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जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के राजौरी जिले में नियंत्रण रेखा (LoC) पर बसे एक छोटे से गांव में आगामी चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं. सुदूर गांव मकरी, भारत के आखिरी मतदान केंद्रों में से एक है. यह भौगोलिक अलगाव और सुरक्षा संबंधी खतरों के बावजूद लोकतंत्र की मजबूती की एक याद दिलाता है. एलओसी के पास 51 ऐसे मतदान केंद्र हैं. चुनाव आयोग इन सभी सीमावर्ती मतदान केंद्रों पर सुरक्षित और सफल मतदान की तैयारी कर रहा है.
चुनाव नजदीक आने के साथ ही भारत के चुनाव आयोग ने यह सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है कि देश के सबसे संवेदनशील इलाकों में से एक में रहने वाले ग्रामीण अपने मौलिक अधिकार का इस्तेमाल कर सकें. मकरी राजौरी के उन पांच गांवों में से एक है, जो पाकिस्तान से घुसपैठ को रोकने के लिए भारतीय सेना द्वारा लगाए गए कंटीले तारों की बाड़ से परे सीधे नियंत्रण रेखा पर स्थित हैं.
संकट की कगार पर खड़ें गांव में उम्मीद की किरण
अनिश्चितता और कड़ी सुरक्षा से घिरे मकरी गांव के लोगों ने आखिरी बार 2014 में हुए विधानसभा में वोट डाला था. वे इस बार की अहम लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने के लिए उत्साहित हैं. वे उम्मीद जताते हैं कि ये चुनाव न केवल शांति लाएंगे बल्कि उनके सीमावर्ती गांवों में बहुत जरूरी विकास भी लाएंगे. एक ग्रामीण ने इलाके की जरूरी मांगों को बताते हुए कहा, "हमें बेहतर सड़कें, मेडिकल सुविधाएं और अपने बच्चों के लिए ज्यादा शिक्षकों की जरूरत है."
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हाई अलर्ट पर सेक्योरिटी
चुनाव से पहले सेक्योरिटी को खास तौर से बढ़ा दिया गया है. घुसपैठ और आतंकी गतिविधियों के खतरे की वजह से जम्मू में, खासकर मकरी जैसे सीमावर्ती गांवों में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है. पिछले चुनावों की तुलना में तीन से चार गुना ज्यादा सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की वजह से इस इलाके को अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया है. सेना और केंद्रीय सुरक्षा बल, स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर नियमित गश्त कर रहे हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि चुनाव बिना किसी व्यवधान के हो सके.
एडीसी नौशेरा, बाबू राम टंडन ने मतदान केंद्रों की सेक्योरिटी के लिए बनाए गए प्लान के बारे में बताया. टंडन ने कहा, "सेक्टर मजिस्ट्रेट अश्विनी कुमार, जोनल मजिस्ट्रेट गुरदयाल सिंह, बीएलओ गोरख नाथ और सुपरवाइजर रोमी चौधरी सहित हमारी टीम नियंत्रण रेखा के पास के सभी मतदान केंद्रों का लगातार दौरा कर रही है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि चुनाव प्रक्रिया के लिए सब कुछ ठीक है."
एक अनूठा मतदान अनुभव
मकरी का मतदान केंद्र सेना की घुसपैठरोधी बाड़ के आगे स्थित दो अनोखे केंद्रों में से एक है. पाकिस्तान बॉर्डर से सटे होने की वजह से यह इलाका घनी सैन्य तैनाती से घिरा हुआ है. चुनौतियों के बावजूद, गांव के लोग भारत की चुनावी प्रक्रिया में अपनी भूमिका को लेकर उम्मीद और गौरव की सोच रखते हैं. बीएलओ गोरख नाथ ने कहा, "हम भारत के बहादुर निवासी हैं, जो किनारे पर रहते हैं, लेकिन हमें भरोसा है कि हमारा वोट मायने रखता है."
राजौरी जिले में नियंत्रण रेखा (LoC) पर मकरी मतदान केंद्र पर 593 मतदाता हैं, जो पिछले लोकसभा चुनावों में 70 फीसदी से ज्यादा मतदान का दावा करते हुए लगातार मजबूत भागीदारी दिखा रहा है. मकरी, सेहर के साथ दो मतदान केंद्रों में से एक है, जो सुरक्षा बाड़ से परे स्थित पांच गांवों की सेवा के लिए स्थापित किया गया है. चुनौतीपूर्ण इलाके और सुरक्षा चिंताओं की वजह से हाई अलर्ट के बावजूद, चुनाव आयोग ने सुनिश्चित किया है कि इन दूरदराज के इलाकों में वोटर्स की मतदान केंद्रों तक पहुंच हो, जिससे वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में एक्टिव रूप से भाग ले सकें.
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विकास का वादा
कई गांव वालों के लिए, यह चुनाव सिर्फ वोट देने के मौके से कहीं ज्यादा है. यह लंबे वक्त से लंबित विकास का मौका दर्शाता है, जहां उन्हें बढ़ी हुई सेक्योरिटी पर गर्व है, वहीं ग्रामीण अस्पताल, स्कूल और उचित बुनियादी ढांचे की जरूरत पर भी जोर देते हैं.
इलाके में बुनियादी सुविधाओं की कमी पर बात करते हुए एक अन्य ग्रामीण ने कहा, "सड़कें बहुत खराब हालत में हैं और हमें तुरंत एक चालू अस्पताल की जरूरत है. हम इन सुविधाओं का सालों से इंतजार कर रहे हैं."
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, सीमावर्ती गांवों में उत्सुकता बढ़ती जा रही है. आतंक का खतरा भले ही उन पर मंडरा रहा हो, लेकिन मकरी और आसपास के इलाकों के लोग भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अपनी आस्था को लेकर दृढ़ हैं. उनका मानना है कि यह चुनाव न केवल सुरक्षा को मजबूत करेगा बल्कि देश के उनके दूरदराज के लेकिन महत्वपूर्ण कोने में बहुत जरूरी विकास का मार्ग भी प्रशस्त करेगा.
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