
1998 से दिल्ली की सत्ता से बाहर चल रही बीजेपी ने 25 साल के सूखे को खत्म करने के लिए अब चुनावी मुकाबले जोरों पर शुरू कर दिए हैं. बीजेपी के अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को करीब 1700 मकानों की चाबी सौंपते हुए की. दरअसल, झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोग दिल्ली की 20 सीटों का फैसला करेंगे. बीजेपी की चुनावी रणनीति में इस पर फोकस किया गया है. कारण, यह महज संयोग नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को 1675 फ्लैटों की चाबियां सौंपकर दिल्ली के महत्वपूर्ण चुनावों का बिगुल फूंका. ये फ्लैट डीडीए ने 'जहां झुग्गी वहीं मकान' योजना के तहत तैयार किए हैं. अब सवाल उठता है कि क्या 'जहां झुग्गी वहीं मकान' योजना के तहत घर की चाबी सौंपे जाने से बीजेपी के लिए दिल्ली में सत्ता का ताला खुलेगा?
दिल्ली में बीजेपी 1998 से हार रही है. पहले उसे शीला दीक्षित ने हराया और फिर अरविंद केजरीवाल का तोड़ वो नहीं खोज पाई. पिछले 3 चुनावों में BJP ने अपने मुख्यमंत्री उम्मीदवार के चेहरों को बदला. नए-नए प्रदेश अध्यक्षों को मौका दिया लेकिन नतीजा नहीं बदला. इस बार बीजेपी झुग्गी में रहने वाले लोगों पर फोकस कर रही है, जिन्हें आम आदमी पार्टी का वोटर माना जाता है.
दरअसल, दिल्ली की 750 झुग्गियों में 30 लाख लोग रहते हैं, जिनमें से आधे पंजीकृत मतदाता हैं और अरविंद केजरीवाल इन झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को एक मजबूत वोट बैंक में बदलने में सफल रहे हैं. यही वह वोट बैंक है जिसे बीजेपी अब अपने वोट आधार को मजबूत करने के अलावा सेंध लगाने की कोशिश कर रही है.
- 2020 में 61% गरीबों ने AAP को वोट दिया, सीटें 62 जीतीं
- 2015 में 66% गरीबों ने AAP को वोट दिया, सीटें 67 जीतीं
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डेटा पर गौर करें तो इससे स्पष्ट है कि यह वोट बैंक आदमी पार्टी के लिए कितना महत्वपूर्ण है और ये मतदाता दैनिक चुनाव परिणाम को कैसे प्रभावित करते हैं. अनुमान बताते हैं कि दिल्ली की 750 झुग्गियों में रहने वाले पंजिकृत मतदाता शहर के लगभग 15 मिलियन कुल मतदाता आधार का दसवां हिस्सा हैं.
इन सीटों पर सबसे ज्यादा झुग्गियों में रहने वाले वोटर
झुग्गी मतदाताओं के बड़े आधार वाले विधानसभा क्षेत्र नरेला, आदर्श नगर, वजीरपुर, मॉडल टाउन, राजेंद्र नगर, संगम विहार, बदरपुर, तुगलकाबाद, अंबेडकर नगर, सीमापुरी, बाबरपुर, त्रिलोकपुरी, कोंडली, ओखला, मोती नगर, मादीपुर, शालीमार बाग, मटियाला और किरारी हैं.
पारंपरिक रूप से, इस वोट बैंक ने आम आदमी पार्टी की की कल्याणकारी योजनाओं- जिसमें मुफ्त बिजली, महिलाओं के लिए बस की सवारी, सब्सिडी वाली स्वास्थ्य सेवा और बेहतर स्वच्छता शामिल हैं, के कारण भारी समर्थन दिया है. फिर भी, बीजेपी अनसुलझे मुद्दों को सुर्खियों में लाकर और खुद को समाधान-संचालित विकल्प के रूप में पेश करके इस वोट बैंक को आकर्षित करने में जुटी है.
भले ही इस चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के बीच कोई गठबंधन नहीं है, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में चुनाव मुख्य रूप से आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है.
पीएम मोदी ने संभाला बीजेपी के चुनावी अभियान का मोर्चा
पिछले कई सालों में, एक मुद्दा जिसने अरविंद केजरीवाल की छवि को नुकसान पहुंचाया है, वह है शीश महल. और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे को उठाया और अपनी जीवनशैली और केजरीवाल की जीवनशैली के बीच तुलना की. पीएम ने शुक्रवार को बीजेपी के चुनावी अभियान की शुरुआत करते हुए कहा, "मैं चाहता हूं तो मैं भी एक शीश महल बना लेता हूं लेकिन मैंने नहीं बनाया क्योंकि मैं सिर्फ यह चाहता हूं कि देश के हर नागरिक के सिर पर छत हो."
इस बयान के साथ पीएम ने खुद और अरविंद केजरीवाल के बीच तुलना की और सभी को केजरीवाल के आवास में हुए कथित भ्रष्टाचार की याद दिलाई.
लोकसभा में बीजेपी तो विधानसभा में AAP रही लोगों की पसंद
बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी के लोगों ने पिछले तीन लोकसभा चुनावों 2014, 2019 और 2024 में बीजेपी को अपना आशीर्वाद दिया और सभी सातों लोकसभा सीटों पर जीत दिलाई. वहीं एक दशक से जैसे ही विधानसभा चुनावों की बात आती, दिल्ली का वोटर आम आदमी पार्टी को सत्ता में ले आता.
बीजेपी अब इस सूखे को खत्म करने की कोशिश कर रही है. उसका मानना है कि इस चुनाव में अरविंद केजरीवाल सत्ता से बाहर होंगे. केजरीवाल दिल्ली की जनता से किए गए वादों को पूरा करने में असमर्थ रहे हैं. बीजेपी नेताओं ने आजतक से कहा कि दिल्ली की जनता तंग आ चुकी है और यह अब साफ नजर आ रहा है. बीजेपी का कहना है कि तीन चीजें जिन पर अरविंद केजरीवाल बात नहीं करना चाहते हैं, वे हैं - सड़कों की स्थिति, पानी की उपलब्धता और शिक्षा.
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हरियाणा और महाराष्ट्र का फॉर्मूला अपनाएगी BJP?
बीजेपी की चुनावी रणनीति हरियाणा और महाराष्ट्र में काम करने वाले जीत के फॉर्मूले को दोहराना की नजर आ रही है. आजतक से बात करते हुए दिल्ली बीजेपी चुनाव प्रभारी जय पांडा ने कहा, "क्या यह स्पष्ट नहीं है कि आम आदमी पार्टी डरी हुई है और उन्हें सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है? मनीष सिसोदिया जैसे उनके शीर्ष नेताओं को पटपड़गंज से जंगपुरा में अपना निर्वाचन क्षेत्र बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा है. यहां तक कि पिछली बार 2020 में भी वे बहुत कम अंतर से जीते थे. यह स्पष्ट है कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के लोगों को निराश किया है."
उन्होंने कहा, "बीजेपी झूठे वादे या फर्जी वादे करने में विश्वास नहीं करती है, हम जो वादा करते हैं, उसे पूरा करते हैं और यही हम राष्ट्रीय राजधानी में करेंगे, यही हमारा चुनावी मुद्दा है."
मुख्यमंत्री पद के चेहरे के बारे में बोलते हुए जय पांडा ने कहा, "लोग जानते हैं कि बीजेपी किस बात के लिए खड़ी है, और यही कारण है कि चुनाव सामूहिक नेतृत्व में लड़ा जाएगा, हम मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति और घोषणाएं अभियान के लिए महत्वपूर्ण होंगी."
बीजेपी का दावा- आंतरिक सर्वेक्षणों में AAP की स्थिति बहुत खराब
बीजेपी के आंतरिक सर्वेक्षणों का दावा है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) को थोड़ी बढ़त हासिल है, लेकिन सर्वेक्षणों से यह भी पता चलता है कि पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सत्ता विरोधी भावना बहुत ज़्यादा है. यह डेटा और जल्द ही बड़े नेताओं के मैदान में उतरने से बीजेपी को उम्मीद है कि इस बार पार्टी आप पर जीत हासिल कर पाएगी.
अपने ‘प्रवास’ अभियान के तहत, दिल्ली बीजेपी प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा सहित बीजेपी के नेता झुग्गी-झोपड़ियों में रात भर रुक रहे हैं ताकि निवासियों से जुड़ सकें और उनकी चुनौतियों को समझ सकें.
AAP की कल्याणकारी योजनाओं का विकल्प लाई बीजेपी
बीजेपी राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिए आम आदमी पार्टी की कल्याणकारी योजनाओं, जैसे कि मुफ्त बिजली और पानी के विकल्प के रूप में बुनियादी ढांचे और आवास परियोजनाओं को आगे बढ़ा रही है. बीजेपी नेताओं ने वोटर्स को आश्वासन दिया है कि अगर पार्टी दिल्ली में सत्ता में आती है तो बिजली सब्सिडी जैसी मौजूदा कल्याणकारी योजनाएं जारी रहेंगी.
बीजेपी के लिए चुनौतियां और अवसर
बीजेपी के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो पार्टी ने हाल के वर्षों में दिल्ली में संसदीय चुनावों में सभी सात लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करके अपना दबदबा बनाया है, लेकिन विधानसभा चुनावों में उसे संघर्ष करना पड़ा है और 70 में से केवल आठ सीटें ही जीत पाई है.
बीजेपी इस चुनाव को अपनी विकास परियोजनाओं को उजागर करके राष्ट्रीय राजधानी को पुनः प्राप्त करने के अवसर के रूप में देख रही है. 5 जनवरी की परिवर्तन रैली मोदी के लिए नई पहलों की घोषणा करने और दिल्ली में बीजेपी के अभियान को मजबूत करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगी. बुनियादी ढांचे और आवास परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करके, बीजेपी का लक्ष्य आगामी चुनावों में खुद को AAP के लिए शासन-संचालित विकल्प के रूप में पेश करना है.