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राहुल ने जातीय जनगणना रिपोर्ट को बताया 'फर्जी', क्या बिहार चुनाव में तेजस्वी को झेलना पड़ेगा नुकसान! जानिए

बिहार में जब 2 अक्टूबर 2023 को जातीय जनगणना की सर्वे रिपोर्ट आई थी तो उस वक्त प्रदेश में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार थी. आरजेडी और कांग्रेस भी इसी सरकार का हिस्सा थी. तेजस्वी यादव ने बिहार में जातीय जनगणना करवाने का श्रेय लिया था.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी शनिवार को पटना पहुंचे और तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी. कांग्रेस नेता राहुल गांधी शनिवार को पटना पहुंचे और तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी.
रोहित कुमार सिंह
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  • 19 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 1:44 PM IST

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने 2023 में बिहार में कराए गए जातीय जनगणना को फर्जी बताया है. ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि क्या राहुल का यह बयान आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के लिए नई मुश्किल खड़ी कर सकता है.

दरअसल, बिहार में जब 2 अक्टूबर 2023 को जातीय जनगणना की सर्वे रिपोर्ट आई थी तो उस वक्त प्रदेश में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार थी. आरजेडी और कांग्रेस भी इसी सरकार का हिस्सा थी. तेजस्वी यादव ने बिहार में जातीय जनगणना करवाने का श्रेय लिया था और दावा किया था कि उनके दबाव की वजह से ही नीतीश कुमार ने बिहार में जातीय सर्वे करवाया है.

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उसके बाद 9 नवंबर, 2023 को विधानसभा में बिहार आरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2023 पारित किया गया, उस वक्त भी तेजस्वी यादव ने बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ाने का श्रेय लिया था. नए कानून के आधार पर आरक्षण का दायरा 50% से 65% बढ़ाया गया था. 

कोर्ट में आरक्षण का मामला लंबित

हालांकि, 2024 में पटना हाई कोर्ट ने आरक्षण का दायरा 50% से 65% करने को गैर संवैधानिक बता कर रोक लगा दी थी. पटना हाई कोर्ट के फैसले को बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और तेजस्वी यादव की आरजेडी ने भी पटना हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. फिलहाल, यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है.

तेजस्वी की मुश्किल बढ़ी

बिहार में अगले कुछ महीनो में विधानसभा चुनाव होने हैं. 2024 में भी लोकसभा चुनाव में तेजस्वी ने जातीय जनगणना करने का मुद्दा उठाया और बिहार में जाति आधारित आरक्षण बढ़ाने का श्रेय लिया और बीजेपी को आरक्षण विरोधी बताया.

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इन सब के बीच जब शनिवार को राहुल गांधी ने पटना में संविधान सुरक्षा सम्मेलन में बिहार में कराए गए जातीय जनगणना को ही पूरी तरीके से फर्जी बता दिया तो फिर तेजस्वी यादव के लिए यह अब मुश्किल का खड़ी कर सकता है.

राहुल गांधी के बयान से तेजस्वी के दावे पर भी सवाल खड़ा हो रहा है कि जब 2023 में आरजेडी, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार का हिस्सा थी तो उस वक्त जो जातीय जनगणना कराई गई थी, वो फर्जी थी.

राहुल का सेल्फ गोल

जातीय जनगणना को फर्जी बताने से खुद राहुल गांधी के ऊपर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. क्या उन्हें इस बात का एहसास नहीं था कि जब महागठबंधन सरकार ने बिहार में जातीय जनगणना कराई थी तो उसे वक्त कांग्रेस भी उस सरकार का हिस्सा थी और कांग्रेस ने भी बिहार में जातीय जनगणना करने का श्रेय लिया था और इस रिपोर्ट को राहुल गांधी अब फर्जी बता रहे हैं.

बिहार में कराई गई जातीय जनगणना को फर्जी बताने वाले राहुल गांधी का बयान ना सिर्फ आने वाले दिनों में तेजस्वी यादव के लिए मुश्किल खड़ा कर सकता है बल्कि खुद राहुल गांधी की तरफ से इसे सेल्फ गोल माना जा रहा है.

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बिहार जैसे राज्य में जहां पर जाति आधारित राजनीति सर चढ़कर बोलता है और जहां अगले कुछ महीनों में ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं तो आखिर कैसे तेजस्वी यादव अब जातीय जनगणना का श्रेय लेंगे और कैसे उनकी पार्टी खुद को दलित और पिछड़ों का हितैषी बता पाएगी?

महागठबंधन में कंफ्यूजन

राहुल गांधी के बयान ने तेजस्वी यादव के लिए विधानसभा चुनाव में बड़ी मुश्किल जरूर खड़ी कर दी है. राहुल का बयान महागठबंधन में कंफ्यूजन की स्थिति भी पैदा कर सकता है जहां पर राजद इस जातीय जनगणना रिपोर्ट का श्रेय लेना चाहेगी और वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस इसे पूरी तरीके से फर्जी बताएगी.

बता दें कि अभी तक कांग्रेस और राजद का बिहार विधानसभा चुनाव में साथ लड़ने का प्लान है.

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