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बंगाल में चुनावी पिच पर उतरने को तैयार हिंदूवादी संगठन हिंदू समहति, जानें क्या है ताकत

पश्चिम बंगाल में हिंदू समुदाय के अधिकारों के लिए आरएसएस के प्रचारक रहे तपन घोष ने हिंदू समहति का गठन किया था. हालांकि, 1975 से लेकर साल 2007 तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े रहे हैं और बंगाल में काम करते रहे. इसके बाद में संघ के साथ कुछ वैचारिक मतभेदों के चलते वो अलग हो गए और 14 फरवरी 2008 को उन्होंने हिंदू समहति नाम से अपना अलग संगठन बना लिया.

बंगाल में हिंदूवादी संगठन हिंदू समहति (फाइल फोटो) बंगाल में हिंदूवादी संगठन हिंदू समहति (फाइल फोटो)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 15 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 12:30 PM IST
  • बंगाल के हिंदू समहति ने बनाया राजनीतिक दल
  • साल 2008 में हिंदू समहति का गठन हुआ था
  • हिंदू समहित बनाने वाले लोग पहले संघ में रहे

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां काफी तेज हो गई हैं. ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सत्ता की हैट्रिक लगाने की जद्दोजहद में जुटी है तो बीजेपी बंगाल में कमल खिलाने की कवायद में है. बीजेपी राज्य में जिन वोटरों को अबतक सबसे मुफीद मानकर चल रही है, अब उसमें भी सेंध लगती दिखाई दे रही है. बीजेपी को पिछले चुनाव में समर्थन करने वाले बंगाल के हिंदूवादी संगठन 'हिंदू समहति' ने जन समहति नाम से अपनी राजनीतिक पार्टी गठन किया है और बीजेपी के खिलाफ ही चुनावी ताल ठोंकने का ऐलान किया है.  

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पश्चिम बंगाल में हिंदू समुदाय के अधिकारों के लिए आरएसएस के प्रचारक रहे तपन घोष ने हिंदू समहति का गठन किया था. हालांकि, 1975 से लेकर साल 2007 तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े रहे हैं और बंगाल में काम करते रहे. इसके बाद में संघ के साथ कुछ वैचारिक मतभेदों के चलते वो अलग हो गए और 14 फरवरी 2008 को उन्होंने हिंदू समहति नाम से अपना अलग संगठन बना लिया.

सांप्रदायिक दंगों के बाद चर्चा में आया नाम

हिंदू समहति संगठन साल 2017 में चर्चा में आया जब पश्चिम बंगाल में सांप्रदायिक दंगे हुए थे. हिंदू समहति ने बसरिहाट दंगों के आरोपी रहे दो नाबालिग को तपन घोष ने कानूनी मदद देने का ऐलान किया था. इतना ही नहीं साल 2017 में ही बंगाल में हुए सांप्रदायिक दंगो के कैलेंडर जारी किए थे. इसके अलावा हिंदूवादी संगठन हिंदू समहति ने 14 फरवरी 2017 को एक कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसमें एक मुस्लिम परिवार के 14 लोगों ने धर्म परिवर्तन कराकर उनकी घर वापसी कराया गया था. 

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तपन घोष अपने संगठन के क्रिया कलापों के चलते लगातार चर्चा में रहे, लेकिन पिछले साल जुलाई में कोरोना से निधन हो गया. हिंदू समहति संगठन की कमान अब देबतनु भट्टाचार्य के हाथों में है. हिंदू समहति का आधार उत्तर बंगाल और दक्षिण बंगाल के इलाको में अच्छा खासा माना जाता है. बंगलादेश से होने वाली घुसपैठ को यह संगठन अपना मुद्दा बनाता रहा है, लेकिन साथ ही बंगालदेश से आने वाले हिंदुओं की नागरिकता देने की वकालत हमेंशा करता रहा है. इतना ही नहीं इस संगठन ने बंगाल में मदरसों को फंड और इमामों को मिलने वाली भत्ता की हमेंशा से विरोध करता रहा है और इसे लेकर कोर्ट तक में दस्तक दी है. 

लोकसभा चुनाव में किया था बीजेपी का समर्थन

बंगाल के इस हिंदुवादी संगठन हिंदू समहति ने रविवार की अपनी स्थापना दिवस के मौके पर घोषणा की है कि वह आने वाले विधानसभा चुनाव में खुद अपने प्रत्याशी उतारेगी और बंगाली हिंदुओं की रक्षा के लिए वोट मांगेगी. यह वही संगठन है, जिसने पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी का समर्थन किया था और सीएए और एनआरसी जैसे मुद्दों पर इसके हक में मुहिम चलाई थी. लेकिन, अब इस संगठन ने जन समहति नाम से एक नई राजनीतिक पार्टी बना ली है और खुद की सियासी ताकत नापना चाहता है. 

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हिंदू समहति के अध्यक्ष देबतनु भट्टाचार्य ने कहा कि बंगाल में उनकी पार्टी किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेगी और राज्य की करीब 170 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बनाई है. देबतनु भट्टाचार्य का कहना है कि बीजेपी हिंदुओं को बेवकूफ बना रही है. बीजेपी को बंगाल में सिर्फ सत्ता हासिल करनी है, हिंदुओं के हितों की रक्षा करनी नहीं. हमारी पार्टी का जनाधार उत्तर बंगाल में अच्छा खासा है, जहां हमें चुनावी सफलता मिलने की पूरी उम्मीद है. ऐसे में देखना है कि यह हिंदूवादी संगठन अब सियासी पिच पर किस तरह का करिश्चमा दिखा पाता है. 
 

 

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