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देश की इकलौती महिला CM हैं ममता, हैट्रिक या हिट विकेट? कल तय करेंगे नंदीग्राम के वोटर

ममता बनर्जी अपने संघर्ष, सादगी और 'मां माटी मानुष' के नारे के सहारे 2011 में पश्चिम बंगाल में लेफ्ट दुर्ग को ढहा कर राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं. मौजूदा समय में ममता बनर्जी देश की इकलौती महिला मुख्यमंत्री हैं. गुरुवार को नंदीग्राम सीट के वोटर फैसला करेंगे कि ममता जीत का इतिहास रचती हैं या फिर खुद इतिहास बनती हैं?

ममता बनर्जी ममता बनर्जी
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 31 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 11:20 PM IST
  • देश की पहली महिला सीएम सुचेता कृपलानी
  • देश की पहली महिला मुस्लिम सीएम सैय्यत अनवर तैमूर
  • देश की दलित महिला सीएम रहीं बसपा चीफ मायावती

तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने सियासी करियर की सबसे कठिन चुनौती से जूझ रही हैं. मौजूदा समय में ममता बनर्जी देश की इकलौती महिला मुख्यमंत्री हैं. गुरुवार को नंदीग्राम सीट के वोटर फैसला करेंगे कि ममता जीत का इतिहास रचती हैं या फिर खुद इतिहास बनती हैं? 

बंगाल की राजनीति में अपने दम पर लेफ्ट का किला ध्वस्त कर बड़ा सियासी बदलाव करने वाली ममता का मुकाबला इस बार राइट विंग यानी बीजेपी से है. बीजेपी ने उन्हीं के करीबी और मजबूत सिपाही रहे शुभेंदु अधिकारी को उनके खिलाफ उतारा है. 

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पांच जनवरी 1955 को कोलकाता में जन्मीं ममता बनर्जी अपने संघर्ष, सादगी और 'मां माटी मानुष' के नारे के सहारे 2011 में पश्चिम बंगाल में लेफ्ट दुर्ग को ढहा कर राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं. पांच साल बाद वे पहले से ज्यादा बड़ी ताकत बनकर उभरीं और दूसरी बार सीएम बनीं. तीसरी बार सीएम बनने का सपना लेकर ममता इस बार नंदीग्राम सीट से उतरी हैं.  


देश में अभी तक कुल 15 महिला मुख्यमंत्री बनीं, लेकिन वक्त के साथ वो अपनी सत्ता गवांती चली गईं. ममता बनर्जी अगर ये जंग हार जाती हैं तो देश की इकलौती महिला मुख्यमंत्री भी सत्ता से बेदखल हो जाएगी लेकिन अगर वे जीतती हैं तो मौजूदा दौर की सबसे शक्तिशाली महिला नेत्री कही जाएंगी जिन्होंने अपने दम पर पहले लेफ्ट को फिर राइट विंग को शिकस्त दी. वे विपक्ष का भी सबसे कद्दावर चेहरा बनकर उभरेंगी क्योंकि उनके कद का दूसरा कोई विपक्षी राजनेता मौजूदा दौर में नहीं दिख रहा है.

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देश की पहली महिला सीएम 
देश में पहली महिला मुख्यमंत्री बनना का गौरव स्वतंत्रता सेनानी सुचेता कृपलानी को मिला, जिन्हें सुचेता मजूमदार के नाम से भी जाना जाता है. सुचेता कृपलानी ने 2 अक्टूबर 1963 को उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली और 13 मार्च 1967 तक सूबे की सत्ता की कमान अपने हाथ में रखी. वे प्रसिद्ध गांधीवादी नेता आचार्य कृपलानी की पत्नी थीं और कांग्रेस के साथ जुड़ी रहीं. वो पहली बार कांग्रेस से 1948 में यूपी विधानसभा की सदस्य बनी थीं और 1971 में उन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया था. इसके बाद 1 दिसंबर 1974 को नई दिल्ली में उनका निधन हो गया.

देश की पहली सीएम सुचेता कृपलानी

उड़ीसा की पहली सीएम
सुचेता कृपलानी का सियासत से मोहभंग होने के बाद बाद देश को दूसरी महिला सीएम ओडिशा से नंदिनी सथपती के रूप में मिली. कांग्रेस पर इंदिरा गांधी की राजनीतिक पकड़ मजबूत हुई तो उन्होंने ओडिशा में अपने करीबी नेताओं को आगे बढ़ाया. इसी में नंदिनी सथपती को इंदिरा गांधी ने पहले अपनी कैबिनेट में जगह दी. इसके बाद1972 में बीजू पटनायक जैसे नेता कांग्रेस से नाता तोड़कर अलग हुए तो नंदिनी को ओडिशा की सत्ता की कमान सौंप दी गई. नंदिनी सथपती  ने 14 जून 1972 को मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली और 3 मार्च 1973 तक रहीं. इसके बाद दोबारा से चुनाव हुए और 6 मार्च 1974 को दोबारा से ओडिशा की सीएम बनीं और 16 दिसंबर 1976 तक रहीं. उन्हीं के दौर में आपातकाल लागू हुआ. 4 अगस्त 2006 को उनका निधन हो गया. इसके बाद से अभी तक ओडिशा में दोबारा कोई महिला सीएम नहीं बन सकी.  

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गोवा की महिला सीएम को विरासत में मिली सियासत
गोवा की महिला मुख्यमंत्री के तौर पर शशिकला काकोडकर का नाम दर्ज है. उन्हें अपने पिता और गोवा के पहले मुख्यमंत्री दयानंद बंडोडकर से विरासत में सियासत मिली. गोवा केंद्र शासित राज्य बनने के बाद 1963 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में दयानंद सीएम बने. 1973 में उनके निधन के बाद उनकी राजनीतिक विरासत को शशिकला काकोडकर ने संभाला. वो 12 अगस्त 1973 को सीएम बनीं. इसके बाद दोबारा से 7 जून 1977 को सीएम बनीं, लेकिन 1979 में अपनी पार्टी के भीतर एक विभाजन के कारण उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ गई, जिसके बाद से दोबारा गोवा में कोई महिला सीएम नहीं बनी.  

देश की पहली मुस्लिम महिला सीएम
देश की पहली मुस्लिम महिला मुख्यमंत्री के तौर पर सैयदा अनवरा तैमुर का नाम दर्ज है. वो असम की भी पहली महिला सीएम के तौर पर जानी जाती हैं. इंदिरा गांधी ने उन्हें महिला नेता के तौर पर असम में बढ़ाया था. 6 दिसंबर 1980 को सीएम के रूप में शपथ ली औ 30 जून 1981 तक पद पर रहीं. 

दक्षिण भारत की पहली महिला सीएम
दक्षिण भारत में पहली महिला मुख्यमंत्री के तौर पर जानकी रामचंद्रन का आता है, जो तमिलनाडु में जयललिता से पहले सीएम बनी थीं. जानकी रामचंद्रन को सियासत अपने पति एमजी रामचंद्रन से विरासत में मिली. AIADMK नेता रामचंद्रन के निधन के बाद जानकी रामचंद्रन 7 जनवरी 1988 को तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं, लेकिन बहुत दिन सत्ता की कुर्सी नहीं संभाल सकीं और महज 23 दिनों के बाद ही 30 जनवरी 1988 को इस्तीफा देना पड़ा.

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जयललिता

तमिलनाडु में जयललिता का राज
एमसी रामचंद्रन की विरासत भले ही उनकी पत्नी जानकी न संभाल पाई हो, लेकिन जयललिता ने उसे आगे ही नहीं बढ़ाया बल्कि लंबे समय तक राज भी किया है. AIADMK की कमान अपने हाथ में लेने के बाद वे एक बार नहीं बल्कि पांच बार तमिलनाडु की सीएम बनीं. साल 24 जनू 1991 में पहली बार जयललिता ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और 12 मई 1996 तक सीएम रहीं. इसके बाद पांच साल के बाद दोबारा से सत्ता में वापसी कर 2001 में दूसरी बार सीएम बनीं, लेकिन इस बार आय से अधिक संपत्ति के मामले में उन्हें सीएम पद छोड़ना पड़ा. हालांकि, एक बाद 2002 में वह दोबारा से सीएम बनीं और 2016 तक सीएम रहीं. हालांकि, बीच-बीच में उन्हें पद छोड़ना भी पड़ा, लेकिन उन्होंने सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखी. 

देश की पहली दलित महिला सीएम
देश में दलित समुदाय की पहली महिला मुख्यमंत्री के तौर पर बसपा प्रमुख मायावती का नाम दर्ज है. सुचेता कृपलानी के सीएम बनने के 28 साल के बाद मायावती के रूप में यूपी को दूसरी महिला सीएम मिलीं. मुलायम सिंह यादव की सरकार से बसपा के समर्थन वापस लेने के बाद मायावती ने 3 जून 1995 को भाजपा के सहयोग से उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इसके बाद वह 1997 में दोबारा से बीजेपी के सहयोग से मुख्यमंत्री बनीं. 2002 में तीसरी बार मायावती ने सरकार बनाई और इस बार भी वह बीजेपी के सहयोग से सीएम बनीं. हालांकि, साल 2007 में चौथी बार मायावती अपने दम पर पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने में सफल रहीं और पांच साल का कार्यकाल पूरा किया. साल 2012 के विधानसभा चुनाव के हार से बाद से बसपा का ग्राफ डाउन हुआ है. 

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बसपा प्रमुख मायावती

पंजाब की पहली सीएम 
पंजाब में राजिंदर कौर भट्टल को राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव मिला. उन्होंने 21 जनवरी 1996 को पंजाब की मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और 11 फरवरी 1997 तक सीएम रहीं. इस तरह  पंजाब में महिला सीएम के तौर पर भट्ठल का महज 82 दिन का ही कार्यकाल रहा. 

बिहार की महिला सीएम राबड़ी देवी 
राबड़ी देवी को 25 जुलाई 1997 को बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का मौका तब मिला, जब उनके पति लालू प्रसाद यादव ने चारा घोटाले में फंसने के बाद मुख्यमंत्री पद छोड़ा. फिर  1999 से 2000 तक और 2000 से 2005 तक वे सीएम रहीं. साल 2005 में आरजेडी के सत्ता से बाहर होने का बाद से बिहार में नीतीश कुमार का राज कायम है. 

राबड़ी देवी

दिल्ली की सत्ता पर सुषमा और शीला
दिल्ली में पहली पहली महिला मुख्यमंत्री के तौर पर सुषमा स्वराज का नाम दर्ज है. बीजेपी ने दिल्ली में सरकार को बचाने के लिए उन्हें सीएम का ताज सौंपा था, लेकिन प्याज की महंगाई ने उन्हें बेदखल कर दिया. सुषमा स्वराज 12 अक्टूबर 1998 में सीएम बनीं और तीन दिसंबर 1998 तक रहीं. इसके बाद साल 1998 में कांग्रेस को सत्ता मिली तो सीएम का ताज शीला दीक्षित के सिर सजा. शीला दीक्षित लगातार 15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं और साल 2013 के चुनाव में उन्हें केजरीवाल का हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा. 

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एमपी में उमा भारती पहली सीएम 
मध्य प्रदेश में पहली महिला मुख्यमंत्री के तौर पर उमा भारती का नाम दर्ज है. कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के राज को उखाड़कर साल 2003 में बीजेपी का कमल खिलाने का उमा भारती को ही श्रेय दिया गया. वह एमपी की मुख्यमंत्री बनीं, लेकिन साल 2004 में ही उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ गई. 

J-K की पहली महिला CM महबूबा मुफ्ती

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने 4 अप्रैल 2016 को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. दो साल से अधिक समय तक बीजेपी के साथ गठबंधन सरकार चलाने के बाद उन्होंने 19 जून 2018 को इस्तीफा दे दिया था. पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद उन्होंने विरासत संभालते हुए पार्टी की बागडोर अपने हाथ में ले ली थी. विचारधारा में टकराव के चलते बीजेपी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिसके बाद महबूबा को सीएम पद गंवाना पड़ा था.

राजस्थान में वसुंधरा राजे का राज
भाजपा की वसुंधरा राजे को राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव तब मिला जब भाजपा राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हराकर सत्ता में आई. वसुंधरा ने 8 दिसंबर 2003 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 2008 तक रहीं. इसके बाद दोबारा से साल 2013 में सीएम बनीं और 2018 तक रहीं. साल 2018 में चुनाव में बीजेपी के हार के चलते उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी. 

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गुजरात की पहली महिला सीएम
आनंदीबेन पटेल को गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव मिला.  उन्होंने 22 मई 2014 को गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी और 7 अगस्त 2016 तक रहीं. पटेल आरक्षण आंदोलन के चलते बीजेपी ने उन्हें 2017 के चुनाव से ठीक पहले सीएम पद से हटा दिया था और उनकी जगह विजय रुपाणी को सत्ता की कमान सौंप दी.

 

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