
हरियाणा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) औपचारिक रूप से गोपाल कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी के साथ गठबंधन की घोषणा नहीं करेगी बल्कि अनौपचारिक रूप से आपसी सहमति के तहत के एक सीट गोपाल कांडा के छोड़ सकती है. बीजेपी ने अब तक हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से 87 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है.
बीजेपी की तरफ से जिन 3 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं किया गया है. इनमें फरीदाबाद NIT, महेंद्रगढ़ और सिरसा विधानसभा सीटें हैं. मौजूदा वक्त में सिरसा सीट से गोपाल कांडा विधायक हैं.
BJP-JJP गठबंधन के समर्थक रह चुके हैं गोपाल कांडा
साल 2019 विधानसभा में बीजेपी ने 40 सीटें जीती थीं और दुष्यंत की जेजेपी ने 10 सीटें हासिल की थी. बीजेपी ने स्थिर सरकार बनाने के लिए जेजेपी के साथ गठबंधन किया और दुष्यंत चौटाला को उपमुख्यमंत्री बनाया. गोपाल कांडा ने बिना किसी शर्त बीजेपी और जेजेपी की गठबंधन सरकार को पूरे पांच साल समर्थन दिया.
गोपाल कांडा चाहते थे कि बीजेपी उनके लिए इस विधानसभा चुनाव में दो सीटें सिरसा और रानिया छोड़ दे लेकिन रानिया सीट पर गोपाल कांडा ने धवल कांडा को उम्मीदवार घोषित कर दिया. इसके बाद बीजेपी ने इस सीट से शीशपाल कंबोज को चुनावी मैदान में उतार दिया. बीजेपी के सामने बड़ी समस्या ये है कि एक तरफ रणजीत चौटाला भी रानिया सीट से निर्दलीय लड़ने का ऐलान कर चुके हैं और दूसरी तरफ गोपाल कांडा की पार्टी से धवल कांडा पहले से ही मैदान में हैं, जिसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है.
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आपसी सहमति बनी तो क्या होगा?
सूत्रों का मानना हैं कि बीजेपी ने गोपाल कांडा को संदेश दिया है कि पार्टी उनके खिलाफ सिरसा सीट पर उम्मीदवार नहीं उतारेगी लेकिन उन्हें रानिया विधानसभा सीट से हरियाणा लोकहित पार्टी के उम्मीदवार धवल कांडा नामांकन वापस लेना होगा. हरियाणा विधानसभा चुनाव में 12 सिंतबर नामांकन करने की आखिरी तारीख है.
किसान आंदोलन के चलते इनेलो अध्यक्ष अभय चौटाला ने एलनाबाद विधानसभा सीट से विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था. एलनाबाद सीट पर उपचुनाव में अभय चौटाला के खिलाफ बीजेपी ने गोपाल कांडा के भाई गोबिंद कांडा को टिकट दिया था, जो एयरहोस्टेस गीतिका सुसाइड केस में जेल भी जा चुके हैं. इस मामले में कोर्ट ने उन्हें 11 साल बाद बरी कर दिया था.