
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला 'पंचायत आजतक' के मंच पर आए और आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बात की. उन्होंने जम्मू-कश्मीर से 370 हटने के बाद के हालातों पर भी अपने विचार रखे. लोकसभा चुनाव के दौरान उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि वह असेंबली इलेक्शन नहीं लड़ेंगे, लेकिन अब वह दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं. आखिर उन्होंने अपना फैसला क्यों बदला? इस पर उन्होंने कहा, 'मैंने तो यही तय किया था और उस फैसले पर आखिरी समय तक कायम था. लेकिन लोगों ने मुझसे मेल और मैसेज के जरिए, मुलाकातों के जरिए मुझसे एक ही सवाल पूछा कि जब आप इलेक्शन के दौरान कैम्पेन करने उतरोगे और आप उस असेंबली के लिए वोट मांगोगे आप खुद जिसका हिस्सा नहीं बनना चाहते. तो आम हमसे किस मुंह से वोट मांगोगे? मेरे पास इस सवाल का जवाब नहीं था. इसलिए मैंने चुनाव लड़ने का फैसला किया.'
उन्होंने आगे कहा, 'दूसरा, मैं मानता हूं कि यह वो असेंबली नहीं जो हम चाहते हैं और न ही ऐसी असेंबली के हम हकदार हैं. लेकिन इस असेंबली के जरिए हम उस असेंबली तक पहुंचने की उम्मीद कर सकते हैं. केंद्र सरकार ने वादा किया है कि चुनाव के बाद जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट में धारा 370 के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान भी केंद्र ने यह आश्वासन दिया था. अगर अपनी मर्जी से केंद्र पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल नहीं करता, तो मैं उम्मीद करता हूं कि 8 अक्टूबर के बाद यहां जो भी सरकार बनेगी वह इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी.'
J-K का अगला CM बनने पर क्या बोले उमर अब्दुल्ला?
यह पूछे जाने पर कि उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि वह असेंबली चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे, तो क्या वह अपने इस फैसले पर कायम रहेंगे? इस प्रश्न के जवाब में उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'मैंने ये कहा ही नहीं है. न आपने मुझसे इसके बारे में कभी पूछा और न मैंने इसका जिक्र किया. सीएम बनने के मुद्दे पर मेरे कोई अल्फाज नहीं निकले. मैं सीएम बनने या नहीं बनने पर 8 अक्टूबर के बाद ही कुछ टिप्पणी करूंगा. मैंने आखिरी बार जब आजतक से बातचीत की थी तो बारामूला से सांसद बनने का ख्वाब लिए हुए था, जो ख्वाब ही रह गया. तो मैं सीएम बनने के मुद्दे पर अभी आपसे कुछ नहीं कहूंगा. 8 अक्टूबर को नतीजे निकलने दीजिए. उसके बाद बात करेंगे.'
उमर अब्दुल्ला ने बताई बारामूला में अपनी हार की वजह
लोकसभा चुनाव में बारामूला से उमर अब्दुल्ला को हार का सामना क्यों करना पड़ा? इस सवाल के जवाब में नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष ने कहा, 'आखिरी 5-6 दिन में मुझे लगता है, वहां हालात बदल गए. एक जज्बाती कैम्पेन, जिसका हमने मुकाबला किया नहीं. ऐसे नारे वहां इस्तेमाल हुए, जिन पर हम खामोश रहे. क्योंकि हमें ऐसा लगा कि इंजीनियर राशिद साहब के कैम्पेन के हवाले से हम पर निशाना नहीं साधा जा रहा, तो हम क्यों खामो खां उनके खिलाफ एक फ्रंट खोलें. और जिन दो मुद्दों पर वो वोट मांग रहे थे, हम उन पर लगभग खामोश ही रहे. अब हमें लगता है कि हमें उस वक्त उन चीजों पर खामोश नहीं रहना चाहिए था. क्योंकि लोगों को वहां एक तरह से धोखा ही दिया जा रहा था. इंजीनियर राशिद के बेटों की तरफ से कहा जा रहा था कि हमारे पिता को फांसी से बचाना है, इसलिए वोट दीजिए. लेकिन उन्हें जिस मामले में पकड़ा गया है, उसमें फांसी की सजा है ही नहीं. दूसरा उनके बेटों ने कहा कि हमारे बाप को जेल से बाहर निकालना है, इसलिए हमें वोट दो. तो वोट के जरिए कोई जेल से बाहर आता नहीं. इसलिए हमें लगता है कि इन मुद्दों पर खामोश रहकर हमने गलती की.'
इंजीनियर राशिद की जमानत पर उमर ने उठाए सवाल
उमर अब्दुल्ला ने कोर्ट से इंजीनियर राशिद को जमानत मिलने पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि यूएपीए के केस में जमानत मिलना लगभग नामुमकिन होता है. अभी वो लोग जिन्होंने बमुश्किल से पार्लियामेंट में दो चार नारे लगाए थे, उन्हें तो यूएपीए में बेल नहीं मिल रहा. इंजीनियर राशिद को यूएपीए के तहत कैसे बेल मिला ये मैं तो जानता नहीं हूं.' इंजीनियर राशिद जब जेल से निकलने के बाद बारामूला पहुंचे तो उनके स्वागत में लोगों का हुजूम उमड़ा था. इसके बारे में पूछे जाने पर उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'मैंने जब वहां से नॉमिनेशन फाइल किया, तो आपको कम हुजूम दिखा था. उस वक्त भी भीड़ थी, लोग थे, जोश था. लेकिन दो तीन दिन में हालात बदल गए. आज पहला दिन है. आगे 15 दिन है, आगे देखते हैं क्या होता है.'
अब्दुल्ला ने इशारों में इंजीनियर राशिद पर साधा निशाना
क्या इंजीनियर राशिद दिल्ली के इशारों पर काम कर रहे हैं? इस पर उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'होम मिनिस्टर अमित शाह पिछले दिनों जब जम्मू में अपनी पार्टी का मेनिफेस्टो जारी करने आए थे, तो उन्होंने क्या कहा था? कहा कि हम एक दो पार्टियों के अलावा सरकार बनाने के लिए अगर हमें किसी की मदद की जरूरत पड़ेगी तो हम लेने के लिए तैयार हैं. दो तीन पार्टियों के नाम लेकर उन्होंने कहा था कि हम इनके साथ काम नहीं करेंगे. उन्होंने दो तीन पार्टियों के अलावा जिनका नाम नहीं लिया था, यानी जिनके साथ वह काम करने को तैयार हैं उनमें कौन-कौन शामिल हैं? तमाम निर्दलीय उम्मीदवार, इंजीनियर राशिद की पार्टी, अल्ताफ बुखारी की पार्टी, गुनाम नबी आजाद की पार्टी और सज्जाद लोन की पार्टी. इसका मतलब ये है कि कल को मान लीजिए नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास सरकार बनाने जितना नंबर नहीं आते हैं. अगर बीजेपी को जरूरत पड़ती है, तो वह इन पार्टियों से मदद ले सकती है.'
उमर ने बताया गुपकार अलायंस से क्यों बाहर हुई पीडीपी
अगर गुपकार अलायंस में अगर नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी एक साथ चुनाव लड़ते तो उन्हें हराना मुश्किल होता? इसके बारे में पूछे जाने पर उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'पीडीपी के लिए हमने दरवाजे नहीं बंद किए, उन्होंने खुद अपने लिए दरवाजे बंद किए थे. अगर महबूबा मुफ्ती हमारे साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहती थीं, तो पार्लियामेंट इलेक्शन में हमारे उम्मीदवारों के खिलाफ अपने उम्मीदवार क्यों उतारे मैदान में? जब उनसे कहा गया था कि पार्लियामेंट इलेक्शन में सीट शेयरिंग की गुंजाइश है नहीं, आप असेंबली चुनाव तक इंतजार करिए हम मिलकर चुनाव लड़ेंगे तो उस वक्त उन्होंने उम्मीदवार क्यों खड़े किए. लोकसभा चुनावों के बाद अगर पीडीपी का किसी एक पार्टी पर सबसे ज्यादा निशाना है तो वह नेशनल कॉन्फ्रेंस है.' महबूबा मुफ्ती के इन आरोपों पर कि उमर अब्दुल्ला ओवर कॉन्फिडेंट हो गए, उन्होंने कहा, 'अगर हम ओवर कॉन्फिडेंट होते तो कांग्रेस के साथ अलायंस क्यों करते?'
त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में उमर अब्दुल्ला क्या करेंगे?
उमर अब्दुल्ला ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह नेशनल कॉन्फ्रेंस को सत्ता से बाहर रखने के लिए अलोकतांत्रिक तरीके अपना रही है. उन्होंने कहा कि बीजेपी किसी भी कीमत पर हमें सत्ता में नहीं आने देना चाहती. वह इसके लिए किसी से भी हाथ मिलाने और किसी की भी मदद करने के लिए तैयार है. भाजपा नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी को कमजोर करने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है. यहीं तक बीजेपी का देशप्रेम रुक जाता है. अगर जम्मू कश्मीर में त्रिशंकु विधानसभा के हालत बनते हैं तो उमर अब्दुल्ला क्या करेंगे? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि हम बैठके बीजेपी का इंतजार करेंगे और देखेंगे कि वो कैसे निर्दलियों और छोटे दलों के साथ सरकार बनाती है. ऐसी स्थिति में पीडीपी के साथ जाने पर उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'महबूबा मुफ्ती ने 2014 में बीजेपी को सत्ता में लाने का काम किया, दोबारा करें. हम तो कम से कम इसमें शामिल नहीं होंगे.'
उमर अब्दुल्ला ने माना कश्मीर में सुधरी है कानून-व्यवस्था
जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद स्थिति में सुधार होने के सवाल पर उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'अभी आतंकियों का ध्यान जम्मू की ओर है. आपको कश्मीर में शटर डाउन नहीं मिलेंगे. लेनिक जम्मू में खौफ है.' क्या उमर अब्दुल्ला यह मानते हैं कि पहले के मुकाबले कश्मीर में कानून-व्यवस्था की स्थिति बहुत हद तक सुधरी है? इस पर उन्होंने कहा, 'मैंने तो पहले भी कहा है कि बीजेपी ने कम से कम और कुछ नहीं तो यहां जो अलगाववादी हैं उन पर काबू किया है. उनके बयानों में कमी आई है, वो बात नहीं करते जो पहले किया करते थे.' उन्होंने माना कि हड़ताल के लिए अब कैलेंडर नहीं जारी होते और पत्थरबाजी की घटनाएं रुकी हैं. उमर अब्दुल्ला ने इसे अच्छा बताया.
मेरे खिलाफ साजिशन उतारे गए राशिद और बरकती: उमर
लोकसभा चुनाव के दौरान इंजीनियर राशिद के बारामूला से चुनाव लड़ने और विधानसभा चुनाव में मौलाना सरजन बरकती के गांदरबल के बाद बडगाम से चुनाव मैदान में उतरने को उमर अब्दुल्ला ने अपने खिलाफ साजिश बताया. उन्होंने कहा, 'पहले मुझे कोई शक नहीं हुआ. पहली बार मैंने सोचा कि इंजीनियर राशिद ने पहले भी चुनाव लड़ा है और इस बार फिर लड़ रहे हैं, इमसें कोई बड़ी बात नहीं है. लेकिन जब सरजन बरकती ने पहले गांदरबल से पर्चा भरा, जो खारिज हो गया. तो अब उन्होंने बडगाम से नॉमिनेशन किया है. इस बार मुझे लग रहा है कि यह एक सोची समझी साजिश के तहत करवाया जा रहा है. 90 सीटों में से बरकती को और कोई सीट नहीं मिली, सिवाय उसके जहां मैं पिछली बार लड़ा था और इस बार जहां से लड़ रहा हूं. उनको लगा कि मैं इस बार भी गांदरबल से लड़ूंगा, तो उन्होंने वहां से पर्चा भरा. इसलिए मैंने उनको धोखा देने के लिए बडगाम से नॉमिनेशन किया. गांदरबल से उनका पर्चा खारिज हुआ तो उन्होंने अब बडगाम का रुख कर लिया.'
केंद्र में अनुकूल सरकार आएगी तो 370 पर बात करेंगे: उमर
उमर अब्दुल्ला ने यह उम्मीद जताई कि इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन जम्मू रीजन में अच्छा रहेगा. बता दें कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन में जम्मू-कश्मीर चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने राहुल गांधी की राजनीति के बारे में कहा कि वह एक नेता के रूप में उभरकर सामने आए हैं. हाल में संपन्न लोकसभा चुनावों में इंडिया अलायंस और कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन के बाद उनका कोई मजाक नहीं बनाता, बल्कि अब उन्हें बीजेपी गंभीरता से लेने लगी है. अपने घोषणा पत्र में धारा 370 को फिर से बहार करने का वादा करने के बारे में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह फिलहाल तो नहीं होने जा रहा, जब तक केंद्र में मौजूदा हुकूमत है. जब केंद्र में हमारे अनुकूल सरकार आएगी तब हम इस मुद्दे पर उनके बात करेंगे.