
उत्तर प्रदेश के कुंदरकी उपचुनाव में 'तुर्कजादे बनाम शेखजादे' की लड़ाई ने कमाल कर दिया. कुंदरकी सीट से बीजेपी उम्मीदवार ठाकुर रामवीर सिंह ने ऐतिहासिक वोटों से जीत दर्ज की है. उन्होंने सपा के हाजी मोहम्मद रिजवान को करारी शिकस्त दी. हालांकि, सपा ने नतीजों पर ऐतराज जताया है और चुनाव में धांधली का आरोप लगाया है. फिलहाल, आइए जानते हैं कैसे बीजेपी ने मुस्लिम बाहुल्य इस सीट पर कमल खिलाया...
कुंदरकी चुनाव में बीजेपी के नए प्रयोग की कहानी-
65% मुसलमान वोटरों के बीच बीजेपी का हिंदू उम्मीदवार आखिर कैसे जीता! कहते हैं इस बार कोई हिंदू और मुसलमान का ध्रुवीकरण मुरादाबाद के कुंदरकी में नहीं था, बल्कि मुसलमानों के भीतर तुर्क और शेख बिरादरी के ध्रुवीकरण ने बीजेपी के लिए जीत का ये फॉर्मूला बना दिया.
कुंदरकी में बीजेपी के उम्मीदवार रामवीर सिंह ने 1 लाख से ज्यादा वोटों से बड़ी जीत दर्ज की है. ये जीत अपने आप में एक इतिहास बन गई, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि जहां 65 फीसदी के करीब मुसलमान हों, जहां 58 फीसदी वोटिंग हुई हो, वहां आखिर बीजेपी ने जीत कैसे दर्ज कर ली.
बीजेपी के कुंदरकी जीत का मॉडल क्या है?
यूं तो समाजवादी पार्टी का सीधा आरोप है कि बीजेपी ने EVM में वोट डंप कराए हैं, लेकिन बीजेपी के रामवीर सिंह ने हाजी मोहम्मद रिजवान को मुसलमान में अपनी लोकप्रियता से काफी पीछे छोड़ दिया था. लगातार तीन बार से चुनाव हार रहे रामवीर को मालूम था कि बगैर मुसलमान के वोट के वह यह सीट नहीं जीत सकते. इसिलिए वो मुसलमानों के बीच पिछले दो दशकों से मेहनत कर रहे थे, इस बार उनके द्वारा की गई मेहनत बार रंग लाई है.
बेशक पूरे प्रदेश में "बटेंगे तो कटेंगे" का नारा चल रहा हो लेकिन कुंदरकी में रामवीर सिंह लगातार नमाजी टोपी और अरबी गमछा पहनकर मुसलमानों के बीच बने रहे. बीजेपी के प्रत्याशी रामवीर सिंह बेशक तीन चुनाव हारे हैं लेकिन मुसलमानों के सबसे ज्यादा काम बिना विधायक रहते अपने क्षेत्र में उन्होंने कराया है. यही नहीं किसी भी विधायक से बड़ा दरबार अपने क्षेत्र में लगाने और मुसलमानों के किसी भी समारोह में शिरकत करने के लिए वह मशहूर रहे हैं.
मुसलमानों के बीच मुस्लिम छवि लेकर घूमते रामवीर सिंह को इस बार मुसलमों ने जमकर वोट दिया, खासकर शेख बिरादरी रामवीर सिंह के पीछे खड़ी नजर आई. जबकि तुर्क बिरादरी से आने वाले हाजी रिजवान अपनी बिरादरी के मुसलमानों के बीच ही पिछड़ गए.
कौन है रामवीर सिंह और क्या है उनकी जीत का फॉर्मूला?
सपा के हाजी रिजवान की हार में उनके खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का बड़ा रोल रहा है. तीन बार से विधायक रहने के बावजूद जनता की उम्मीद पर हाजी रिजवान खड़े नहीं उतरे. यही नहीं चुनाव के दिन बीच में ही उन्होंने चुनाव रद्द करने की मांग की तो मुस्लिम वोटरों ने दोपहर बाद एक तरफा वोटिंग बीजेपी के लिए कर डाली.
इस बार मुसलमानों में रामवीर को लेकर एक और चर्चा खूब रही कि रामवीर को ढाई साल के लिए प्रयोग करके देखा जाए, अगर यह उम्मीद पर खरे उतरे तो ठीक नहीं तो 2027 में फिर से समाजवादी पार्टी जिंदाबाद रहेगी.
गौरतलब हो कि इस बार के यूपी उपचुनाव में सबसे अधिक मतदान कुंदरकी में हुआ. यहां 57.7% वोटिंग हुई. इस सीट पर 60% से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं. ऐसे में जिस सीट पर सबसे अधिक मुसलमान वोटर हैं, जिस सीट पर सबसे अधिक मतदान हुआ हो, जिस सीट पर सपा ने मुस्लिम नेता को टिकट दिया हो और जिस सीट पर बीजेपी साल 1993 से चुनाव नहीं जीत पाई हो, उस सीट पर इतना बड़ा उलटफेर सपा को हैरान कर रहा है.