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ममता बनर्जी ने भाजपा पर बोला हमला- जो बंदूकों से लड़ी हो, उसे चूहों से डर नहीं लगता!

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, मैं उनको बता देना चाहती हूं कि वे मुझे गिरा नहीं सकते. मैं जब तक जिंदा हूं मैं किसी भी धमकी से नहीं डरने वाली. आपको पता है मेरी इस एरोगेंस (गुस्से) के पीछे क्या कारण है? ये मेरी मातृभाषा बंगाली है, जिसने मुझे एक शेरनी की तरह लड़ना सिखाया है जिसे बिल्ली के आगे झुकना नहीं सिखाया गया. जो बंदूकों से लड़ी हो उसे चूहों से डर नहीं लगता.

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (फाइल फोटो) बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • कोलकाता,
  • 21 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 11:42 PM IST
  • 'हमेशा बंगालियों को गिराने की कोशिश रही'
  • 'मेरा गुस्सा मुझे मेरी मातृभाषा बांग्ला से मिला है'
  • 'मैं जब तक जिंदा हूं तब तक डरने वाली नहीं'

बंगाल में इस समय एक तकियाकलाम बहुत मशहूर हो रहा है, जिसे हर पार्टी, कार्यकर्ता उपयोग कर रहे हैं. जिसे बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी बार-बार दोहराया है. एक कार्यक्रम में मातृभाषा को सेलिब्रेट करते हुए ममता बनर्जी ने कहा 'एकुशे खेला होबे (Ekuseh Khela Hobe) यानी 2021 में भी खेल जारी है.

खेला होबे तकियाकलाम की शुरुआत, तृणमूल कांग्रेस के बीरभूम जिले के अध्यक्ष अनुब्रत मंडल ने की थी. जिसे ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने भी खूब मशहूर किया, इसे भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने भी खूब इस्तेमाल किया है. अब इस मुहावरे पर खूब मीम्स और गाने-वीडियोज भी बन रहे हैं. रविवार के दिन ममता बनर्जी ने कहा '2021 में भी गेम जारी है. मैं इस गेम की गोल कीपर रहूंगी, चाहे मुझे गिरफ्तार कर लिया जाए. मैं वैसे ही जय बंगाल (Joy Bengal) का नारा लगाती रहूंगी जैसे बंगबंधु लगाया करते थे.''

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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आगे कहा  ''मैं उनको बता देना चाहती हूं कि वे मुझे गिरा नहीं सकते. मैं जब तक जिंदा हूं मैं किसी भी धमकी से नहीं डरने वाली. आपको पता है मेरी इस एरोगेंस (गुस्से) के पीछे क्या कारण है? ये मेरी मातृभाषा बंगाली है, जिसने मुझे एक शेरनी की तरह लड़ना सिखाया है जिसे बिल्ली के आगे झुकना नहीं सिखाया गया. जो बंदूकों से लड़ी हो उसे चूहों से डर नहीं लगता.''

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बंगाली लोगों के साथ होने वाले भेदभाव के बारे में आरोप लगाते हुए कहा कि ''हमेशा बंगालियों को नीचे गिराने का काम किया गया है. वे चाहे सुभाष चंद्र बोस हों ,चाहे श्यामाप्रसाद मुखर्जी हों, चाहे रामकृष्ण हों.''

ममता बनर्जी ने ये भी कहा कि 'कुछ लोग (दिल्ली भाजपा) ऐसे हैं जो कहते हैं कि उन्हें पता है कि बंगाल की रीढ़ की हड्डी को कैसे तोड़ना है. हमारी आंखों को नोंच लेना और हमारी रीढ़ की हड्डी को तोड़ देना आसान नहीं है. मैं आप सभी से रिक्वेस्ट करती हूं कि जब भी फोन पर जवाब देना हो तो हेलो नहीं कहें बल्कि 'जय बंगला' कहें'' (इनपुट-सूर्याग्नी)

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