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हरियाणा में JJP हुई साफ, इनेलो भी नहीं दिखा सकी जलवा

हरियाणा विधानसभा चुनाव में जननायक जनता पार्टी (JJP) का पूरी तरह सफाया हो गया, जबकि इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) ने सिर्फ दो सीटें जीतीं. प्रमुख नेता दुष्यंत चौटाला और अभय सिंह चौटाला अपनी-अपनी सीटों पर हार गए, जिससे इन पार्टियों का राजनीतिक भविष्य सवालों के घेरे में आ गया है.

हरियाणा में JJP और INLD के प्रमुख नेताओं दुष्यंत चौटाला और अभय सिंह चौटाला को हार का सामना करना पड़ा है. हरियाणा में JJP और INLD के प्रमुख नेताओं दुष्यंत चौटाला और अभय सिंह चौटाला को हार का सामना करना पड़ा है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 9:27 PM IST

हरियाणा विधानसभा चुनाव में जननायक जनता पार्टी (JJP) और इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के लिए निराशाजनक परिणाम सामने आए हैं. JJP, जो पिछले विधानसभा चुनाव में किंगमेकर की भूमिका में थी, इस बार उसे चुनावी मैदान में बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा है. वहीं, INLD भी कोई खास प्रदर्शन नहीं कर सकी, हालांकि उसने पिछली बार से एक सीट ज्यादा जीत ली है. दोनों पार्टियों के प्रमुख नेताओं- दुष्यंत चौटाला और अभय सिंह चौटाला- को अपने-अपने गढ़ों में करारी हार का सामना करना पड़ा है.

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JJP, जिसने 2019 के चुनाव में 90 सीटों वाली विधानसभा में 10 सीटें जीती थीं, इस बार एक भी सीट नहीं जीत पाई. JJP के नेता दुष्यंत चौटाला, जो उचाना कलां से फिर से चुनाव लड़ रहे थे, पांचवें स्थान पर रहे. बीजेपी के देवेंद्र अत्री ने कांग्रेस के बृजेन्द्र सिंह को सिर्फ 32 वोटों से हराया, जबकि दुष्यंत चौटाला निर्दलीय उम्मीदवारों से भी पीछे रह गए. 

INLD के नेता अभय सिंह चौटाला, जो ऐलनाबाद से चुनाव लड़ रहे थे, भी कांग्रेस के भारत सिंह बेनीवाल से 15,000 वोटों के अंतर से हार गए. इस बार INLD ने कुल दो सीटों पर जीत दर्ज की. इन सीटों में से एक रानिया है, जहां अभय सिंह चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला ने कांग्रेस के उम्मीदवार को 4,191 वोटों से हराया. वहीं डबवाली से INLD के उम्मीदवार आदित्य देवी लाल ने कांग्रेस के अमित सिहाग को 610 वोटों से हराया. 

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JJP का वोट शेयर 2019 में करीब 15 प्रतिशत था, जो इस बार घटकर सिर्फ 0.90 प्रतिशत रह गया. JJP और चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन गठबंधन का प्रदर्शन बेहद खराब रहा. JJP के लिए मुश्किलें तब और बढ़ीं जब मार्च में उसका बीजेपी के साथ गठबंधन टूट गया, जिसके बाद पार्टी का ग्राफ तेजी से गिरा. 

INLD ने बहुजन समाज पार्टी (BSP) के साथ गठबंधन किया था. इसके बावजूद पार्टी की स्थिति सुधर नहीं पाई. INLD का वोट शेयर पिछले चुनाव के 2.44 प्रतिशत से बढ़कर 4.15 प्रतिशत हो गया, लेकिन पार्टी का प्रदर्शन इस बार भी कमजोर ही रहा. इस बार का चुनाव INLD के लिए अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई थी, क्योंकि 2018 में परिवारिक विवाद के चलते INLD का विभाजन हुआ था और JJP का गठन हुआ था. 

INLD और BSP गठबंधन ने जनता को मुफ्त गैस सिलेंडर, हर घर को 1,100 रुपये का नकद अनुदान, मुफ्त बिजली, वृद्धावस्था पेंशन और बेरोजगारी भत्ता जैसी योजनाओं का वादा किया था, लेकिन यह वोटरों को लुभाने में विफल रही.

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