
महाराष्ट्र में चुनावी बिगुल बज चुका है. विधानसभा चुनावों में अब कुछ ही हफ्ते बचे हैं. इससे पहले शरद पवार के खेमे वाली एनसीपी ने मंगलवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि अजित पवार के नेतृत्व वाले समूह को 'घड़ी' सिंबल के इस्तेमाल से रोका जाए. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 24 अक्टूबर को सुनवाई होगी. शरद पवार खेमे की ओर से तर्क दिया गया कि घड़ी सिंबल की वजह से लोकसभा चुनाव में उनके वोटर्स भ्रमित हो गए थे क्योंकि वे लंबे समय से उसपर वोट देते आए हैं. लेकिन ये कानूनी लड़ाई सिर्फ एनसीपी के लिए नहीं है, बल्कि शिवसेना में भी इस तरह की लड़ाई जारी है.
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दो प्रमुख मुद्दे हैं:
1. पार्टी टूटने के बाद कौन सा धड़ा पुरानी पार्टी के सिंबल का इस्तेमाल करेगा.
2. टूट के बाद विधायकों की अयोग्यता को लेकर क्या होगा.
सेना बनाम सेना की लड़ाई
चुनाव आयोग ने 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को 'वास्तविक' शिवसेना के रूप में मान्यता दी, जबकि उद्धव ठाकरे के गुट को 'शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)' का नाम दिया गया. ईसीआई ने 17 फरवरी 2023 को उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट को 'शिवसेना (UBT)' नाम और "मशाल" प्रतीक का उपयोग करने की अनुमति दी. उद्धव ठाकरे ने इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. मुख्य मुद्दा अभी तक सुनवाई में नहीं आया है और सितंबर 2023 के बाद से इस पर सुनवाई की कोई तारीख नहीं दी गई है.
एनसीपी बनाम एनसीपी
चुनाव आयोग ने अजित पवार गुट को असली एनसीपी करार दिया. शरद पवार ने ईसीआई के निर्णय को चुनौती दी. साथ ही अजित पवार को 'घड़ी' प्रतीक का उपयोग करने की अनुमति देने के निर्णय को भी चुनौती दी. मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि एनसीपी (शरद पवार) 'तुरहा' प्रतीक का उपयोग करेगा. इसके बाद कोर्ट ने अजित पवार के गुट को निर्देश दिया कि वे एक सार्वजनिक नोटिस जारी करें, जिसमें कहा जाए कि "घड़ी" प्रतीक का आवंटन कोर्ट में विचाराधीन है.
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हालांकि, लोकसभा चुनावों के बाद शरद पवार ने अदालत के समक्ष यह तर्क दिया कि घड़ी प्रतीक का उपयोग करने की अनुमति को वापस लिया जाना चाहिए.
बागी विधायकों की अयोग्यता
2022 में शिवसेना के विघटन के चलते एकनाथ शिंदे भाजपा समर्थित सरकार के मुख्यमंत्री बन गए. इस बीच, उद्धव गुट ने 39 विधायकों के खिलाफ 'पार्टी व्हिप' का उल्लंघन करने के लिए अयोग्यता की याचिकाएं दायर कीं. वहीं, 2023 में एनसीपी के विभाजन के बाद, दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की याचिकाएं भी दायर कीं. ये याचिकाएं विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष लंबित रहीं, जब तक सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में निर्णय लेने के लिए समय सीमा निर्धारित नहीं की.
आखिरकार 10 जनवरी 2024 को विधानसभा अध्यक्ष ने सभी अयोग्यता याचिकाओं को खारिज कर दिया. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में वापस आया.
इंडिया टुडे से बात करते हुए एक वकील ने स्पष्ट किया कि पार्टी सिंबल का मुद्दा का 'अब तक का सबसे महत्वपूर्ण और तात्कालिक मुद्दा है चाहे वह अदालत में हो या बाहर. अयोग्यता का मुद्दा चुनाव होने के बाद अपने आप तय हो जाएगा.'