
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव में अभी कुछ महीने शेष हैं, लेकिन राजनीतिक दलों की सक्रियता बढ़ गई है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) राज्य में चुनाव जीतने की खातिर आक्रामक स्तर पर अपने अभियान में लगी हुई है तो वहीं असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी कोशिशों में जुटी है.
असदुद्दीन ओवैसी की अगुवाई वाली एआईएमआईएम इस महीने बंगाल के 4 शहरों में 4 अलग-अलग प्रतिनिधिमंडल भेजेगी. पार्टी के इस प्रतिनिधिमंडल में 5-5 सदस्य होंगे. प्रतिनिधिमंडल राज्य में पार्टी के लिए संभावना और ग्राउंड स्तर की स्थिति का जायजा लेगा.
एआईएमआईएम का 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल बंगाल के 4 शहरों दक्षिण 24 परगना, मालदा, मुर्शिदाबाद और दिनाजपुर का दौरा करेगा.
इससे पहले बंगाल विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हराने के लिए असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने बड़ी रणनीति तैयार की. बंगाल चुनाव के लिए ओवैसी की एंट्री के बाद से ही ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) उन्हें बीजेपी की बी टीम के रूप पर प्रचारित कर रही है. तो वहीं ओवैसी ने ममता को घेरने के लिए ने पिछले दिनों बड़ा फैसला लिया.
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पिछले साल कोरोना संकट के बीच बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया और 19 में से 5 सीटों पर जीत दर्ज की. ओवैसी ने बिहार के अपने इन पांचों विधायकों को बंगाल में ममता की घेराबंदी के लिए उतारने का फैसला किया है.
उन्होंने बिहार के अपने पांचों विधायकों को बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए आब्जर्वर के तौर पर नियुक्त किया. यही नहीं उन्होंने तेलंगाना के भी अपने दो विधायकों को बंगाल चुनाव में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी.
ओवैसी ने जिन जिलों में बिहार में अपने विधायकों को ऑब्ज़र्वर के तौर पर नियुक्त किया उनमें से ज्यादातर जिले बिहार के सीमांचल से सटे हुए हैं जहां मुस्लिम आबादी काफी ज्यादा है. ऐसे में ओवैसी की पार्टी का मुख्य मकसद ममता बनर्जी के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाना है. (इनपुट-सूर्यगनी)