
महाराष्ट्र के अकोला जिले में विधानसभा चुनाव के दौरान बगावत की लहर तेज हो गई है. जिले के सभी पांच विधानसभा क्षेत्रों में महायुति और महाविकास आघाड़ी दोनों को अपने ही दलों के बागी उम्मीदवारों से मुकाबला करना पड़ रहा है. भाजपा के प्रभावशाली गढ़ और वंचित बहुजन आघाड़ी के प्रभाव वाले इस जिले में बागियों ने उम्मीदवारों के समीकरण को बदलने का प्रयास किया है.
अकोला पूर्व में वंचित बहुजन आघाड़ी की बगावत
अकोला पूर्व विधानसभा क्षेत्र में वंचित बहुजन आघाड़ी के ओबीसी सेल के अध्यक्ष संतोष हुसे ने अपनी ही पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार ज्ञानेश्वर सुल्ताने के खिलाफ नामांकन दाखिल कर बगावत का बिगुल बजा दिया है.
अकोला पश्चिम में भाजपा की चुनौती
अकोला पश्चिम में भाजपा के नेता हरीश आलिमचंदानी और पूर्व महानगर अध्यक्ष अशोक ओलंपिया ने टिकट न मिलने पर महायुति के उम्मीदवार विजय अग्रवाल के खिलाफ परिवर्तन महाशक्ति और प्रहार जनशक्ति पार्टी से नामांकन दाखिल किया है.
महाविकास आघाड़ी में भी दरार
महाविकास आघाड़ी भी बगावत से अछूती नहीं है. कांग्रेस के उम्मीदवार साजिद खान पठान के खिलाफ ठाकरे गुट के राजेश मिश्रा और कांग्रेस के पूर्व राज्य मंत्री के बेटे, पार्षद डॉ. जीशान हुसैन ने अकोला पश्चिम से नामांकन भरा है.
मूर्तिजापुर में दल बदल
मूर्तिजापुर विधानसभा में एनसीपी से टिकट न मिलने पर पिछले चुनाव में एनसीपी से लड़े रवि राठी ने भाजपा में प्रवेश किया, लेकिन टिकट न मिलने पर तुरंत परिवर्तन महाशक्ति और प्रहार जनशक्ति पार्टी से नामांकन दाखिल कर दिया.
बालापुर में निर्दलीय का मुकाबला
बालापुर विधानसभा क्षेत्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस के अजीत पवार गुट के जिला अध्यक्ष कृष्णा अंधारे ने महायुति के शिवसेना (शिंदे गुट) के उम्मीदवार बलिराम सिरस्कर के खिलाफ निर्दलीय नामांकन भरा है.
अकोट में शिवसेना और भाजपा में भी बगावत
अकोट विधानसभा क्षेत्र में ठाकरे गुट के रामप्रभु तराले ने निर्दलीय नामांकन भरा है, जबकि भाजपा के कैप्टन सुनील ढोबाले ने पार्टी छोड़कर एमएनएस में शामिल होकर अपना नामांकन दाखिल किया है. भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता गजानन महल्ले ने भी निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला लिया है.
बगावत की चुनौती
अकोला जिले के सभी विधानसभा क्षेत्रों में बागियों के बढ़ते रुझान से महायुति और महाविकास आघाड़ी के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. गठबंधन नेताओं के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती इन बागियों को मनाकर नामांकन वापस करवाना है. आने वाले दिनों में यह साफ हो जाएगा कि वे बागियों को वापस लाने में कितनी सफलता हासिल कर पाते हैं.
इस बगावत के माहौल ने अकोला जिले के चुनावी समीकरणों में नया मोड़ ला दिया है, और दोनों गठबंधनों के लिए इस स्थिति का सामना करना अब बड़ी चुनौती बन गया है.