
बीजेपी के पूर्व सांसद और अब कालकाजी सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी ने कांग्रेस की सीनियर नेता और सांसद प्रियंका गांधी के खिलाफ एक विवादास्पद बयान दिया है. रमेश बिधूड़ी अपने लंबे राजनीतिक करियर में पहली बार कालकाजी से दांव आजमा रहे हैं, पहले भी वह कई बार विधानसभा जा चुके हैं, लेकिन पड़ोस की तुगलकाबाद सीट से. जहां के वह मूल निवासी भी हैं. इस बार नई पिच पर बैटिंग करने के लिए उतरे बिधूड़ी ने टिकट की घोषणा होने के अगले दिन ही प्रियंका गांधी से जुड़ा बयान दे दिया.
रमेश बिधूड़ी जानते हैं कि कालकाजी सीट बेशक मुश्किल हो, लेकिन उन्होंने इस सीट पर लड़ने के लिए खुद इच्छा जाहिर की थी. यहां से हारने की हालत में उनका राजनीतिक भविष्य चौपट हो सकता है, चुनाव जीतने की संभावना तभी बेहतर हो सकती है जब आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में बीजेपी विरोधी वोटों का बंटवारा हो जाए. प्रियंका गांधी कांग्रेस की बड़ी नेता हैं और इसलिए बिधूड़ी का बयान एक सियासी दांव हो सकता है कि इस विवादास्पद बयान के बहाने न सिर्फ मीडिया कवरेज हासिल हो, बल्कि कांग्रेस के चुनाव प्रचार को भी मजबूती मिले. बिधूड़ी दो मजबूत महिला उम्मीदवारों के खिलाफ भी किस्मत आजमा रहे हैं, इसलिए हो सकता है कि महिला विरोधी बयान के बहाने वह महिला वोटों का भी बंटवारा करने की सोच रहे हों. साथ ही इस बयान पर विरोधी दल उनको जितना ज्यादा घेरेंगे, उतना ही वह कालकाजी में बतौर उम्मीदवार स्थापित हो पाएंगे.
क्या था बिधूड़ी का विवादित बयान?
रमेश बिधूड़ी ने कालकाजी इलाके में बीजेपी के एक कार्यक्रम में कहा कि कालकाजी की सड़कों को प्रियंका गांधी के गालों जैसा बना देंगे. उनके इस विवाद के बाद सियासी पारा गरमा गया है. बिधूड़ी के बयान पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी हमलावर है.
विवाद बढ़ा सकता है बिधूड़ी की मुश्किलें!
विवाद और रमेश बिधूड़ी का काफी पुराना रिश्ता रहा है, पिछले साल की ही बात है जब बिधूड़ी की भाषा को लेकर लोकसभा में गंभीर सवाल उठे थे. कालकाजी विधानसभा में अच्छी खासी आबादी पढ़े-लिखे लोगों की है और अपनी भाषा के चलते लगातार विवादों में रहने वाले बिधूड़ी के लिए प्रियंका गांधी के खिलाफ दिया गया बयान नुकसानदेह भी साबित हो सकता है, इसके अलावा वह कालकाजी विधानसभा के लिए नए उम्मीदवार जरूर हैं, लेकिन कालकाजी दक्षिणी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. जहां से बिधूड़ी लगातार दो बार सांसद रहे हैं. ऐसे में अगर कालकाजी में खराब सड़कों का मुद्दा रमेश बिधूड़ी उठा रहे हैं तो कहीं ना कहीं उनके अपने सांसद के तौर पर कामकाज पर भी सवाल खड़ा होता है. इसलिए अनचाहे विवाद उन्हें आगे बढ़ाने की बजाय पीछे भी ले जा सकते हैं. खासतौर पर तब, जब बीजेपी महत्वपूर्ण दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले महिला विरोधी नहीं दिखना चाहेगी और बिधूड़ी के बयान को पार्टी के अंदर समर्थन मिले इसकी उम्मीद भी कम है.
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क्या कांग्रेस को चुनावी नैरेटिव में लाना रणनीति?
दिल्ली के चुनाव इस बार कई मायनों में अहम हैं, जहां अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी दिल्ली में हैट्रिक बनाने की तैयारी कर रही है, वहीं भाजपा के सामने चुनौती है कि किस तरीके से केजरीवाल के विजय रथ को रोका जा सके. बीजेपी को मालूम है कि बिना कांग्रेस को सीन में लाए उसकी जीत मुश्किल होने वाली है, पिछले दो चुनावों में यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि जब-जब बीजेपी और आम आदमी पार्टी में सीधा मुकाबला हुआ है, तब-तब बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी है. हालांकि इस बार अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी सरकार के खिलाफ 10 साल की एंटी-इनकंबेंसी भी है, इसलिए बीजेपी को लगता है कि यह सबसे बेहतर मौका है जब दिल्ली की सत्ता हासिल करने के लिए वह 1993 के बाद कोई चुनाव जीत पाए, इसलिए कांग्रेस को मुख्य मुकाबले में लाकर जीत हासिल करना बीजेपी का प्लान बी हो सकता है.
बिधूड़ी ने क्यों छोड़ी परंपरागत सीट?
कालकाजी सीट पर रमेश बिधूड़ी दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और कांग्रेस की तेजतर्रार नेता अलका लांबा से भिड़ रहे हैं, अपनी तुगलकाबाद की परंपरागत सीट छोड़ने की वजह ये भी रही कि 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में रमेश बिधूड़ी के भतीजे विक्रम बिधूड़ी इस सीट पर आम आदमी पार्टी के सहीराम पहलवान से हार गए. तब रमेश बिधूड़ी साउथ दिल्ली से सांसद हुआ करते थे. अपने रसूख के बावजूद वह अपने भतीजे को चुनाव नहीं जिता पाए, इसलिए इस बार तुगलकाबाद सीट को उन्होंने अपने लिए सेफ नहीं समझा.