
पिछले एक दशक में दिल्ली ने लगातार लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी और विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को वोट दिया है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि क्या यह रुझान 2025 में भी जारी रहेगा? दरअसल, 2013 का विधानसभा चुनाव AAP का पहला चुनाव था, पार्टी ने 30% वोट शेयर दर्ज किया था. इसी चुनाव में भाजपा ने 33% और कांग्रेस ने 25% वोट शेयर दर्ज किया.
2014 के लोकसभा चुनावों में AAP ने 3% वोट शेयर हासिल किया, भाजपा ने 13%, जबकि कांग्रेस ने 10% वोट खो दिया. 2015 के विधानसभा चुनावों में AAP ने 2014 के लोकसभा चुनावों के मुकाबले 21 प्रतिशत अधिक वोट शेयर हासिल किया, जिसमें भाजपा का 14 प्रतिशत और कांग्रेस का पांच प्रतिशत वोट शेयर टूटा.
2019 के लोकसभा चुनाव में 2015 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले आप को 36 प्रतिशत वोटों का नुकसान हुआ. वहीं भाजपा को 25 प्रतिशत और कांग्रेस को 13 प्रतिशत का फायदा हुआ. 2020 के विधानसभा चुनाव में आप ने 36 प्रतिशत वोट शेयर फिर से हासिल कर लिया. इसका परिणाम ये था कि भाजपा और कांग्रेस को इस चुनाव में 18-18 प्रतिशत वोट का नुकसान हुआ. 2024 के लोकसभा चुनाव में आप को फिर से 30 प्रतिशत वोटों का नुकसान हुआ, जबकि भाजपा को 16 और कांग्रेस को 15 प्रतिशत का फायदा हुआ.
2024 के लोकसभा चुनाव में आप और कांग्रेस सहयोगी थे. लेकिन अब वे एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. आप की सफलता या विफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह 30 प्रतिशत स्विंग वोटर को अपने पाले में वापस ला पाती है या नहीं, जैसा कि उसने 2015 और 2020 में किया था. अगर भाजपा और कांग्रेस 15 प्रतिशत स्विंग वोटरों में से पांच प्रतिशत को भी अपने पाले में रखती हैं, तो आप का वोट शेयर 44 प्रतिशत तक गिर जाएगा. वहीं भाजपा का 44 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा और कांग्रेस का नौ प्रतिशत तक. ऐसी स्थिति में आप 31-39 के अंतर से भाजपा से चुनाव हार सकती है.
स्विंग वोटर कौन हैं?
दिल्ली में करीब 30 फीसदी सवर्ण मतदाता स्विंग वोटर हैं. 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को 75 फीसदी सवर्णों का समर्थन मिला था. 2020 के विधानसभा चुनावों में यह घटकर 54 फीसदी रह गया. 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को 12 फीसदी समर्थन मिला था, जो 2020 में घटकर तीन फीसदी रह गया. 2019 में आप को 13 फीसदी समर्थन मिला था, जो 2020 में बढ़कर 41 फीसदी हो गया. सीएसडीएस के पोस्ट पोल सर्वे के अनुसार, 2024 के लोकसभा चुनावों में आप के 29 फीसदी सवर्ण मतदाता भाजपा (18 फीसदी) और कांग्रेस (12 फीसदी) की ओर शिफ्ट हो सकते हैं.
दिल्ली में करीब 25-30 फीसदी ओबीसी मतदाता स्विंग वोटर हैं. 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को 64 फीसदी ओबीसी समर्थन मिला था. 2020 के विधानसभा चुनावों में यह घटकर 50 फीसदी रह गया. कांग्रेस को 2019 में 18 फीसदी समर्थन मिला था, जो 2020 में घटकर सिर्फ दो फीसदी रह गया. हालांकि, 2019 में आप के 18 फीसदी ओबीसी वोट 2020 में बढ़कर 49 फीसदी हो गए. चुनाव बाद के आए सर्वे के अनुसार, 2024 के लोकसभा चुनावों में आप के 29 फीसदी ओबीसी मतदाता भाजपा (8 फीसदी) और कांग्रेस (17 फीसदी) में चले गए.
वहीं दिल्ली में करीब 45-50 फीसदी दलित मतदाता स्विंग वोटर हैं. 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को 44 फीसदी दलित समर्थन मिला था, जो 2020 के विधानसभा चुनावों में घटकर 25 फीसदी रह गया. 2019 में कांग्रेस का 20 प्रतिशत दलित समर्थन 2020 में गिरकर छह प्रतिशत हो गया और आप का 2019 में 22 प्रतिशत समर्थन 2020 में बढ़कर 69 प्रतिशत हो गया. 2024 के लोकसभा चुनावों में आप के 41 प्रतिशत दलित मतदाता भाजपा (24 प्रतिशत) और कांग्रेस (14 प्रतिशत) में चले गए.
दिल्ली में करीब 55-60 फीसदी मुस्लिम मतदाता स्विंग वोटर हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सात फीसदी मुस्लिम समर्थन मिला था, जो 2020 के विधानसभा चुनाव में घटकर तीन फीसदी रह गया. 2019 में कांग्रेस का 66 फीसदी मुस्लिम समर्थन घटकर 2020 में 13 फीसदी रह गया और 2019 में आप का 28 फीसदी मुस्लिम समर्थन बढ़कर 2020 में 83 फीसदी हो गया. 2024 के लोकसभा चुनाव में आप के 34 फीसदी मुस्लिम मतदाता बीजेपी (11 फीसदी) और कांग्रेस (21 फीसदी) के पाले में चले गए.
आम आदमी पार्टी को उन मतदाताओं को अपने पाले में लाने की जरूरत है, जिन्होंने एक साल से भी कम समय पहले लोकसभा में भाजपा और कांग्रेस का समर्थन किया था. दिल्ली में आप का आधार वोट शेयर 20-25 प्रतिशत है, जबकि भाजपा का 35-40 प्रतिशत है.
विधानसभा चुनाव जीतने के लिए आप 30 प्रतिशत, कांग्रेस और भाजपा से 15-15 प्रतिशत वोट उधार पर निर्भर है. 2020 के विधानसभा चुनावों की तुलना में 2024 के लोकसभा चुनावों में आप ने उच्च जाति के 29 प्रतिशत वोट मुख्य रूप से भाजपा और कांग्रेस को खो दिए. इसने ओबीसी वोट का 29 प्रतिशत, दलित वोट का 41 प्रतिशत और मुस्लिम वोट का 34 प्रतिशत भाजपा और कांग्रेस को खो दिया.
सामाजिक-आर्थिक वर्गों के संदर्भ में, 2019 और 2020 के चुनावों के बीच AAP ने 37 प्रतिशत गरीब मतदाताओं को भाजपा (19 प्रतिशत) और कांग्रेस (17 प्रतिशत) के हाथों खो दिया. इसने 21 प्रतिशत मध्यम वर्ग के मतदाताओं को भी खो दिया, जो मुख्य रूप से भाजपा (11 प्रतिशत) और कांग्रेस (12 प्रतिशत) के हाथों में चले गए. और इसने 28 प्रतिशत उच्च वर्ग के मतदाताओं को भाजपा (11 प्रतिशत) और कांग्रेस (16 प्रतिशत) के हाथों खो दिया.
चुनाव जीतने के लिए आप को भाजपा और कांग्रेस से 29 प्रतिशत उच्च जाति, 29 प्रतिशत ओबीसी, 41 प्रतिशत दलित और 34 प्रतिशत मुस्लिम वोट वापस अपने पाले में लाने की जरूरत है. उसे भाजपा और कांग्रेस से 37 प्रतिशत गरीब मतदाताओं, 21 प्रतिशत मध्यम वर्ग के मतदाताओं और 28 प्रतिशत अमीर मतदाताओं की घरवापसी कराने की जरूरत है. और यह इन गैर-गठबंधन मतदाताओं की पार्टियों के बीच सहज रूप से स्विच करने की प्रवृत्ति पर निर्भर है. इसने 2015 और 2020 के चुनावों में सफलतापूर्वक स्विंग मतदाताओं को वापस लाने में सफलता पाई है, और 2025 में इसे दोहराने की उम्मीद है.
2020 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों की तुलना में उच्च जाति के 22 प्रतिशत मतदाताओं को खो दिया, जबकि कांग्रेस ने 10 प्रतिशत खो दिया. आप ने इनमें से अधिकांश मतदाताओं (28 प्रतिशत) को अपने पाले में कर लिया. भाजपा और कांग्रेस ने ओबीसी मतदाताओं के 14 और 16 प्रतिशत को खो दिया, जिन्हें आप ने अपने पाले में कर लिया. इसी तरह, भाजपा और कांग्रेस के दलित वोटों में से 19 और 14 प्रतिशत आप (47 प्रतिशत) को मिले. भाजपा ने 4 प्रतिशत मुस्लिम वोट खो दिए और कांग्रेस ने 53 प्रतिशत, जबकि आप ने इन सभी (55 प्रतिशत) को अपने पाले में कर लिया.
ऐसे में ये तो साफ है कि दिल्ली में स्विंग वोटर सभी जातियों, समुदायों, धर्मों और वर्गों से आते हैं. इस बार दिल्ली चुनाव में स्विंग की सीमा AAP का भाग्य तय करेगी. जिसके पाले में इनका वोट शिफ्ट होगा, उसकी जीत तय मानी जा सकती है.