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Bengal Election: घरेलू सहायिका कलिता मांझी को बीजेपी से टिकट, चुनाव के लिए ली एक महीने की छुट्टी

कलिता चार घरों में सहायिका का काम करती हैं और महीने में 2,500 रुपए कमाती हैं. लेकिन टिकट मिलने के बाद चुनाव प्रचार पर ध्यान केंद्रित करने और अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों तक पहुंचने के लिए कलिता ने काम से एक महीने की छुट्टी ले ली है.

घरेलु सहायिका कलिता मांझी को बीजेपी ने औसग्राम से टिकट दिया है. घरेलु सहायिका कलिता मांझी को बीजेपी ने औसग्राम से टिकट दिया है.
aajtak.in
  • कोलकाता,
  • 23 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 10:48 AM IST
  • कलिता को बीजेपी ने पूर्वा बर्दवान जिले में स्थित औसग्राम निर्वाचन क्षेत्र से टिकट दिया
  • कलिता चार घरों में सहायिका का काम करती हैं और महीने में 2,500 रुपये कमाती हैं

पश्चिम बंगाल में चुनाव को देखते हुए वहां सभी राजनीतिक दल अपना दमखम दिखाने मैदान में उतर चुके हैं. ऐसे में जहां कई धनवान लोग चुनावी रण में शामिल हुए हैं वहीं बीजेपी ने एक घरेलू सहायिका कलिता मांझी और मनरेगा मजदूर चंदना बौरी को टिकट देकर समीकरण बदल दिए हैं. ऐसे में जहां एक तरफ नेताओं के बड़े-बड़े बयान सामने आ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ सभी की नजर पार्टी के इन दोनों प्रत्याशियों पर भी बनी हुई है. कलिता मांझी की बात करें तो वो पांच साल से राजनीति में एक्टिव हैं, लेकिन बीजेपी द्वारा टिकट दिए जाने के बाद उनका जीवन काफी बदल गया है.  

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कलिता को बीजेपी ने पूर्वा बर्दवान जिले में स्थित औसग्राम निर्वाचन क्षेत्र से टिकट दिया है. कलिता चार घरों में सहायिका का काम करती हैं और महीने में 2,500 रुपये कमाती हैं. लेकिन टिकट मिलने के बाद चुनाव प्रचार पर ध्यान केंद्रित करने और अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों तक पहुंचने के लिए कलिता ने काम से एक महीने की छुट्टी ले ली है. वहीं उनके पति पति सुब्रतो माझी प्लंबर का काम करते हैं.
 

 

गुसकड़ा नगरपालिका के वार्ड नंबर 3 में उनकी छोटी सी झोपड़ी है. अन्य परिवारों के साथ एक तालाब के पास एक झोपड़ी में रहने वाली कलिता मांझी कहती हैं कि मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मुझे यह अवसर मिलेगा. अब मैं चुनाव पर ध्यान केंद्रित कर रही हूं और मुझे टिकट देने के साथ विजयी होने का आशीर्वाद भी प्रदान किया गया है. मैं पूरी कोशिश करूंगी कि क्षेत्र की जनता से मिलकर अपने लिए वोट का आग्रह कर सकूं. 

एक अस्पताल का निर्माण कराना है फोकस

कलिता का कहना है कि घरेलू सहायिका होने से उन्हें आम आदमी के मुद्दों और गरीब परिवारों की दुर्दशा को समझने में मदद मिली है. अगर वह जीत जाती है तो उनके परिवार और पड़ोसियों को उम्मीद है कि वह आम जनमानस के मुद्दों पर काम कर विकास की शुरुआत करेंगी. कलिता का कहना है कि उनका फ़ोकस अपने गांव के लोगों की मदद करने के लिए एक अस्पताल का निर्माण कराना है, ताकि जो लोग चिकित्सा सुविधा प्राप्त करने के लिए बर्दवान शहर जाते हैं उन्हें यह सफर नहीं करना पड़े.  वहीं बुनियादी ढांचे के विकास और रोजगार के अवसरों जैसे अन्य मुद्दे भी उनकी सूची में शामिल हैं. 

परिजनों ने दी शुभकामनाएं

कलिता के पति सुब्रत प्लंबर का काम करते हैं. वहीं कलिता का एक पुत्र पार्थ आठवीं कक्षा में पढ़ रहा है. परिवार का कहना है कि वो सभी बहुत खुश हैं कि पार्टी ने कलिता को यह मौका दिया. परिजनों का कहना है कि कलिता से यही कहेंगे कि वो बेहतर करे और अपनी जीत दर्ज करे. 

 

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