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पश्चिम बंगाल में 'लाल किले' को बचाने की जुगत में लेफ्ट फ्रंट, इस बार युवा चेहरों पर है जोर

युवाओं के प्रति लेफ्ट फ्रंट के बढ़ते रुझान की वजह पिछले कई सालों में वाम मोर्चा का बंगाल में ध्वस्त होता 'लाल किला' बताया जा रहा है. इसके अलावा लेफ्ट फ्रंट को उम्मीद है कि युवा चेहरों के जरिए युवा वोटर्स को पार्टी की तरफ वापस लाया जा सकता है. इस बार बंगाल के चुनावी परिणाम में युवा वोटर्स बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.

लेफ्ट का युवा चेहरों को टिकट देने पर जोर (फाइल फोटो-PTI) लेफ्ट का युवा चेहरों को टिकट देने पर जोर (फाइल फोटो-PTI)
अनुपम मिश्रा
  • कोलकाता,
  • 05 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 11:45 AM IST
  • नेताओं का फोकस टिकट बंटवारे पर
  • लेफ्ट का युवाओं को टिकट देने पर जोर
  • लेफ्ट पार्टी में सिर्फ 16% युवा सदस्य

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. अब पार्टियों और नेताओं का फोकस टिकट बंटवारे पर है. वाम मोर्चा भी शुक्रवार को विधानसभा उम्मीदवारों की अपनी लिस्ट जारी कर सकता है. बताया जा रहा है कि लेफ्ट फ्रंट फिलहाल पहले और दूसरे चरण के लिए उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने वाला है. हालांकि इस बार लेफ्ट फ्रंट की ओर से युवा उम्मीदवारों को टिकट देने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है.

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युवाओं के प्रति लेफ्ट फ्रंट के बढ़ते रुझान की वजह पिछले कई सालों में वाम मोर्चा का बंगाल में ध्वस्त होता 'लाल किला' बताया जा रहा है. इसके अलावा लेफ्ट फ्रंट को उम्मीद है कि युवा चेहरों के जरिए युवा वोटर्स को पार्टी की तरफ वापस लाया जा सकता है. इस बार बंगाल के चुनावी परिणाम में युवा वोटर्स बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.

युवा छात्र नेताओं को तरजीह देगी वाममोर्चा

पिछले कई सालों में पश्चिम बंगाल में वाममोर्चा की हालत इतनी खस्ता हो गई है कि अब पार्टी मेंबर्स की संख्या महज 1,60,000 रह गई है. इसमें भी सिर्फ 16% युवा सदस्य हैं. ऐसे में वाममोर्चा ने इस बार तय किया है कि 70% सीटों पर 50 से कम उम्र के लोगों को टिकट दिया जाएगा. इसके साथ ही ज्यादा से ज्यादा कोशिश की जाएगी कि युवा छात्र नेताओं को टिकट दिया जाए.

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वरिष्ठ वाम नेता ने भी की इस बात की तस्दीक

अगर वोट शेयर के हिसाब से देखें तो पिछले 11 सालों में लेफ्ट फ्रंट का वोट शेयर 40 प्रतिशत से 5 प्रतिशत पर आ गया है. पिछले लोकसभा चुनाव में तो वाम मोर्चा को एक भी सीट नहीं मिली थी.

यही वजह है कि लेफ्ट फ्रंट को पुनर्जीवित करने के लिए इस बार पुराने उम्मीदवारों के साथ युवा और प्रतिभाशाली वामपंथियों को भी मौका दिया जाएगा. इस बात की तस्दीक वरिष्ठ वामपंथी नेता मनोज भट्टाचार्य ने भी की. उनके मुताबिक इस बार वाम उम्मीदवारों की सूची नए और पुराने चेहरों का मिश्रण होगी.

सीटों के बंटवारे पर नहीं हो पाया है अंतिम निर्णय

अभी तक तीसरे मोर्चे में सीटों के बंटवारे पर अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है. इसमें अभी और समय लगने की बात कही जा रही है. लेफ्ट फ्रंट ने अपनी सीटों में से 30 सीट आईएसएफ को देने का ऐलान किया है और कांग्रेस से उम्मीद की जा रही है की वह अपनी 92 सीट में से 8 सीट आईएसएफ को दे. लेकिन कांग्रेस अभी इस बात पर राजी नहीं है.

इन युवा चेहरों के चुनाव लड़ने की चर्चा है तेज

लेफ्ट फ्रंट इस बार के चुनावों में कई ऐसे युवा चेहरों को टिकट देने पर विचार कर रही है जो चर्चित चेहरे हैं. इन युवा उम्मीदवारों की लिस्ट में जेएनयू छात्र संघ नेता आइशी घोष का नाम भी है. चर्चा है कि आइशी घोष को उनके होमटाउन दुर्गापुर से टिकट दिया जा सकता है.

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इसके अलावा एसएफआई नेता दिपशिता धर हैं. जिन्हें हावड़ा के बाली से टिकट मिल सकता है. युवा नेता शतरुप घोष को कसबा से टिकट दिया जा सकता है. लेफ्ट फ्रंट को पुनर्जीवित करने के लिए बहुत समय से ही मांग हो रही थी कि युवा चेहरों को चुनावी मैदान में लाया जाए. बंगाल में ध्वस्त होते 'लाल किले' में युवा चेहरों का रंग बेहद जरूरी है पर शायद इस सोच में देरी लेफ्ट फ्रंट को महंगी पड़ रही है.

पिछले विधानसभा चुनाव में 32 सीट जीता था लेफ्ट फ्रंट

2016 में हुए विधानसभा चुनावों की बात करें तो टीएमसी की सुनामी में भी लेफ्ट फ्रंट ने 32 सीटें जीत ली थीं. इसमें से सीपीएम ने 25 सीटें, एआईएफबी ने 2, आरएसपी ने 3, सीपीआई ने 1 और एमएफबी ने 1 सीट जीती थी. इस बार लेफ्ट फ्रंट ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है. ऐसे में अब देखना होगा कि ये चुनावी गठजोड़ कितना मजबूत होकर खड़ा हो पाता है.

 

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