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NC-कांग्रेस, BJP या PDP... कश्मीर की 47 सीटों पर किसे बढ़त? पढ़ें- Exit Poll के नतीजे

सी वोटर के एग्जिट पोल के मुताबिक, कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन को 41.1 फीसदी वोट मिल सकते हैं. जबकि, पीडीपी को 16.6 फीसदी और बीजेपी को 3 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है. अन्य के खाते में 39.3 फीसदी वोट जाने का अनुमान है.

उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और रविंद्र रैना उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और रविंद्र रैना
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 3:14 PM IST

कश्मीर की 47 सीटों में से किस पार्टी को कितनी सीट पर जीत मिलेगी? इसके नतीजे 8 अक्टूबर को आ जाएंगे. लेकिन इससे पहले शनिवार को सी वोटर के एग्जिट पोल के नतीजे सामने आ गए हैं. एग्जिट पोल में कश्मीर घाटी में नेशनल कॉन्फ्रेंस को बड़ी जीत मिलने का अनुमान है.

सी वोटर के एग्जिट पोल के मुताबिक, कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन को 41.1 फीसदी वोट मिल सकते हैं. जबकि, पीडीपी को 16.6 फीसदी और बीजेपी को 3 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है. अन्य के खाते में 39.3 फीसदी वोट जाने का अनुमान है.

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वहीं, सीटों की बात करें तो नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन को 29 से 33 सीट जीत सकती है. बीजेपी को कश्मीर में 0 से 1 सीट मिलने का ही अनुमान है. वहीं, पीडीपी घाटी में 6 से 10 सीट जीत सकती है. अन्य भी यहां से 6 से 10 सीट जीत सकते हैं.

किसे-कितना नफा-नुकसान?

2014 के चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन ने घाटी में 16 सीटें जीती थीं. इस बार उसे 31 सीटें मिलने का अनुमान है. पीडीपी को 25 सीटें मिली थीं, जबकि एग्जिट पोल में पार्टी 8 सीटों पर सिमटती दिख रही है. बीजेपी की स्थिति जस की तस है.

तीन चरणों में हुए हैं चुनाव

जम्मू-कश्मीर की 90 सीटों पर तीन चरणों में चुनाव हुए थे. पहले चरण में 24 सीटों पर 18 सितंबर, दूसरे चरण में 26 सीटों पर 25 सितंबर और तीसरे चरण में 40 सीटों पर 1 अक्टूबर को वोटिंग हुई थी. चुनाव के नतीजे 8 अक्टूबर को सामने आएंगे. पहले चरण में 61.38%, दूसरे चरण में 57.13% और तीसरे चरण में 69.69% वोट पड़े थे. कुल मिलाकर जम्मू-कश्मीर में 63.88% वोटिंग हुई है.

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2014 में क्या रहे थे नतीजे? 

जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे. यहां की 87 सीटों में से पीडीपी ने 28, बीजेपी ने 25, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 15 और कांग्रेस ने 12 सीटें जीती थीं. बीजेपी और पीडीपी ने मिलकर सरकार बनाई और मुफ्ती मोहम्मद सईद मुख्यमंत्री बने. 

जनवरी 2016 में मुफ्ती मोहम्मद सईद का निधन हो गया. करीब चार महीने तक राज्यपाल शासन लागू रहा. बाद में उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री बनीं. लेकिन ये गठबंधन ज्यादा नहीं चला. 19 जून 2018 को बीजेपी ने पीडीपी से गठबंधन तोड़ लिया. राज्य में राज्यपाल शासन लागू हो गया. अभी वहां राष्ट्रपति शासन लागू है.

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