
दिल्ली विधानसभा चुनाव का दंगल सज गया है. आम आदमी पार्टी ने जहां सभी कैंडिडेट्स के नाम का ऐलान कर दिया है, वहीं कांग्रेस ने 2 लिस्ट जारी कर कुछ सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है, लेकिन इस मामले में बीजेपी थोड़ी पीछे नजर आ रही है. भाजपा अभी भी अपने उम्मीदवारों के चयन पर विचार कर रही है. भाजपा के उम्मीदवारों की लिस्ट में देरी की कई वजहें हो सकती हैं. आइए इस पर सिलसिलेवार तरीके से जानते हैं...
जिताऊ कैंडिडेट को लेकर मंथन
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद दिल्ली में बीजेपी को हर सीट से कई उम्मीदवारों के आवेदन मिले. पार्टी सूत्रों के अनुसार लगभग हर विधानसभा क्षेत्र से 30 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए. किरारी और बुराड़ी विधानसभा सीटों से क्रमशः 35 और 38 आवेदन आए हैं कुल मिलाकर पार्टी को अबतक 2100 से ज्यादा एप्लीकेशन मिल चुके हैं.
आंतरिक मतभेद टालने की कोशिश
बीजेपी यह सुनिश्चित करना चाहती है कि विद्रोही उम्मीदवार पार्टी के आधिकारिक प्रत्याशियों की संभावनाओं को नुकसान न पहुंचाएं. इसलिए पार्टी विद्रोहियों को सीमित समय देना चाहती है.
AAP के दबाव में नहीं आएगी बीजेपी
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी किसी भी दबाव में नहीं आएगी. हमारे पास आंतरिक प्रक्रिया है जो उम्मीदवारों के चयन को तय करती है. एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 5 जनवरी की रैली के बाद केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) बैठक में उम्मीदवारों का चयन होगा.
खरमास का असर
बीजेपी 'खरमास' के दौरान कोई बड़ा निर्णय नहीं लेती. ये अवधि हिंदू पंचांग के अनुसार अशुभ मानी जाती है और 14 जनवरी को समाप्त होती है. इसलिए पार्टी की पहली सूची 14 जनवरी के बाद आने की संभावना है.
विकास पर जोर
बीजेपी दिल्ली में विकास को केंद्र में रखकर अपनी रणनीति बना रही है, पार्टी उन योजनाओं पर फोकस कर रही है, जिनकी घोषणा आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी 3 जनवरी को दिल्ली के अशोक विहार स्थित स्वाभिमान अपार्टमेंट में पुनर्वास परियोजना के तहत झुग्गी झोपड़ी (जेजे) क्लस्टर के निवासियों के लिए नवनिर्मित फ्लैटों का उद्घाटन करेंगे. इसके बाद प्रधानमंत्री दिल्ली में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे.
उम्मीदवारों के प्रदर्शन का मूल्यांकन
पार्टी के सूत्रों ने बताया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के तुरंत बाद पार्टी ने टिकट चाहने वालों से किसी खास निर्वाचन क्षेत्र से टिकट हासिल करने के लिए कुछ क्षेत्रों पर काम करने को कहा. सूत्रों ने बताया कि पार्टी ने इच्छुक उम्मीदवारों से एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है. पार्टी अब टिकट चाहने वालों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्टों का विश्लेषण कर रही है.
कांग्रेस के मजबूत उम्मीदवारों पर ध्यान
भाजपा के सूत्रों ने बताया कि कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस ने मजबूत उम्मीदवारों की घोषणा की है, यही वजह है कि भाजपा को इन सीटों पर फिर से रणनीति बनानी पड़ी. उदाहरण के लिए, नई दिल्ली से संदीप दीक्षित, बल्लीमारान से हारून यूसुफ, सुल्तानपुर से जय किशन और चांदनी चौक से मुदित अग्रवाल. कांग्रेस अब आतिशी के खिलाफ अलका लांबा को उम्मीदवार बनाने पर विचार कर रही है. भाजपा के सूत्रों ने कहा कि अगर कांग्रेस के पास मजबूत उम्मीदवार हैं, तो इससे अंततः भाजपा को फायदा होगा. इसलिए बीजेपी किसी खास सीट पर मजबूत उम्मीदवार उतारकर जोखिम नहीं उठाएगी, जहां कांग्रेस किसी दिग्गज को टिकट दे रही है.
नई दिल्ली विधानसभा सीट पर चर्चा
सूत्रों ने कहा कि नई दिल्ली सीट से पूर्व बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा की उम्मीदवारी को भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने मंजूरी दे दी थी, लेकिन अरविंद केजरीवाल के निर्वाचन क्षेत्र से संदीप दीक्षित को कांग्रेस उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद भाजपा ने इस सीट पर फिर से रणनीति बनानी शुरू कर दी है.
वोट शेयर बढ़ाने पर जोर
पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में भाजपा को लगातार 30 प्रतिशत वोट शेयर मिलता रहा है, लेकिन उसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी AAP को 45 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर मिलता है और वह सरकार बनाती है. भाजपा के सूत्रों ने बताया कि जो लोग पहले कांग्रेस को वोट देते थे, वे अब आम आदमी पार्टी को वोट देने लगे हैं. ऐसे में बीजेपी जातिगत समीकरण पर काम कर रही है और किसी विशेष निर्वाचन क्षेत्र में बदलते समीकरणों के अनुसार उम्मीदवार बदल रही है. पार्टी का फोकस झुग्गी-झोपड़ी, दलित और एससी/एसटी तथा ओबीसी समुदाय के लोगों पर है.