
दिल्ली में जहां चुनावों की तारीखों का ऐलान हो गया है तो वहीं राजधानी में बंगले पर बवाल है. इस मुद्दे पर सियासी उबाल है. मेरा बंगला-तेरा बंगला की इस पॉलिटिक्स में पहले सांसद संजय सिंह और मंत्री सौरभ भारद्वाज उस बंगले के तक गए जहां पहले अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री के तौर पर रहते थे. मकसद था मीडिया को अंदर ले जाकर ये दिखवाना कि बीजेपी के आरोपों का सच क्या है. कारण, बीजेपी इसी बंगले में आलीशान निर्माण को लेकर सवाल उठाती है. लेकिन पुलिस ने भीतर जाने नहीं दिया.
जब मुख्यमंत्री आतिशी कहती हैं कि उनका बंगला छीना जा रहा है तो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के आतिशी के आवास पर खड़े होकर कहते हैं कि बताइए कहां किसका घर छीना जा रहा है. वहीं आम आदमी पार्टी के नेता पीएम आवास तक जब सियासत को ले जाना चाहते हैं तो बंगला राजनीति में श्मशान-कब्रगाह वाले शब्दों के बाण तक चलने लगे.
दरअसल, मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए आतिशी ने कहा, 'बीजेपी ने तीन महीने में दूसरी बार मेरा आवास मुझसे छीन लिया. बीजेपी को लगता है कि घर छीनने से, हमारे साथ गाली-गलौच करने से, हमारे परिवार के साथ निचले स्तर की बातें करने से वो दिल्ली वालों के लिए काम रोक देंगे. मैं दिल्ली वालों को बताना चाहती हूं कि घर छीनने से काम रुकेंगे नहीं. जरूरत पड़ी तो दिल्लीवालों के घर में जाकर रहूंगी और दोगुने जज्बे से काम करूंगी.'
रेनोवेशन के नाम पर करोड़ों खर्च करने का आरोप
दिल्ली की जनता मुख्यमंत्री को सरकारी आवास देती है और उसको वापस भी ले लेती है. मुख्यमंत्री का आवास अस्थाई घर होता है. ऐसे में बीजेपी का आरोप है कि इसी घर में अरविंद केजरीवाल ने बतौर मुख्यमंत्री करोड़ों रुपये रेनोवेशन के नाम पर खर्च कर दिए. जो पैसा खर्च हुआ वो जनता का था. इसी पर लंबे समय से आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. वहीं अब जब दिल्ली का चुनाव नजदीक है तो सीएम के बंगले पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है.
राजधानी में बंगला सियासत तेज
बुधवार को आम आदमी पार्टी के नेता मीडिया के सामने सीएम आवास पर पहुंचकर सवाल करते हैं तो दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मुख्यमंत्री आतिशी के घर के बाहर पहुंचकर मीडिया के सामने सवाल करते हैं कि सीएम क्यों सच छिपाती हैं. आतिशी को बंगले वाली देवी तक वीरेंद्र सचदेवा कहते हैं. दिल्ली की बंगला सियासत के बीच अब शब्द तीखे होने लगे हैं. जहां अब कब्रगाह-श्मशान तक की बात कही जाने लगी है.
पीडब्ल्यूडी ने दी ये सफाई
आतिशी के आरोपों पर पीडब्ल्यूडी के सूत्रों ने कहा, 'उन्हें बाहर नहीं निकाला गया है. वे कभी वहां शिफ्ट ही नहीं हुई थीं. उन्हें 17 एबी मथुरा रोड पर सरकारी आवास पहले से ही आवंटित है और उन्हें फिर से दो अन्य बंगलों का ऑफर दिया गया है.'
सूत्रों के अनुसार यह घर उनसे दो कारणों से वापस लिया गया है. पहला, उन्हें एक हफ्ते के भीतर घर का पजेशन लेना था और उन्होंने 3 महीने में भी ऐसा नहीं किया, जो नियमों के खिलाफ है. दूसरा, 6 फ्लैग स्टाफ रोड सीबीआई/ईडी की जांच के दायरे में है और अब सीएजी ने इसके निर्माण में भ्रष्टाचार की पुष्टि की है.
जब आतिशी को घर आवंटित किया गया था, तो एक शर्त यह थी कि चूंकि 6 फ्लैग स्टाफ आवास की सीबीआई/ईडी द्वारा जांच की जा रही है, इसलिए उन्हें उनके साथ सहयोग करना होगा. पीडब्ल्यूडी का आरोप है कि आतिशी ने जानबूझकर घर का पजेशन नहीं लिया ताकि घर बंद रहे और जांच एजेंसियां रुकी रहें.