
पश्चिम बंगाल के चुनावी रण की बिसात बिछ चुकी है. इस चुनाव में सीएम ममता बनर्जी की परीक्षा तो है ही, ममता के सिपहसालारों की परीक्षा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का मुकाबला करने के लिए ममता ने कई स्टार चेहरों को टिकट दिए. नुसरत जहां और मिमी चक्रवर्ती इस लिस्ट में टॉप थीं. ग्लैमर और स्टार पावर से लैस ये दोनों चेहरे न सिर्फ लोकसभा चुनाव के दौरान सुर्खियां बने, बल्कि चुनाव में जीत के बाद संसद के अंदर और बाहर भी हेडलाइंस में बने रहे. ऐसा कभी इनकी निजी जिंदगी की वजह से हुआ तो कभी राजनीति और धर्म को लेकर दिए गए बयानों के लिए.
इस साल बंगाल विधानसभा चुनाव में इन चेहरों की स्टार पावर की अपने क्षेत्र में लोकप्रियता की परीक्षा है. अगर बात नुसरत जहां की करें तो वह उत्तरी 24 परगना से सांसद हैं. नुसरत जहां के क्षेत्र में विधानसभा की 7 सीटें आती हैं. ममता बनर्जी को इस चुनाव में सबसे बड़ी चुनौती बीजेपी से मिल रही है. नुसरत जहां के सामने चुनौती ये है कि वो इन 7 सीटों को ममता की झोली में देकर बंगाल की सत्ता पर उनकी दावेदारी को मजबूत करें.
नुसरत जहां पश्चिम बंगाल के बशीरहाट लोकसभा सीट की सांसद हैं. इस लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की 7 सीटें हैं. ये सभी सीटें पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में पड़ती है. ये सीटें हैं
1- बदुरिया (विधानसभा क्षेत्र संख्या 99)
2- हरोआ (विधानसभा क्षेत्र संख्या 121)
3- मिनाखान (एससी) (विधानसभा क्षेत्र 122)
4-संदेशखली (एसटी) (विधानसभा क्षेत्र संख्या 123)
5-बशीरहाट दक्षिण (विधानसभा क्षेत्र संख्या 124)
6-बशीरहाट उत्तर (विधानसभा क्षेत्र संख्या 125)
7-हिंगलगंज (एससी) (विधानसभा क्षेत्र संख्या 126)
भौगोलिक-सामाजिक बनावट
उत्तर 24 परगना पश्चिम बंगाल के दक्षिण पश्चिम इलाके में स्थित है. इसके उत्तर-पूर्व में बांग्लादेश का लंबा बॉर्डर है. लिहाजा सुरक्षा की दृष्टि से ये इलाका बेहद संवेदनशील है. यहां जनसंख्या का घनत्व काफी अधिक है. जनसंख्या की दृष्टि से उत्तर 24 परगना बंगाल का सबसे बड़ा और भारत का दूसरा बड़ा जिला है. उत्तर 24 परगना में बांग्लादेश के खुलना से घुसपैठ की समस्या आम है. रिपोर्ट के अनुसार उत्तर 24 परगना जिले के बशीरहाट लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम आबादी कुल जनसंख्या का 50 फीसदी तक है. बता दें कि उत्तर 24 परगना का मुख्यालय बशीरहाट है.
कहां से आया 24 परगना का नाम
मुगल काल में वृहद 24 परगना के क्षेत्र सप्तग्राम प्रशासन के तहत आते थे. 1757 में प्लासी का युद्ध के बाद मीर जाफर को अंग्रेजों ने बंगाल का नवाब बनाया. इसका एहसान चुकाने के लिए मीर जाफर ने 24 परगना (प्रशासनिक इकाई) की जमींदारी ईस्ट इंडिया कंपनी को दे दी. उस समय से इस पूरे इलाके को 24 परगना कहा जाता है. प्रशासनिक नियंत्रण और सुविधा की दृष्टि से अब इसे दो भागों उत्तर और दक्षिण 24 परगना में बांट दिया गया है.
2016 के नतीजे
2016 में बदुरिया सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार की जीत हुई थी, जबकि टीएमसी कैंडिडेट दूसरे स्थान पर रहे थे. हरोआ सीट पर 2016 में तृणमूल कांग्रेस के कैंडिडेट की जीत हुई थी जबकि सीपीएम प्रत्याशी रनर अप रहे थे. मिनाखान सीट की बात करें तो यहां भी TMC कैंडिडेट ने जीत हासिल की थी, जबकि सीपीएम कैंडिडेट दूसरे स्थान पर रहे थे. संदेशखली सीट पर भी ममता का असर देखने को मिला था और ये सीट टीएमसी के खाते में गई थी.
बशीरहाट दक्षिण सीट पर टीएमसी उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी, लेकिन यहां पर बीजेपी ने दूसरा स्थान लाकर सीपीएम को चौंका दिया था. बशीरहाट उत्तर सीट पर सीपीएम ने कब्जा जमाया था. यहां टीएमसी उम्मीदवार को 492 वोटों से हार मिली थी. हिंगलाज सीट पर TMC का उम्मीदवार विजयी हुआ था.
7 में 5 सीटें TMC की झोली में
नुसरत जहां के इलाके में जो सात सीटें आती हैं 2016 में वहां TMC का स्ट्राइक रेट शानदार रहा. पार्टी ने 7 में से 5 सीटें जीतने में कामयाबी पाई.
इस बार नुसरत के सामने चुनौती पार्टी उम्मीदवारों को मदद करने और पिछला प्रदर्शन कायम रखने में मदद देने की है. भारतीय जनता पार्टी इस बार बंगाल का चुनावी रण हाई पिच कैम्पेन के साथ लड़ रही है. बीजेपी ने 'जय श्रीराम', CAA, कट मनी, करप्शन, तोलाबाजी जैसे मुद्दों को उठा कर लगातार हमले कर रही है, तो ममता भी बीजेपी को काउंटर करने के लिए बाहरी, मां दुर्गा, सरस्वती पूजा जैसे मुद्दों का सहारा ले रही हैं. इससे यहां मतदाताओं की गोलबंदी देखने को मिल रही है,
इसका असर उत्तर 24 परगना की राजनीति में भी देखने को मिल रहा है. सरस्वती पूजा में बीजेपी ने 2 रुपये में सरस्वती की प्रतिमा लोगों के बीच में बांटा. इसके अलावा यहां लगातार हिंसा की खबरें मिल रही है. मिनाखान में 14 फरवरी को बीजेपी नेता फिरोज कमल पर हुआ, हमलावरों ने उन पर गोलियां चलाईं और बमों से हमला किया. गंभीर रूप से घायल फिरोज कमल का अस्पताल में इलाज चल रहा है.
'जय श्रीराम' पर नुसरत का जवाब
टीएमसी के दूसरे नेताओं से जुदा धाराप्रवाह हिंदी बोलने वाली टीएमसी नेत्री नुसरत का कहना है कि सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में जय श्रीराम का नारा बीजेपी ने चिढ़ाने के लिए लगाया था. उनका कहना है कि आप राम का नाम गले लगा कर लीजिए, न कि गले दबाकर और अगर आप जय श्री राम का नाम लेते हैं तो दूसरे भगवान का भी नाम लीजिए. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने एक सांस्कृतिक कार्यक्रम को राजनीतिक कार्यक्रम बना दिया.
शादी और पोशाक को लेकर कट्टरपंथियों का निशाना
टीएमसी में रहने के बावजूद नुसरत जहां बंगाल में टीएमसी के कोर वोट बैंक रहे मुस्लिम समुदाय के निशाने पर रही हैं. उन्हें अपनी शादी, कपड़ों और वेशभूषा की पसंद को लेकर कट्टरपंथियों का विरोध झेलना पड़ा है.
नुसरत ने 2019 में चुनाव जीतने के बाद 19 जून 2019 को निखिल जैन नाम के युवक से शादी की थी, इसके लिए उन्हें विरोध झेलना पड़ा. इसके बाद वह संसद में सिंदूर और मंगलसूत्र पहनकर गईं थी इस पर भी उन्हें विरोध झेलना पड़ा.
दुर्गा पूजा में जब नुसरत जहां सिंदूर खेला में शामिल हुईं और सिंदूर लगाईं तो एक बार फिर उनपर जुबानी हमला हुआ था. मुस्लिम धर्मगुरुओं ने उनके इस काम को हराम बताया था.
निजी जिंदगी में 'ऑल इज नॉट वेल'
पब्लिक लाइफ में विवादों के बीच रास्ता बनाने वाली नुसरत जहां की निजी जिंदगी भी पिछले कुछ महीनों में उथल पुथल रही है. मीडिया में खबरें आईं कि नुसरत जहां और उनके पति निखिल जैन के बीच 'ऑल इज नॉट वेल' जैसा मामला है. इस बीच दिसंबर में नुसरत जहां बांग्ला अभिनेता यश दासगुप्ता के साथ दक्षिणेश्वर मंदिर में देखी गई थीं. यश दासगुप्ता के साथ साड़ी में नुसरत की ये तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल हो गई थीं.
BJP में शामिल हुए नजदीकी दोस्त
अब 17 फरवरी को यश दासगुप्ता बीजेपी में शामिल हो गए हैं. क्या इससे राजनीतिक रूप से नुसरत के लिए असहज स्थिति पैदा हो गई है? ये वो सवाल है जिसका सामना नुसरत को पत्रकारों के साथ अगली मीटिंग में करना पड़ेगा. हालांकि इंडिया टुडे पर एक चर्चा के दौरान नुसरत ने कहा था कि वो निजी रिश्तों के बीच में राजनीति नहीं आने देंगी. नुसरत जहां कहती हैं कि ये उनकी निजी जिंदगी के मसले हैं और इसकी वह पब्लिक प्लेटफॉर्म पर चर्चा नहीं करेंगी.
निजी संबंधों और इसके राजनीतिक परिणाम पर पर नुसरत ने कुछ महीने पहले कहा था कि लोग हमेशा मेरा ट्रायल करते रहे हैं, लेकिन मैं इस पर कुछ नहीं बोलूंगी, जनता मेरे काम के लिए मुझे जज कर सकती है, यह अच्छा हो या खराब.
सियासत में नुसरत की छवि उनके लिए पॉजिटिव भी है और निगेटिव भी
बंगाल में हिंसा, धुव्रीकरण और वोटों की गोलबंदी के बीच में नुसरत से ममता बनर्जी को बड़ी उम्मीद है. वो न सर्फ पार्टी की सांसद हैं बल्कि क्राउड पुलर नेता भी हैं. टॉलीवुड की अभिनेत्री होने की वजह होने से लोगों के बीच उनका सहज आकर्षण है. टीएमसी मुस्लिम समुदाय की नेत्री नुसरत के चेहरे को अल्पसंख्यक युवाओं के बीच ले जा रही हैं, लेकिन नुसरत की दिक्कत उनकी आजाद छवि है.
शादी, धर्म पर बेबाक बोलती हैं, दिल की कहती हैं..
शादी, धर्म, रिलेशनशिप जैसे मुद्दों पर दो टूक और खरी-खरी बोलने वाली नुसरत जहां लगातार कट्टरपंथियों के निशाने पर आ जाती हैं, तब वो वोट की चिंता किए बिना बेबाक बोलती हैं और अपने दिल की कहती हैं. लेकिन बंगाल और बशीरहाट का उनका मतदाता, जिसका कि एक बड़ा हिस्सा मुस्लिम है, उनके बयानों को कितना तवज्जो देता है, इस पर राजनीतिक पंडितों की नजर जरूर रहेगी.
ये देखना भी दिलचस्प होगा कि बीजेपी के धुआंधार प्रचार के बीच राजनीति को गेम चेंजर बताने वालीं नुसरत हैट्रिक बनाने में जुटीं ममता के लिए कितना वोट ला पाएंगी.