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घर नहीं जा सकेंगे, जेल वैन का खर्चा देना होगा... SC ने ताहिर हुसैन को इन शर्तों पर दी पैरोल

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को 29 जनवरी से 3 फरवरी तक चुनाव प्रचार के लिए कस्टडी पैरोल दिया है. इसके तहत उन्हें पुलिस सुरक्षा और खर्च का वहन खुद करना होगा और वे चुनाव प्रचार के लिए जेल से बाहर जा सकेंगे लेकिन कुछ शर्तों का पालन करना होगा.

ताहिर हुसैन ताहिर हुसैन
संजय शर्मा/सृष्टि ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 28 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 4:54 PM IST

आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद और दिल्ली चुनाव में एआईएमआईएम के उम्मीदवार ताहिर हुसैन को सुप्रीम कोर्ट ने 29 जनवरी से 3 फरवरी के बीच चुनाव प्रचार की इजाजत दे दी है. कोर्ट ने उन्हें कस्टडी पैरोल दिया है. इसका मतलब है कि वह जेल से ही चुनाव प्रचार के लिए अपने विधानसभा क्षेत्र में जा सकेंगे और प्रचार के बाद वापस जेल में आ जाएंगे. इस दौरान उनके साथ तमाम सिक्योरिटी गार्ड्स भी होंगे. कोर्ट ने कई शर्तों पर उन्हें इसकी मोहलत दी है.

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सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि, ताहिर को जेल मैन्युअल के मुताबिक पुलिस सुरक्षा में प्रतिदिन चुनाव प्रचार के लिए सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक तिहाड़ जेल से बाहर रहने की अनुमति दी गई है. उन्हें पुलिस सुरक्षा और जेल वैन का खर्च स्वयं वहन करना होगा, जिसके लिए उन्हें प्रतिदिन लगभग दो लाख सात हजार रुपये की अग्रिम राशि जमा करनी होगी.

यह भी पढ़ें: दिल्ली दंगे के आरोपी ताहिर हुसैन को मिली चुनाव प्रचार की इजाजत, सुप्रीम कोर्ट ने दी 'कस्टडी पैरोल'

पार्टी ऑफिस जाने की इजाजत, घर जाने पर रोक

ताहिर को साफ तौर पर निर्देश दिया गया है कि वह अपने घर नहीं जा सकेंगे, न ही किसी प्रकार से मीडिया से मुखातिब होकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकेंगे. साथ ही, केस से जुड़े मामलों पर भी वह कोई बयान नहीं देंगे. इस अवधि के दौरान, ताहिर हुसैन को सिर्फ उनके पार्टी ऑफिस जाने की इजाजत होगी, जहां वह चुनाव से संबंधित गतिविधियों में हिस्सा ले सकते हैं.

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सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दी ताहिर हुसैन को मोहलत?

यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की बेंच काफी विचार-विमर्श के बाद लिया है, जिसमें यह निर्धारित किया गया कि चुनाव में हिस्सा लेने का ताहिर का अधिकार बना रहे, लेकिन इसके साथ ही सुरक्षा और न्याय की नजरिए से पर्याप्त कदम उठाए जाएं. हालांकि, पिछली सुनवाई में देखा गया था ताहिर को पैरोल देने पर दो अलग-अलग मत देखे गए थे, जहां एक जज ने उन्हें मोहलत देने का फैसला किया था, लेकिन एक अन्य जज ने इसपर आपत्ति जताई थी.

ताहिर हुसैन पर दिल्ली दंगों से संबंधित कई गंभीर आरोप हैं और फिलहाल वे न्यायिक हिरासत में हैं. इस पैरोल के जरिए उनकी सक्रियता राजनीतिक क्षेत्र में बनी रहेगी और वे आगामी चुनावों में अपनी पार्टी के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश करेंगे.

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