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बीजेपी ने सांसदों और मंत्रियों को चुनाव में उतारा, क्या है पार्टी की पश्चिम बंगाल के लिए रणनीति?

बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो, सांसद लॉकेट चटर्जी, निशीथ प्रामाणिक और राज्यसभा सदस्य स्वपन दासगुप्ता को विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाकर उतारा है. बीजेपी ने अपने चार सांसदों को ऐसे ही विधानसभा का प्रत्याशी नहीं दिया बल्कि उनके जरिए बंगाल के चार रीजन के समीकरण साधने की रणनीति के तहत यह दांव खेला है. 

बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रीयो बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रीयो
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 15 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 11:17 AM IST
  • बीजेपी ने चार सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारा
  • विपक्षी दल कर रहे हैं कैंडिडेट न होने की बात
  • बीजेपी की पश्चिम बंगाल जीतने की रणनीति का हिस्सा

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की सियासी जंग में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को घेरने में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है. बीजेपी ने बंगाल चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लिया है. यही वजह कि पार्टी ने केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो, सांसद लॉकेट चटर्जी, निशीथ प्रामाणिक और राज्यसभा सदस्य स्वपन दासगुप्ता को विधानसभा चुनाव  में उम्मीदवार बनाकर उतारा है. बीजेपी ने अपने चार सांसदों को ऐसे ही विधानसभा का प्रत्याशी नहीं दिया बल्कि उनके जरिए बंगाल के चार रीजन के समीकरण साधने की रणनीति के तहत यह दांव खेला है. 

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बीजेपी महासचिव अरुण सिंह ने रविवार को बंगाल चुनाव के लिए 63 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है. पार्टी ने तीसरे चरण के लिए 27 प्रत्याशियों के नाम की घोषणा की है, जबकि चौथे चरण के लिए पार्टी ने 36 उम्मीदवारों के नामों की सूची जारी है. केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो को टॉलीगंज विधानसभा सीट से, हुगली से सांसद लॉकेट चटर्जी को चुंचुड़ा विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. ऐसे ही कूचबिहार से पार्टी के सांसद निसिथ प्रामाणिक को दिनहाटा विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया गया है जबकि राज्यसभा सदस्य स्वपन दासगुप्ता तारकेश्वर सीट से प्रत्याशी होंगे.

बाबुल सुप्रियो के सहारे साउथ 24 परगना पर दांव
बीजेपी ने असनसोल से सांसद और मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बाबुल सुप्रियो को टॉलीगंज विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है. टॉलीगज विधानसभा क्षेत्र दक्षिण 24 परगना जिला और जादवपुर संसदीय क्षेत्र के तहत आता है. यह टीएमसी की परंपरागत सीट मानी जाती है. पिछले तीन चुनाव से लगातार पार्टी यहां से जीत का परचम फहराती आ रही है. ममता बनर्जी के करीबी नेताओं में माने जाने वाले अरूप विश्वास टॉलीगंज सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं और चौथी बार जीत की उम्मीद लेकर मैदान में हैं. लेफ्ट और टीएमसी के बीच अभी तक यहां की चुनावी जंग होती रही हैं, लेकिन बीजेपी ने यहां से अपने बाबुल सुप्रियो को उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. 

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दरअसल, टॉलीगंज विधानसभा का इलाका बंगाली फिल्म उद्योग का केंद्र माना जाता है और अब तक यह सीट टीएमसी के लिए सेफ रही है. यही वजह रही कि बीजेपी ने सांसद बाबुल सुप्रियो को यहां से उम्मीदवार बनाकर इस सीट को भी हाई प्रोफाइल और कड़े मुकाबले का रणक्षेत्र बना दिया है, क्योंकि वो मशहूर गायक हैं और बंगला फिल्म क्षेत्र से भी जुड़े रहे हैं. यही नहीं, बाबुल सुप्रियो बंगाल में बीजेपी के टिकट से उस समय जीतकर आए थे जब पार्टी का राज्य में कोई खास जनाधार नहीं था. टीएमसी के गढ़ टॉलीगंज में सेंधमारी करने के साथ-साथ और दक्षिण 24 परगना जिले में कमल खिलाने की रणनीति के तहत बीजेपी ने बाबुल सुप्रियो पर यह दांव खेला है. 

लॉकेट चटर्जी के सहारे हुगली रीजन पर नजर
बंगाली अभिनेत्री और कमरहाटी लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद लॉकेट चटर्जी को पार्टी ने उनके ही संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाली चुंचुड़ा विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है. यहां लॉकेट चटर्जी का मुकाबला टीएमसी के मौजूदा विधायक असित मजूमदार (तपन) से है. 2016 से पहले चुंचुड़ा सीट पर ऑल इण्डिया फॉरवर्ड ब्लॉक का मजबूत गढ़ माना जाता था. 1982 से लेकर 2011 तक फॉरवर्ड ब्लॉक का कब्जा रहा है और नारायण डे इस सीट से पांच बार विधायक रहे हैं, लेकिन 2016 में टीएमसी के असित मजूमदार हैं. 

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लॉकेट चटर्जी को सासंद होते हुए विधानसभा चुनाव में टिकट देकर प्रत्याशी बनाने का दांव बीजेपी की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. यहां पर हिंदू-मुस्लिम आबादी लगभग बराबर है. 2016 के बाद से इलाके में साम्प्रदायिक तनाव का माहौल कई बार रहा है. लॉकेट चटर्जी की छवि तेज तर्रार महिला नेता की है और 2019 में इसी इलाके से जीतकर सांसद पहुंची हैं. ऐसे में बीजेपी का उनको विधानसभा में उतारना ममता बनर्जी के सामने एक विकल्प पेश करने की रणनीति भी मानी जा रही है. 

कूचबिहार के लिए निसिथ प्रामाणिक
कूचबिहार से बीजेपी के सांसद निसिथ प्रामाणिक को पार्टी ने दिनहाटा विधानसभा सीट से अपने उम्मीदवार बनाया गया है. दिनहाटा विधानसभा सीट निसिथ प्रामाणिक के संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है और पश्चिम बंगाल की काफी अहम सीट मानी जाती है. एक दौर में यह ऑल इण्डिया फॉरवर्ड ब्लॉक का गढ़ माना जाता था, लेकिन 2006 में टीएमसी ने यह सीट छीन ली थी. तब से इस पर उसका ही कब्जा है. 

कूच बिहार जिले के अंतर्गत दिनहाटा विधानसभा सीट अनुसूचित जातीय के लिए आरक्षित है. टीएमसी के उदयन गुहां से दूसरी बार विधायक हैं. 2016 में उन्होंने फॉरवर्ड ब्‍लॉक के प्रत्याशी अक्षय ठाकुर को हराया था. इस पूरे इलाके में दलित और अुनसूचित जनजाति की संख्या काफी अहम है. कूच बिहार इलाके में बीजेपी का अच्छा खासा आधार बन गया है, इसीलिए पार्टी ने मजबूती बनाए रखने और विधानसभा चुनाव में जीत का परचम फहराने के लिए निसिथ प्रामाणिक पर दांव खेला है ताकि पूरे कूच बिहार इलाके में कमल खिल सके. 
 

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टीएमसी के गढ़ में स्वपन दासगुप्ता
बीजेपी ने अपने राज्यसभा सांसद स्वपन दासगुप्ता को बंगाल की तारकेश्वर विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है. यह सीट 2011 के बाद से टीएमसी के लिए काफी अहम और मजबूत मानी जाती है. रचापाल सिंह साल 2011 से लगातार विधायक हैं और हैट्रिक लगाने की तैयारी से मैदान में उतरे हैं. वहीं, बीजेपी से स्वपन दासगुप्ता पहली बार चुनावी राजनीति में किस्मत आजमाने के लिए मैदान में उतरे हैं और पार्टी के काफी महत्वपूर्ण नेता माने जाते हैं. बीजेपी की सरकार आती है तो वह सीएम के प्रबल दावेदारों में से एक हैं. 

तारकेश्वर विधानसभा सीट बंगाल की आरामबाग लोकसभा सीट के तहत आती है. 2019 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी की अपरूपा पोद्दार ने जीत दर्ज की थी और 2016 के चुनाव में इस इलाके की सारी सीटों पर टीएमसी ने कब्जा जमाया था. यही वजह है कि अब बीजेपी अपने दिग्गज नेता स्वपन दासगुप्ता को उतारकर इस पूरे इलाके में मजबूत सियासी आधार बनाना चाहती है. हालांकि, देखना होगा कि बीजेपी का यह ट्रंप कार्ड विधानसभा चुनाव में कितना सफल रहता है?

 

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