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'बंटेंगे तो कटेंगे', 'डरोगे तो मरोगे'... महाराष्ट्र-झारखंड में बिजली-पानी के मुद्दों से यूं आगे बढ़ी नारों की जंग

पहले भी चुनावी अभियानों में जन रैलियां, घर-घर जाकर प्रचार और जमीनी स्तर पर लामबंदी का बोलबाला था, जिसमें राजनीतिक दल वोट जीतने के लिए मुफ्त बिजली, पानी, कर्ज माफी और सरकारी नौकरी जैसी मुफ्त चीजें देते थे, हालांकि चुनावी प्रलोभनों का विकल्प अभी भी मौजूद है, लेकिन इसमें बदलाव हुआ है.

महाराष्ट्र और झारखंड में चुनावी नारों की जंग रोचक हो गई है महाराष्ट्र और झारखंड में चुनावी नारों की जंग रोचक हो गई है
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:55 AM IST

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और झारखंड चुनाव के दूसरे फेज के मतदान की तारीख जैसे-जैसे करीब आ रही है, राजनीतिक दल नारों की जंग में उलझते जा रहे हैं. देश में चुनाव प्रचार पिछले कुछ साल में नाटकीय रूप से डवलप हुआ है, जो तेजी से बढ़ते मतदाता आधार, सामाजिक परिवर्तन और टेक्नोलॉजी डवलपमेंट से प्रभावित है. महाराष्ट्र और झारखंड दोनों विधानसभा चुनावों में नारों में बदलाव इस बात की ओर इशारा करता है कि यह कैसे सड़क, बिजली और पानी (बुनियादी जरूरतों) से आगे निकल गए हैं.

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हालांकि पहले भी चुनावी अभियानों में जन रैलियां, घर-घर जाकर प्रचार और जमीनी स्तर पर लामबंदी का बोलबाला था, जिसमें राजनीतिक दल वोट जीतने के लिए मुफ्त बिजली, पानी, कर्ज माफी और सरकारी नौकरी जैसी मुफ्त चीजें देते थे, हालांकि चुनावी प्रलोभनों का विकल्प अभी भी मौजूद है, लेकिन इसमें बदलाव हुआ है, आज पार्टियां ऐसे नारों पर ज्यादा जोर दे रही हैं जो विशिष्ट क्षेत्रीय और जाति-आधारित ज्यादा हैं.

पिछले 20 साल के इलेक्शन कैंपेन पर एक नज़र डालने से पता चलेगा कि नारे किस तरह से चुनावों को परिभाषित करते हैं. 2004 के चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा 'इंडिया शाइनिंग' अभियान के ज़रिए 'विकास' को पेश करने की कोशिश की गई थी, तो 2009 में कांग्रेस सरकार द्वारा 'भारत निर्माण' अभियान के ज़रिए.

2014 में 'अब की बार, मोदी सरकार' के नारे के साथ-साथ काला धन वापस लाने और रोज़गार पैदा करने के वादे मतदाताओं के दिलों में गहराई से उतर गए.

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2019 में भाजपा के अभियान ने 'फिर एक बार मोदी सरकार', 'हर हर मोदी, घर घर मोदी' और 'मोदी है तो मुमकिन है' जैसे नारों के साथ मोदी पर ध्यान केंद्रित किया.

कांग्रेस के 'खटाखट-खटाखट' नारे ने खींचा था ध्यान

2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक नया नारा पेश किया- 'खटाखट खटाखट' - जो चुनावी कैंपेन का केंद्र बन गया था. अब महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में फिर नारों का बोलबाला है. मुफ़्त बिजली, खाली पड़े सरकारी पदों को भरने और सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल स्थापित करने के वादे अभी भी चर्चा का हिस्सा हैं, लेकिन जाति आधारित जनगणना के लिए कांग्रेस के आह्वान ने पार्टियों के बीच तीखी जुबानी जंग की शुरुआत कर दी है.

महाराष्ट्र में 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारा बना चर्चा का केंद्र

महाराष्ट्र में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का 'बटेंगे तो कटेंगे' का नारा काफी चर्चा में हैं, इस पर विपक्ष ने सांप्रदायिक रंग होने का आरोप लगाया है, चुनाव प्रचार के दौरान यह नारा मुंबई में प्रमुखता से दिखाई दिया, हालांकि बाद में बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने पोस्टर हटा दिए. दरअसल, बांग्लादेश में अशांति का जिक्र करते हुए हिंदू एकता का संदेश देने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने अगस्त में आगरा में कहा था कि "बटेंगे तो कटेंगे... एक रहेंगे तो नेक रहेंगे". लेकिन महाराष्ट्र में पूरे अभियान के दौरान भाजपा नेताओं ने इस नारे को दोहराया.

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'एक हैं तो सेफ हैं' का जिक्र

प्रधानमंत्री मोदी ने भी सीएम योगी के नारे में थोड़ा बदलाव किया और 'एक हैं तो सेफ हैं' के नारे के साथ भाजपा के महाराष्ट्र अभियान की शुरुआत की, जिसमें कांग्रेस पर ओबीसी, एससी और एसटी को बांटने की कोशिश का आरोप लगाया, उन्होंने कांग्रेस को विभाजनकारी राजनीति से भी जोड़ा और राष्ट्रीय एकता को कमजोर करने के उनके कथित प्रयासों की आलोचना की. इस महीने की शुरुआत में महाराष्ट्र के अकोला में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जहां भी कांग्रेस की सरकार बनती है, वह राज्य पार्टी के 'शाही परिवार' का एटीएम (ऑटोमेटेड टेलर मशीन) बन जाता है. पीएम मोदी ने कहा था कि हरियाणा के लोगों ने 'एक है तो सेफ हैं' के मंत्र का पालन करके कांग्रेस की साजिश को नाकाम कर दिया. उन्होंने कहा था कि कांग्रेस जानती है कि वह तभी मजबूत होगी, जब देश कमजोर होगा. कांग्रेस की नीति एक जाति को दूसरी जाति के खिलाफ खड़ा करना है.


कांग्रेस ने 'डरोगे तो मरोगे' नारे से कैसे दिया जवाब? 

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा की विभाजनकारी बयानबाजी की आलोचना की और 'डरोगे तो मरोगे' के नारे से जवाब दिया. उन्होंने भाजपा पर डर फैलाने और विभाजन को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. खड़गे ने भाजपा पर लोकतंत्र को खत्म करने और संसद में बहस को दबाने का भी आरोप लगाया. मुंबई में 'संविधान बचाओ' सम्मेलन को संबोधित करते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा और आरोप लगाया था कि संसद में चर्चा और बहस की अनुमति नहीं है. उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री कहते हैं 'एक है तो सेफ हैं' जबकि अन्य नेता (भाजपा के) 'बटेंगे तो कटेंगे' की बात करते हैं. अरे किसे खतरा है? क्या कोई समस्या है? वास्तव में, देश को आरएसएस, भाजपा, पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से खतरा है. मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि चर्चा के ज़रिए मुद्दों का समाधान किया जा सकता है, जिससे लोकतंत्र मज़बूत होगा. लेकिन वे (बीजेपी) लोकतंत्र को खत्म करना चाहते हैं.

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झारखंड के पलामू-लातेहार में एक रैली के दौरान मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि योगी कुछ दिन पहले यहां आए थे. वे एक 'मठ' के प्रमुख हैं और साधुओं जैसी पोशाक पहनते हैं. लेकिन साधुओं को दयालु होना चाहिए और मानवता की रक्षा के लिए लोगों को एकजुट करना चाहिए. लेकिन, उन्होंने कहा, 'बटोगे तो कटोगे'. अब आपको 'डरोगे तो मरोगे' समझना चाहिए. इस बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी 'सजग रहो' नाम से एक अभियान शुरू किया, जो बीजेपी के राष्ट्रीय एकता के संदेश को दर्शाता है. आरएसएस ने हिंदुओं के बीच जातिगत विभाजन को खत्म करने पर जोर दिया.

(रिपोर्ट- अनुप्रिया ठाकुर)

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