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बंगाल में अब्बास सिद्दीकी और ISF से गठबंधन पर कांग्रेस में क्यों मचा घमासान?

कांग्रेस पार्टी ने इस बार बंगाल चुनाव में लेफ्ट पार्टियों के साथ-साथ अब्बास सिद्दीकी से हाथ मिलाया है. बस इसी मसले को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में बयानबाजी का दौर चल पड़ा है, जिसके बाद पार्टी की कलह अब सबके सामने है.

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने गठबंधन पर उठाए सवाल (PTI) कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने गठबंधन पर उठाए सवाल (PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 02 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 12:28 PM IST
  • बंगाल चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी में रार
  • अब्बास सिद्दीकी से गठबंधन पर आनंद शर्मा का सवाल

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव का दंगल शुरू होने से पहले कांग्रेस पार्टी में आर-पार की जंग शुरू हो गई है. कांग्रेस पार्टी ने इस बार बंगाल चुनाव में लेफ्ट पार्टियों के साथ-साथ अब्बास सिद्दीकी से हाथ मिलाया है. बस इसी मसले को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में बयानबाजी का दौर चल पड़ा है, जिसके बाद पार्टी की कलह अब सबके सामने है.

बंगाल में कांग्रेस किसके साथ?
बता दें कि इस बार भी कांग्रेस पार्टी बंगाल में लेफ्ट पार्टियों के सहारे चुनावी मैदान में उतर रही है. लेकिन लेफ्ट-कांग्रेस के गठबंधन से इतर जो व्यक्ति सुर्खियां बटोर रहा है, वो अब्बास सिद्दिकी हैं. अब्बास सिद्दीकी की अगुवाई वाले इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) इस बार चुनाव में करीब 30 सीटों पर मैदान में होंगे. कांग्रेस-लेफ्ट और ISF की तिकड़ी ने बीते दिनों एक चुनावी सभा कर अपनी ताकत भी दिखाई थी.

कांग्रेस के अंदर ही मच गया घमासान
बीते दिन ही राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने कुछ ट्वीट किए, जिसके बाद उन्होंने बंगाल में कांग्रेस और ISF के बीच हुए गठबंधन को निशाने पर ले लिया. आनंद शर्मा ने सवाल किया कि ISF के साथ गठबंधन कांग्रेस की मूल विचारधारा से अलग है. 

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने लिखा कि सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस चयनात्मक नहीं हो सकती है. हमें सांप्रदायिकता के हर रूप से लड़ना है. पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की उपस्थिति और समर्थन शर्मनाक है, उन्हें अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए. 

जब आनंद शर्मा जैसे वरिष्ठ नेता ने गठबंधन पर सवाल खड़े किए, तो पार्टी में घमासान मचना तय था. जवाब देने के लिए खुद अधीर रंजन चौधरी ने ही मोर्चा संभाला, उन्होंने कहा कि जो भी फैसला लिया गया है वो आलाकमान के निर्देश के बाद ही लिया गया है. अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि अगर कोई पार्टी को मजबूत करना चाहता है, तो वो पांच राज्यों में प्रचार करे, ना कि ऐसे बयान दे जिससे बीजेपी को फायदा हो.

कौन हैं अब्बास सिद्दीकी, जिनसे गठबंधन में दिक्कत?
आपको बता दें कि अब्बास सिद्दीकी बंगाल की राजनीति में खासा प्रभाव रखते हैं. फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने इस बार चुनावी राजनीति में उतरने का फैसला लिया, तभी से वो सुर्खियों में बने हुए हैं. बंगाल में करीब 30 फीसदी से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं, वहीं फुरफुरा शरीफ दरगाह का असर सौ सीटों पर माना जाता है. यही कारण है कि अब्बास सिद्दीकी के हर कदम पर सभी की नज़रें हैं.

लेकिन, अपने कई बयानों के कारण अब्बास सिद्दीकी सुर्खियों में बने रहते हैं. कट्टरता, महिला विरोधी बयान के कारण वो विवादों में भी आए हैं यही कारण है कि गठबंधन को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं.

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बीते दिन लेखिका तस्लीमा नसरीन ने भी अब्बास सिद्दीकी को लेकर ट्वीट किया था. उन्होंने लिखा था कि अब्बास सिद्दीकी ना विज्ञान को मानते हैं, महिलाओं को समान अधिकार देने का भी विरोध करते हैं और ना ही फ्री स्पीच का समर्थन करते हैं. तस्लीमा का कहना था कि अब्बास सिद्दीकी शरिया कानून को मानते हैं.

बंगाल में आसान नहीं है कांग्रेस की राह?
बता दें कि कांग्रेस पार्टी के लिए बंगाल की राह आसान नहीं है, क्योंकि इस बार भी कांग्रेस, लेफ्ट पार्टियों के साथ चुनावी मैदान में हैं. वहीं, केरल में कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां आमने-सामने सामने हैं. बीते दिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी लेफ्ट के साथ साझा रैली में शामिल नहीं हुए थे, बताया जा रहा था कि अभी गठबंधन में सीटों को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ है. 

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