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क्या शिंदे बनेंगे महाराष्ट्र के 'नीतीश कुमार' या फडणवीस की तरह जीत के बावजूद जाएंगे 'हार'?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ महायुति ने वापसी की है और 218 सीटों पर बढ़त बना ली है. महाविकास अघाड़ी लड़ाई से बाहर हो गई है. अब महायुति में नए सीएम को लेकर चर्चाएं होने लगी हैं. बीजेपी सबसे ज्यादा सीटों पर जीत हासिल करते देखी जा रही है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि भले बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर रही है, लेकिन क्या इस बार उसका अपना मुख्यमंत्री बनेगा या महाराष्ट्र में फिर बिहार मॉडल दोहराया जाएगा?

महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी रैलियां की और महायुति के समर्थन में माहौल बनाया. महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी रैलियां की और महायुति के समर्थन में माहौल बनाया.
उदित नारायण
  • नई दिल्ली,
  • 23 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:48 PM IST

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों में सत्तारूढ़ महायुति धमाकेदार वापसी कर रही है. राज्य में कुल 288 सीटें हैं और महायुति को अब तक 220 सीटों पर बढ़त मिल गई है. विपक्षी महाविकास अघाड़ी 54 सीटों पर सिमटते देखी जा रही है. महाराष्ट्र में अब सरकार गठन को लेकर नए सिरे से चर्चाएं शुरू हो गई हैं. सबसे ज्यादा बीजेपी 128 सीटों पर आगे है. उसके बाद शिंदे की पार्टी के 53, अजित पवार की पार्टी के 36 उम्मीदवार आगे हैं.

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इस बीच, महायुति में नए मुख्यमंत्री की लड़ाई अब और तेज होती जा रही है. बीजेपी और शिंदे सेना के नेताओं के बयानों ने माहौल को गरमा दिया है और नए-पुराने समीकरणों पर भी चर्चाएं होने लगी हैं. एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के सियासी भविष्य पर भी कयासबाजी शुरू हो गई है. 

क्या इस बार बीजेपी का बनेगा सीएम?

सवाल उठ रहा है कि भले बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर रही है, लेकिन क्या इस बार उसका अपना मुख्यमंत्री बनेगा या महाराष्ट्र में फिर बिहार मॉडल दोहराया जाएगा? या कहें कि एकनाथ शिंदे को ही दोबारा मुख्यमंत्री बनाया जाएगा? 

आखिर कौन बनेगा नया सीएम?

सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या एकनाथ शिंदे को बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस की तरह पीछे किया जाएगा और किसी नए चेहरे पर महाराष्ट्र में दांव लगाया जाएगा? यह सारे सवाल आज इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि विधानसभा चुनाव प्रचार में भी एनडीए ने सीएम फेस घोषित नहीं किया और नतीजे के बाद तय करने की बात दोहराई. 

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एक फैक्ट यह भी है कि एनडीए ने भले ही इस चुनाव में अपना सीएम चेहरा घोषित नहीं किया, लेकिन महायुति जनता के बीच शिंदे कार्यकाल में कराए गए विकास कार्यों को लेकर गई और शिंदे ही सबसे बड़े चेहरे बनकर अलायंस में प्रचार करते देखे गए.

फिलहाल, नतीजे के बाद सरकार गठन से जुड़े सवालों के जवाब अभी पेचीदा बने हुए हैं और सस्पेंस से जल्द पर्दा उठने की उम्मीद है. आखिरी फैसला बीजेपी के पार्लियामेंट्री बोर्ड और शिवसेना-एनसीपी हाईकमान की सहमति से लिए जाने की उम्मीद है.

मिलकर तय कर लेंगे सीएम चेहरा?

चुनावी रुझानों पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे कहते हैं कि हम लोगों ने जिस तरह मिलकर चुनाव लड़ा है, ठीक उसी तरह मिलकर नए सीएम का चेहरा तय कर लिया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत शीर्ष हाईकमान जल्द ही इस संबंध में फैसला लेगा. बताते चलें कि महायुति में बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी शामिल है.

क्या बोले BJP-NCP नेता?

इससे पहले बीजेपी एमएलसी प्रवीण दरेकर ने कहा था कि हम महाराष्ट्र की जनता को इतना बड़ा जनादेश देने के लिए धन्यवाद देना चाहते हैं. लाड़की बहिन (योजना) ने कमाल कर दिया. संजय राउत को जमीनी हकीकत समझनी चाहिए. हम 125 का आंकड़ा पार करने जा रहे हैं और मैं चाहता हूं कि राज्य में बीजेपी का अपना मुख्यमंत्री होना चाहिए.

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वहीं, एकनाथ शिंदे से मुलाकात के बाद शिवसेना सांसद नरेश म्हस्के ने कहा कि यह महायुति की भारी जीत है. संजय राउत के पास कहने के लिए और कुछ नहीं है. एकनाथ शिंदे ही सीएम बनें. पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर मैं चाहता हूं कि एकनाथ शिंदे ही सीएम बनें.

सबसे बड़ी पार्टी होकर भी CM नहीं बना पाई थी बीजेपी

2019 के चुनाव में बीजेपी और शिवसेना (अविभाजित) ने मिलकर चुनाव लड़ा था. बीजेपी ने 105, शिवसेना ने 56, एनसीपी ने 54, कांग्रेस ने 44 सीटों पर जीत हासिल की थी. नतीजे के बाद मुख्यमंत्री को लेकर तनाव बढ़ा और शिवसेना, बीजेपी से अलग हो गई. शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ नया गठबंधन (महाविकास अघाड़ी) बनाया और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बना ली. तीन साल बाद शिवसेना में टूट हुई और एकनाथ शिंदे गुट बीजेपी में आ गया और उद्धव सरकार गिर गई. बीजेपी ने सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद एकनाथ शिंदे को नया मुख्यमंत्री बनाया और बीजेपी के सबसे बड़े चेहरे और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम बनाए जाने का फैसला लिया गया. इसके पीछे तर्क दिया गया कि बीजेपी चाहती थी कि राज्य में सत्ता का परिवर्तन हो और उद्धव ठाकरे को कुर्सी से उतारा जाए. 

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इस बार भी बीजेपी के सबसे ज्यादा उम्मीदवार आगे

2024 के चुनाव में बीजेपी, एकनाथ शिंदे गुट और अजित पवार गुट ने मिलकर चुनाव लड़ा है और बीजेपी ने सबसे ज्यादा 152 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे. इस बार बीजेपी ने 2019 के मुकाबले तीन उम्मीदवार कम उतारे. यानी बीजेपी से 149 उम्मीदवार मैदान में उतरे. जबकि एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 81 और अजित पवार की NCP ने 59 उम्मीदवारों को टिकट दिया. राज्य में बहुमत के लिए 145 का आंकड़ा छूना जरूरी है. यानी रुझानों में एनडीए बहुमत का आंकड़ा क्रॉस कर गया है और बीजेपी का स्ट्राइक रेट भी जबरदस्त देखने को मिल रहा है. बीजेपी अब तक 127 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है.

महाराष्ट्र में नीतीश कुमार मॉडल की चर्चा क्यों?

दरअसल, 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर चुनाव लड़ा था. नतीजे आए तो बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. बीजेपी ने 74 सीटों पर चुनाव जीता. जबकि जेडीयू ने 43 सीटों पर जीत हासिल की थी. उसके बावजूद बीजेपी ने अपनी पार्टी के किसी चेहरे को मुख्यमंत्री ना बनाकर चौंका दिया था और नीतीश कुमार पर फिर से दांव खेला था. 

नीतीश कुमार 2025 में भी एनडीए के चेहरा

हालांकि, 2022 में नीतीश का मोहभंग हुआ और उन्होंने एनडीए का साथ छोड़ा और आरजेडी अलायंस के साथ सरकार बना ली. बीजेपी विपक्ष में बैठी रही. 2024 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले फिर नीतीश ने पाला बदला और एनडीए के साथ आ गए. एनडीए ने भी जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार को हाथोंहाथ लिया और नेता सदन के रूप में चुन लिया और नीतीश बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कुर्सी संभाल रहे हैं. बीजेपी ने बिहार में दो डिप्टी बनाए हैं. अभी 2025 के चुनाव को लेकर भी बीजेपी ने नीतीश के चेहरे पर ही चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.

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