
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर गुरुवार यानी 4 मार्च को सुबह से लेकर आधी रात तक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं की बैठकों का दौर चलता रहा. बंगाल चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम पर केंद्रीय चुनाव कमेटी ने भी माथापच्ची की. सीईसी की बैठक के बाद बीजेपी के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि 60 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम फाइनल कर लिए गए हैं.
कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि बंगाल में बीजेपी सीएम कैंडिडेट के बगैर चुनाव में जाएगी. हम सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे. चुनाव नतीजे आने के बाद सीएम को लेकर फैसला लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि हम उस राज्य में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं करते, जिस राज्य में हमारी सरकार नहीं होती. विजयवर्गीय ने कहा कि नंदीग्राम से शुभेंदु अधिकारी और बाबुल सुप्रियो ने भवानीपुर से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है.
उन्होंने कहा कि इसपर निर्णय पार्टी हाईकमान लेगा. भवानीपुर से सुप्रियो के अलावा 10 अन्य नेताओं ने भी चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है. पार्टी देखेगी कि क्या करना है. बीजेपी के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि सांसद चुनाव लड़ेंगे या नहीं, इसे लेकर हमने अभी कोई अंतिम फैसला नहीं किया है. जरूरत पड़ने पर हम फैसला करेंगे.
मुकुल रॉय के चुनाव लड़ने को लेकर बीजेपी के बंगाल प्रभारी ने कहा कि रॉय ने अभी तक चुनाव लड़ने की इच्छा जताई नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर मुकुल रॉय चुनाव लड़ने की इच्छा जताते हैं तो पार्टी जरूर विचार करेगी. दूसरी तरफ, बीजेपी सूत्रों की मानें तो सीईसी की मीटिंग के दौरान नंदीग्राम समेत करीब 15 सीटों को लेकर अंतिम फैसला पीएम मोदी, अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पर छोड़ दिया गया.
बीजेपी नेताओं को पीएम की नसीहत
सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी ने बैठक में बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष, शुभेंदु अधिकारी, राजीव बनर्जी और अन्य नेताओं से बंगाल के माहौल, जनता के मूड को लेकर जानकारी ली. बैठक में शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि अगर नंदीग्राम से उनको ममता बनर्जी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा जाता है तो वे कम से कम 50 हजार वोट से चुनाव जीतकर आएंगे. बैठक में पीएम मोदी ने बंगाल के नेताओं से यह भी कहा कि ममता बनर्जी या उनकी पार्टी के नेता जैसी भी भाषा का इस्तेमाल करें या बयान दें, बीजेपी नेता अपनी भाषा में मर्यादा का ध्यान रखें और बेवजह के बयान ना दें.