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दिल्ली चुनाव में 'लाडली लेडीज' पर फोकस, महिलाओं के लिए केंद्र और राज्यों की ओर से पहले से ही लागू हैं ये स्कीम

यह पहली बार नहीं है जब सियासी दल महिला वोटरों को सीधे फायदा देने का वादा कर उन्हें अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे प्रयास पहले भी देशभर में होते रहे हैं ताकि महिला वोटर्स को अपने साथ जोड़ा जा सके जो कि वोटिंग में निर्णायक भूमिका निभाती हैं.

महिला वोटर्स पर सियासी दलों का फोकस महिला वोटर्स पर सियासी दलों का फोकस
शिवानी शर्मा/पीयूष मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 27 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 7:02 PM IST

दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों की ओर से महिलाओं के लिए तरह-तरह के वादे किए गए हैं. कांग्रेस पार्टी ने 'प्यारी दीदी योजना' के तहत हर महीने 2500 रुपये देने का वादा किया है, तो वहीं सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने 2100 रुपये देने का चुनावी वादा किया है. बीजेपी भी इस रेस में पीछे नहीं है और पार्टी की ओर से महिलाओं को 2500 रुपये प्रति माह देने के साथ-साथ, गर्भवती महिलाओं को 21000 रुपये देने का वादा किया गया है. इसके अलावा AAP को चुनौती देने के लिए बीजेपी सीनियर सिटीजन को भी पेंशन देने का वादा कर चुकी है.

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महिला वोटर्स पर पार्टियों का फोकस

यह पहली बार नहीं है जब सियासी दल महिलओं को सीधे फायदा देने का वादा कर उन्हें अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे प्रयास पहले भी देशभर में होते रहे हैं ताकि महिला वोटर्स को अपने साथ जोड़ा जा सके जो कि वोटिंग में निर्णायक भूमिका निभाती हैं. हाल में हुए चुनावों में भी देखा गया है कि राजनीतिक दलों की ओर से महिलाओं को फोकस में रखकर वादे किए गए हैं. महिला कल्याण के लिए केंद्र की योजनाओं के अलावा राज्य सरकारें भी महिलाओं से संबंधित योजनाओं पर भारी-भरकम राशि खर्च करती आई हैं. 

रिसर्च से पता चलता है कि ऐसी योजनाओं का वोट शेयर और टर्नआउट पर बड़ा असर पड़ा है. जो राजनीतिक दल महिलाओं के लिए स्कीम्स का ऐलान करता है उसे महिलाओं के वोट भी बढ़चढ़ कर मिले हैं. कई चुनावों में तो महिलाओं का वोट राजनीतिक दलों की जीत में निर्णायक भी रहा है. केंद्र और राज्यों की ओर से साल 2024-25 में महिलाओं के लिए योजनाओं का पिटारा खोला गया है जिससे महिला वोटर्स तक सीधे पहुंचा जा सके. 

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लैंगिक समानता और महिला कल्याण के लिए देशभर में प्रयास होते रहे हैं और केंद्र हो या फिर राज्य सरकारें दोनों ने ही महिलाओं से जुड़ी योजनाओं पर बड़ा बजट खर्च किया है. वित्त वर्ष 2024-25 में लागू की गई ऐसे योजनाओं में वित्तीय मदद के अलावा स्वास्थ्य, सुरक्षा, शिक्षा के अलावा महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया गया है. 

महिलाओं के लिए केंद्र की योजनाएं

केंद्रीय बजट 2024-25 में महिला सशक्तिकरण से जुड़ी योजनाओं के लिए 3.10 लाख करोड़ का फंड आवंटित किया गया था जो कि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 38.7 फीसदी ज्यादा है. यह कुल बजट का का करीब 6.5 फीसदी है. केंद्र की ओर से महिलाओं के लिए निम्न योजनाएं लागू की गई हैं.

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना: लड़कियों की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए लागू इस योजना का बजट 629 करोड़ है जिसमें वन स्टॉप सेंटर्स और महिला हेल्पलाइन जैसी सुविधाएं आती हैं.  

सुकन्या समृद्धि योजना: यह एक सेविंग स्कीम है जो 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के तहत आती है और इसमें ब्याज दर को बढ़ाकर अब 8.2 फीसदी किया गया है.

प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना (PMMVY): इस योजना के लिए 2500 करोड़ का फंड आवंटित किया गया है जिसमें गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को वित्तीय मदद मुहैया कराई जाती है.

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प्रधानमंत्री उज्जवला योजना (PMUY): इस योजना के तहत गृहणियों को हर LPG सिलेंडर पर 300 रुपये की सब्सिडी दी जाती है. साथ ही योजना का कुल बजट 12 हजार करोड़ है.

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण):  इस योजना का बजट 7192 करोड़ है, जिसका मकसद ग्रामीण इलाकों को खुले में शौच से मुक्त करना है, साथ ही योजना में कचरे का प्रबंधन शामिल है.  

जल जीवन मिशन (JJM): इस योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में नल का पानी पहुंचाया जा रहा है और इसके लिए 70163 करोड़ का फंड तय किया गया है.

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM): कुल 15047 करोड़ के बजट की इस योजना के तहत महिलाओं के स्वयं सहायता समूह को सपोर्ट किया जाता है और ग्रामीण इलाके में उनकी आजीविका के लिए मदद दी जाती है.

सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण मिशन 2.0:  इस योजना के तहत नवजात बच्चों के पालन पोषण को बेहतर बनाने के लिए मदद दी जाती है और इसका बजट 21200 करोड़ है. 

केंद्र के अलावा राज्य सरकारों की ओर से भी महिला सशक्तिकरण की दिशा में अहम कदम उठाए गए हैं. देश के कई राज्यों में महिलाओं को फोकस करते हुए योजनाएं लागू की गई हैं जिसके कुछ उदाहरण निम्न हैं.

मध्य प्रदेश
राज्य में लाडली बहन योजना पर अब तक 24494 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं जिसमें निम्न आय वर्ग की महिलाओं को 1250 रुपये प्रति माह की राशि दी जाती है. इसके अलावा लाडली लक्ष्मी योजना में 524 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. पीएम मातृ वंदन योजना में 1191 करोड़ खर्च आया है जो महिलाओं के हेल्थ केयर से जुड़ी स्कीम है.  

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छत्तीसगढ़
यहां महतारी वंदन योजना के तहत 5236 करोड़ रुपये बांटे जा चुके हैं और 8 महीने में ही राज्य की 70 लाख से ज्यादा महिलाओं को योजना का लाभ मिला है.

तेलंगाना
महालक्ष्मी स्कीम के तहत महिलाओं को फ्री पब्लिक ट्रांसपोर्ट मुहैया कराया जा रहा है और इस योजना पर तीन हजार करोड़ से ज्यादा का खर्च आया है. राज्य की महिलाओं ने इस योजना का लाभ उठाकर करीब 2840 करोड़ रुपये की बचत भी की है. 

दिल्ली
मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना के तहत राजधानी में करीब 50 लाख महिलाओं को 1000 रुपये प्रति माह दिए जाने हैं और इस योजना के लिए दो हजार करोड़ का फंड आवंटित हो चुका है. वहीं लाडली स्कीम का फोकस लड़कियों की शिक्षा पर है. इसी तरह विधवा पेंशन के तहत महिलाओं को 4794 करोड़ रुपये मिले हैं. महिला सुरक्षा के लिए लागू निर्भया फंड के लिए भी 284 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.

महाराष्ट्र 
सूबे में लाडकी बहिन योजना पर अब तक 2.3 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं, जिसके लिए कुल 46000 करोड़ रुपये आवंटित हैं. महिलाओं को आर्थिक मदद देने के मकसद से यह योजना लागू की गई है. वहीं उत्तराखंड में भी 14538 करोड़ की योजना लागू करके महिलाओं को वित्तीय मदद दी जा रही है. 

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केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारें महिला कल्याण के लिए काफी पैसा निवेश कर रही हैं. इसमें न सिर्फ महिला को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाया जा रहा है बल्कि उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है. इन योजनाओं से लाखों महिलाओं के जीवन में आने वाले कुछ वर्षों में बदलाव की उम्मीद की जा सकती है. इसी तरह दिल्ली में भी सियासी दलों को उम्मीद है कि ऐसी योजनाओं का वादा करते वह महिलाओं का वोट हासिल कर सकती हैं.

 

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