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झारखंड चुनाव: 73 सालों का चुनावी इतिहास, 40 साल से कांग्रेस का कब्जा, जानें लोहरदगा क्यों है हॉट सीट?

कांग्रेस के दिग्गज आदिवासी नेता इस सीट पर जीतते रहे हैं. कांग्रेस पार्टी 1967 से 1995 तक लगातार 28 सालों तक सीट पर कब्जा जमाए हुए थी. 1995 में भाजपा ने पहली बार कांग्रेस को यहां शिकस्त दी. 2017 के उपचुनाव में फिर से कांग्रेस ने बाजी मारी, 2019 से अब तक इस सीट पर कांग्रेस का ही कब्जा है.

Lohardaga (File Photo) Lohardaga (File Photo)
सत्यजीत कुमार
  • लोहरदगा,
  • 11 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 3:01 PM IST

अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित लोहरदगा विधानसभा सीट पर 73 सालों के चुनावी इतिहास में करीब 40 साल तक कांग्रेस का कब्जा रहा है. जबकि भाजपा और एनडीए का हिस्सा आजसू की विधायकी 17 साल रही है. इस चुनाव में भी कांग्रेस और आजसू के बीच यहां सीधी टक्कर है.

कांग्रेस के दिग्गज आदिवासी नेता इस सीट पर जीतते रहे हैं. कांग्रेस पार्टी 1967 से 1995 तक लगातार 28 सालों तक सीट पर कब्जा जमाए हुए थी. 1995 में भाजपा ने पहली बार कांग्रेस को यहां शिकस्त दी. 2017 के उपचुनाव में फिर से कांग्रेस ने बाजी मारी, 2019 से अब तक इस सीट पर कांग्रेस का ही कब्जा है.

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लोहरदगा हॉट सीट इसलिए कही जाती है क्योंकि अब तक इस विधानसभा सीट से मात्र 9 लोगों को ही विधायक बनाने का मौका मिला है. इसमें चार मंत्री रहे हैं. बिहार लकड़ा और इंद्रनाथ भगत बिहार मंत्रिमंडल के सदस्य रहे थे. वहीं, झारखंड बनने के बाद सधनू भगत और डॉ. रामेश्वर उरांव को मंत्री पद प्राप्त हुआ.

कार्तिक उरांव जैसे बड़े आदिवासी नेता लोहरदगा लोकसभा सीट से तीन बार सांसद रहे. फिर भी आज यहां आदिवासियों की स्थिति अच्छी नहीं है. बेरोजगारी, पलायन, उच्च और तकनीकी शिक्षा, बेहतर मेडिकल सुविधा यहां बड़े मुददे हैं. लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र में 2,87,145 मतदाता हैं. महिला मतदाताओं की संख्या अधिक है.

झारखंड कांग्रेस के विधायक और वित्त मंत्री रामेश्वर ओरान का कहना है कि लोग मौजूदा सरकार को उनके लिए शुरू की गई योजनाओं के आधार पर वोट देने के लिए तैयार हैं. ग्रामीण इलाकों में जाइए लोगों के चेहरे आपको कहानी बता देंगे. वे अभिभूत हैं. उम्मीदवार का चयन खराब नहीं है. इस बार उम्मीदवार नहीं बल्कि गठबंधन पूरी एकजुटता के साथ चुनाव लड़ रहा है.

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उन्होंने आगे कहा कि भ्रष्टाचार कभी भी चुनाव में मुद्दा नहीं रहा. अगर यह मुद्दा होता तो हिमाचल प्रदेश का कोई उम्मीदवार कभी नहीं जीतता. उसके बिस्तर के नीचे नोटों के ढेर मिले, फिर भी वह चुनाव जीत गया. हीं, आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो का दावा है कि सरकार की स्कीम से चुनाव परिणाम पर कोई असर नहीं पड़ेगा. NDA की जीत तो तय है. जो वेलफेयर स्कीम चल रही हैं, वो सिर्फ छलावा है. क्योंकि उसका बजट एलोकेशन है ही नहीं.

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