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Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान में अब सिर्फ दो दिन बचे हैं, लेकिन मुस्लिम मतदाता अभी भी असमंजस में हैं कि वे झाड़ू, हाथ या पतंग में से किसे चुनें. पिछली कुछ चुनावों की तरह इस बार भी मुस्लिम वोटरों के लिए भाजपा को हराने की रणनीति प्रमुख मुद्दा है, लेकिन किसे वोट देना सही रहेगा, इस पर मतदाताओं में एकराय नहीं है. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने इस पर मुस्लिम वोटरों से बात की है.
15 से 18 फीसदी तक हो सकती है मुस्लिम आबादी
दिल्ली में कुल 1.55 करोड़ मतदाता हैं, लेकिन उनमें से कितने मुस्लिम हैं, इसका सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. 2011 की जनगणना के अनुसार, दिल्ली की आबादी में मुस्लिमों की हिस्सेदारी 12.9% थी, जो अब माना जा रहा है कि बढ़कर 15-18% तक हो सकती है. दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से कम से कम सात सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या है, जबकि कई अन्य सीटों पर भी वे निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.
भाजपा को हराने के लिए आप को विकल्प माना जा रहा
कुछ मतदाताओं का मानना है कि भाजपा को रोकने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) को वोट देना ही एकमात्र तरीका है, क्योंकि केवल अरविंद केजरीवाल की पार्टी ही भाजपा को हराने की क्षमता रखती है.
कांग्रेस को वोट, क्योंकि राहुल गांधी वंचितों की आवाज उठा रहे हैं
कई मुस्लिम मतदाता मानते हैं कि 2020 दंगों के दौरान आप ने उनका साथ नहीं दिया और तबलीगी जमात को दोषी ठहराया. इसलिए, राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस को वोट देना बेहतर होगा, क्योंकि वे वंचितों और अल्पसंख्यकों की आवाज उठा रहे हैं.
AIMIM भी विकल्प के तौर पर उभरी
कुछ वोटर मानते हैं कि कांग्रेस और आप के बजाय असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को समर्थन देना चाहिए, क्योंकि यह पार्टी सीधे मुस्लिम समुदाय से जुड़े मुद्दों को उठाती है. इसके अलावा, पार्टी ने 2020 दंगों से जुड़े कुछ लोगों को टिकट दिया है, जिससे उनके प्रति सहानुभूति की लहर भी देखने को मिल रही है.
असमंजस में हैं मतदाता
23 वर्षीय आईटी प्रोफेशनल मुरतजा नय्यर कहते हैं, 'मेरा दिल कहता है कांग्रेस को वोट दूं, लेकिन दिमाग कहता है कि आप को वोट देना ही सही रहेगा. राहुल गांधी ने अल्पसंख्यकों के लिए आवाज उठाई है, लेकिन वोट बंटने से भाजपा को फायदा हो सकता है.'
कुछ वोटर्स का कहना है कि कांग्रेस और AIMIM को वोट देने से भाजपा को फायदा हो सकता है, इसलिए केजरीवाल की पार्टी को समर्थन देना ही समझदारी होगी. वहीं, कुछ लोग मानते हैं कि सिर्फ भाजपा को हराने के लिए वोट देना सही नहीं, बल्कि उस पार्टी को वोट देना चाहिए जो सही मुद्दे उठाए.
जहां दंगे हुए वहां क्या सोचते हैं मुस्लिम वोटर
जो इलाके 2020 के दंगों से प्रभावित हुए थे, वहां मतदाताओं की सोच बाकी मुस्लिम बहुल इलाकों से थोड़ी अलग है. सीलमपुर के चौहान बंगर में रहने वाले रिटायर्ड डॉक्टर सैयद अहमद खान का कहना है, 'हम किसी पार्टी के नेता को देखकर वोट नहीं देंगे, बल्कि स्थानीय उम्मीदवार को देखकर फैसला करेंगे. केजरीवाल ने मुस्लिम समुदाय से जुड़े मुद्दों पर चुप्पी साधी, जिससे उनकी छवि खराब हुई है.'
हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि भाजपा को हराने के लिए आप को वोट देना ही एकमात्र विकल्प है. जाफराबाद में मिठाई की दुकान चलाने वाले मोहम्मद यामिन कहते हैं, 'केजरीवाल ने हमारे मुद्दों पर चुप्पी साधी, लेकिन हमारे पास कोई और विकल्प नहीं है. इसलिए, आप को वोट देना ही सही रहेगा.'
2020 में क्या रहा था रिजल्ट?
2020 के विधानसभा चुनाव में आप ने मुस्लिम बहुल सातों सीटें ओखला, बाबरपुर, मुस्तफाबाद, सीलमपुर, मटिया महल, बल्लीमारान और चांदनी चौक जीती थीं. 2015 के चुनाव में आप ने 70 में से 67 सीटें जीती थीं, जो 2020 में घटकर 62 रह गईं. इस बार कांग्रेस और AIMIM भी मजबूती से मैदान में हैं, जिससे मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो सकता है.
दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान होना है और मुस्लिम मतदाता अभी भी यही सोच रहे हैं कि किसे वोट दिया जाए.