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Haryana State Profile: हरियाणा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान आज, जानिए कैसे रहे हैं पिछले नतीजे

हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों का आज ऐलान होना है. 1966 में पंजाब से अलग होकर अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आए हरियाणा के पिछले चुनावों में नतीजे कैसे रहे हैं? आइए, जानते हैं.

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायाब सैनी (बाएं) और कांग्रेस नेता भूपेंद्र हुड्डा (दाएं) हरियाणा के मुख्यमंत्री नायाब सैनी (बाएं) और कांग्रेस नेता भूपेंद्र हुड्डा (दाएं)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 1:12 PM IST

पंजाब से अलग होकर 1 नवंबर 1966 को अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया हरियाणा 15वीं विधानसभा के लिए चुनाव की दहलीज पर आ गया है. सूबे की वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर तक है और इससे पहले चुनाव संपन्न कराने के लिए चुनाव आयोग ने कमर कस ली है. आज शाम तीन बजे चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस होनी है जिसमें हरियाणा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान किया जाएगा. सूबे की विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं. फिलहाल, सूबे की सत्ता पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) काबिज है.

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कैसे रहे थे पिछले चुनाव के नतीजे

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में बीजेपी 36.7 फीसदी वोट शेयर के साथ 40 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. तब कांग्रेस को 28.2 फीसदी वोट मिले थे और पार्टी 31 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही थी. दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) को 14.9 फीसदी वोट शेयर के साथ 10, हरियाणा लोकहित पार्टी को एक फीसदी से भी कम वोट शेयर के साथ एक सीट पर जीत मिली थी. सात निर्दलीय और एक अन्य भी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचने में सफल रहे थे. कोई भी पार्टी बहुमत के लिए जरूरी 46 सदस्यों के जादुई आंकड़े तक नहीं पहुंच पाई थी.

चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी एक्टिव मोड में आई और जेजेपी, हरियाणा लोकहित पार्टी और निर्दलीयों के समर्थन से सरकार बना ली थी. बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से पहले जेजेपी से गठबंधन तोड़ मनोहरलाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को सीएम बना दिया था.

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कैसा रहा है हरियाणा का चुनावी अतीत

हरियाणा के अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद 1967 में पहली बार सूबे की विधानसभा के लिए चुनाव हुए थे. तब विधानसभा की 81 सीटों के लिए वोट डाले गए थे. कांग्रेस को 81 में से 48 सीटों पर जीत मिली थी. तब बहुत के लिए जरूरी जादुई आंकड़ा 41 सीटों का था. तब 16 निर्दलीय विधायक जीते थे और भारतीय जनसंघ को 12, स्वतंत्र पार्टी को तीन और रिपब्लिकन पार्टी को दो सीटों पर जीत मिली थी. पंडित भगवत दयाल शर्मा की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार बनी लेकिन सरकार गठन के हफ्तेभर के भीतर ही दर्जनभर विधायकों के पाला बदल लेने से ये सरकार गिर गई और इस समय मोदी सरकार में राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह के पिता राव बीरेंद्र सिंह की अगुवाई में विपक्षी गठबंधन संयुक्त विधायक दल की सरकार बनी जो छह महीने में ही गिर गई थी.

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साल 1968 में विधानसभा के चुनाव हुए और इस बार भी कांग्रेस को 48 सीटें मिलीं. तब कांग्रेस ने दो दिग्गज नेताओं पूर्व सीएम भगवत दयाल शर्मा और देवी लाल को टिकट नहीं दिया था. देवी लाल पार्टी के प्रचार अभियान में भी खूब सक्रिय रहे और कांग्रेस ने 48 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी कर ली. कांग्रेस की जीत के बाद सीएम पद को लेकर दोनों दिग्गजों के बीच नूरा-कुश्ती शुरू हो गई. करीब हफ्तेभर तक नया सीएम चुनने के लिए चली माथापच्ची के बाद पार्टी नेतृत्व ने बीच का रास्ता निकालते हुए ये तय किया कि विधायकों के बीच से ही कोई सीएम बनेगा. पूर्व सीएम शर्मा ने ओमप्रभा जैन का नाम बढ़ाया, देवी लाल ने बंशी लाल का. बंशी लाल ही सीएम बनाए गए.

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साल 1972 के हरियाणा चुनाव में भी कांग्रेस को जीत मिली. 1977 में जनता पार्टी ने देवी लाल की अगुवाई में 75 सीटें जीत सरकार बनाई और तब कांग्रेस तीन सीटों पर सिमट गई थी. 1982 में कांग्रेस 36 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी लेकिन बहुमत से दूर रह गई थी.लोक दल 31 सीटों के साथ दूसरे और बीजेपी छह सीटों के साथ तीसरे नंबर पर रही थी. जनता पार्टी एक सीट ही जीत सकी थी. 1987 में लोक दल को 60 सीटों के साथ बहुमत के साथ सरकार चलाने का जनादेश मिला तो 1991 में 51 सीटों के साथ कांग्रेस को. 1996 के चुनाव में 33 सीटों के साथ हरियाणा विकास पार्टी सबसे बड़ा दल बनकर उभरी.

... जब चौटाला परिवार की पार्टी को मिला था पूर्ण बहुमत

साल 2000 के हरियाणा चुनाव में चौटाला परिवार की पार्टी इंडियन नेशनल लोक दल (आईएनएलडी) को पूर्ण बहुमत मिला था. आईएनएलडी 47 सीटें जीतकर सत्ता में आई और ओमप्रकाश चौटाला सीएम बने. 2005 में कांग्रेस ने 90 में से 67 सीटों पर जीत के साथ सत्ता में वापसी कर ली और भूपेंद्र सिंह हुड्डा सीएम बने. 2009 के चुनाव में कांग्रेस 40 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन बहुमत के आंकड़े से पीछे रह गई. भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई में पार्टी ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाई.

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2014 में पहली बार बनी बीजेपी की सरकार

हरियाणा विधानसभा के लिए 2014 में हुए चुनावों में पहली बार बीजेपी को जीत मिली. बीजेपी ने 47 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई. तब आईएनएलडी 19 सीटें जीतकर दूसरे और कांग्रेस 15 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर रही थी. 2019 में फिर से हरियाणा चुनाव में कोई भी पार्टी बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच सकी और बीजेपी 40 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी. कांग्रेस का कारवां 31 सीटों पर रुक गया और नई-नवेली जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) को 10 सीटों पर जीत मिली. चौटाला परिवार की पार्टी आईएनएलडी एक सीट ही जीत सकी थी.

इस बार क्या हैं समीकरण

हरियाणा चुनाव में इस बार कांग्रेस लोकसभा चुनाव में पांच सीटें जीतकर बढ़े मनोबल के साथ उतर रही है. कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा मांगे हिसाब पदयात्रा पर निकले हैं तो वहीं चुनाव से कुछ समय पहले ही सरकार की कमान संभालने वाले नायब सिंह सैनी भी किसान और कृषि से जुड़े छोटे-छोटे समूहों को साधने के लिए नित नए दांव चल रहे हैं. आम आदमी पार्टी भी पूरी ताकत के साथ हर सीट पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है. हरियाणा की सियासत में अपनी खोई जगह तलाश रही आईएनएलडी के लिए चौटाला परिवार के ही दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी बड़ी चुनौती बन गई है.

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