ट्रीय, राज्य, जिला, प्रखंड और पंचायत स्तर तक संगठनात्मक रूप से मजबूत होने में लगी है. वर्तमान में पार्टी बूथ स्तर पर कमेटियां गठित कर रही है और मतदाता जागरूकता अभियान चला रही है. पार्टी ने 2025 के विधानसभा चुनाव में 140 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है.
चूंकि पार्टी हाल ही में स्थापित हुई है, इसलिए अभी तक इसका कोई चुनावी प्रदर्शन नहीं रहा है. आगामी चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन और बिहार की राजनीति में उसकी भूमिका भविष्य में स्पष्ट होगी.