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'बंटेंगे तो कटेंगे' नारे का विरोध अजित पवार के लिए क्यों है सियासी मजबूरी? सवाल अल्पसंख्यक वोटों का है

देश की सियासत में इस वक्त 'बंटेंगे तो कटेंगे' का नारा चर्चा में है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के इस नारे को अब पीएम मोदी भी नए-नए रूप में अपनी रैलियों में पेश कर रहे हैं. बीजेपी इस नारे के जरिए विपक्ष की 'जाति' वाली पॉलिटिक्स पर निशाना साध रही है. लेकिन महाराष्ट्र में...

अजित पवार (फाइल फोटो) अजित पवार (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:55 AM IST

देश की सियासत में इस वक्त  'बंटेंगे तो कटेंगे' का नारा चर्चा में है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के इस नारे को अब पीएम मोदी भी नए-नए रूप में अपनी रैलियों में पेश कर रहे हैं. बीजेपी इस नारे के जरिए विपक्ष की 'जाति' वाली पॉलिटिक्स पर निशाना साध रही है. इन दिनों ये नारा झारखंड और महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी चर्चा में है. लेकिन महायुति में इस नारे को लेकर असहमति भी देखी जा रही है. खासकर अजित पवार ने तो खुलकर इस नारे का विरोध किया है. उन्होंने कई मौकों पर कहा है कि ये नारा महाराष्ट्र में नहीं चलेगा. अब सवाल ये उठता है कि आखिर जिस नारे को बीजेपी मास्टरस्ट्रोक की तरह इस्तेमाल कर रही है उससे अजित पवार बेचैन क्यों नजर आ रहे हैं?

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अजित पवार क्यों कर रहे इस नारे से किनारा

अजित पवार भले ही आज महायुति का हिस्सा हों और बीजेपी के साथ सरकार में जिम्मेदारी संभाल रहे हों. लेकिन उनकी सियासत की बुनियाद बीजेपी की विचारधारा से बिलकुल अलग है. उन्होंने अपनी सियासी जमीन 'गैरबराबरी' की लड़ाई पर तैयार की है. इसमें उन्होंने हिंदू धर्म की इमेज को खुलकर इस्तेमाल नहीं किया है. अजित पवार की एनसीपी के समर्थकों में भी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की भागीदारी अच्छी खासी है. इसलिए इस नारे से किनारा करना उनकी सियासी मजबूरी है.

कई उम्मीदवार मुस्लिम समुदाय से...

अजित पवार ने सन्ना मलिक, नवाब मलिक, हसन मुश्रीफ और बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान जैसे मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है. ऐसे में इस नारे से उनकी रणनीति को झटका लग सकता है और अल्पसंख्यक वोटर उनसे छिटक सकता है. नवाब मलिक की उम्मीदवारी को लेकर तो बीजेपी और एनसीपी में खुलकर बयानबाजी भी हुई थी.

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नवाब मलिक ने भी कहा था कि वह भारतीय जनता पार्टी या महायुति के उम्मीदवार नहीं है बल्कि अजित पवार एनसीपी के उम्मीदवार हैं. देवेंद्र फडणवीस से भी अजित पवार के मनमुटाव की खबरें दिख रही हैं. ऐसे में ये कहा जा सकता है कि अजित पवार के लिए ये बयान उनकी सियासत के लिए खतरा हो सकता है.

यह भी पढ़ें: 'UP-झारखंड में होता होगा, महाराष्ट्र में नहीं चलेगा 'बंटेंगे तो कटेंगे' का नारा', अजित पवार ने BJP को सुना दी दो टूक

क्या बोले अजित पवार

एनसीपी के मुखिया अजित पवार ने सीएम योगी के 'बंटेंगे तो कटेंगे' वाले बयान पर कहा, 'मैं उसका समर्थन नहीं करता हूं. महाराष्ट्र में ये नहीं चलता है. ये यूपी या झारखंड या कहीं और चलता होगा, यहां नहीं चलता.' अजित पवार ने 'बंटेंगे तो कटेंगे' के जवाब में कहा, 'सबका साथ सबका विकास.'

'महाराष्ट्र में ये सब नहीं चलता है' 

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में बाहर के लोग आकर ऐसे विचार बोल जाते हैं, दूसरे राज्यों के बीजेपी सीएम तय करें कि उन्हें क्या बोलना है. अजित पवार ने कहा कि हम महायुति में एक साथ काम कर रहे हैं, लेकिन हमारी पार्टियों की विचारधारा अलग-अलग है. हो सकता है कि दूसरे राज्यों में यह सब चलता हो, लेकिन महाराष्ट्र में ये काम नहीं करता. दूसरे राज्यों के बीजेपी मुख्यमंत्रियों को तय करना चाहिए कि क्या बोलना है.

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बता दें कि महाराष्ट्र में 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव होना है. लोकसभा चुनाव के बाद अब विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने जाति जनगणना और सत्ता मिली तो आरक्षण को 50 फीसदी के पार तक ले जाने का वादा किया है. जाति के आधार पर वोट साधने की इसी सियासत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार सियासी वार कर रहे हैं.

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