
लोकसभा के साथ ही ओडिशा विधानसभा के चुनाव भी हो रहे हैं. अंतिम चरण के मतदान से पहले ओडिशा की लड़ाई अब नवीन पटनायक के स्वास्थ्य और हिलते हाथ पर आ गई है. नवीन पटनायक की एक रैली की वीडियो क्लिप वायरल हो रही है जिसमें पूर्व आईएएस अधिकारी और बीजू जनता दल (बीजेडी) नेता वी कार्तिकेयन पांडियन ओडिशा सीएम का हाथ पोडियम पर अंदर की तरफ करते नजर आ रहे हैं. इस वीडियो के सामने आने के बाद विपक्ष वीके पांडियन पर हमलावर है और पूर्व आईएएस को लेकर नवीन पटनायक को घेर रहा है. ओडिशा चुनाव के बीच सरकार पर विपक्ष के हमलों का सेंटर पॉइंट बने वीके पांडियन कौन हैं?
आईएएस अधिकारी रहे हैं तमिलनाडु में जन्मे पांडियन
तमिलनाडु में जन्मे पूर्व आईएएस अधिकारी वीके पांडियन कृषि में ग्रेजुएट और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से पोस्ट ग्रेजुएट हैं. पूर्व आईएएस वीके पांडियन की गिनती सेवाकाल में भी मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के करीबियों में होती थी. 2000 बैच के ओडिशा कैडर के आईएएस थे और उन्हें पहली पोस्टिंग 2002 में कालाहांडी जिले के धर्मगढ़ में बतौर सब कलेक्टर मिली थी.
साल 2005 में उनको मयूरभंज जिले में बतौर डीएम पोस्टिंग मिली. वीके पांडियन के नवीन पटनायक की गुडबुक में आने की शुरुआत हुई 2007 में, जब उन्हें गंजाम का डीएम बनाया गया. गंजाम नवीन पटनायक का गृह जिला है और यहां तैनाती के दौरान पांडियन अपनी कार्यशैली से सीएम की गुडबुक में आ गए. धीरे-धीरे पांडियन की गिनती नवीन पटनायक के विश्वासपात्र नौकरशाह के रूप में होने लगी.
2011 से वीआरएस तक सीएम दफ्तर में रहे तैनात
वीके पांडियन को साल 2011 में सीएम ऑफिस में तैनाती मिल गई. वीके पांडियन को सीएम का निजी सचिव बना दिया गया और वह लंबे समय तक इस पद पर बने रहे. 2019 में जीत के बाद नवीन पटनायक ने ओडिशा में जब लगातार पांचवी बार सरकार बनाई, उन्होंने 5टी योजना लॉन्च की और वीके पांडियन को इसका सचिव बना दिया गया. 5टी का सचिव बनाए जाने के बाद एक्टिव मोड में आए पांडियन ने ओडिशा के अलग-अलग इलाकों के दौरे किए और लगभग दो सौ बैठकें कर जनता की समस्याएं सुनीं.
अपने इन दौरों के लिए पांडियन ने हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल किया और इसे लेकर के भी वह विपक्ष के निशाने पर रहे. वीके पांडियन ने पिछले साल यानि 2023 में वीआरएस ले लिया था. पांडियन के वीआरएस के लिए आवेदन करने के साथ ही उनके सियासत में आने की चर्चा हर ओर होने लगी थी. हुआ भी ऐसा ही. वीके पांडियन वीआरएस लेने के बाद बीजेडी में शामिल हो गए थे.
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पांडियन विपक्ष के निशाने पर क्यों?
आईएएस की नौकरी से वीआरएस लेकर सियासत में आए वीके पांडियन इस चुनाव में बीजेडी के मुख्य कैंपेनर और चुनाव रणनीतिकार की भूमिका निभा रहे हैं. पांडियन के चुनाव लड़ने के भी कयास थे लेकिन वह खुद मैदान में नहीं उतरे लेकिन मुख्य कैंपेनर, चुनाव रणनीतिकार की भूमिका की वजह से विपक्ष के निशाने पर हैं.
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विपक्षी पार्टियां इस बार नवीन पटनायक की जगह उनके आसपास के लोगों को निशाने पर लेने की रणनीति के साथ चल रही हैं. पांडियन बीजेडी के कैंपेन में भी लीड रोल में नजर आ रहे हैं और नवीन पटनायक के उत्तराधिकारी की इमेज की वजह से भी वह विपक्ष के लिए मुख्य टारगेट बन गए हैं. विपक्षी पार्टियां इन चुनावों में ओडिशा के ओड़िया सीएम, ओड़िया अस्मिता को मुद्दा बनाते हुए वीके पांडियन को सुपर सीएम बता निशाना साध रही हैं.