
स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पड़पोते चंद्र बोस तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की उस मांग से सहमत हैं जिसमें पार्टी के सांसद सुखेंदु शेखर राय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र के जरिए मांग की है कि नेताजी की मौत के बारे में खुलासा किया जाना चाहिए.
नेताजी के पड़पोते चंद्र बोस ने भी मांग की है कि 'ए हिस्ट्री ऑफ इंडियन नेशनल आर्मी' का डिक्लासिफिकेशन किया जाना चाहिए. बोस परिवार और कुछ अन्य कार्यकर्ताओं ने 2016 में भी कुछ इसी तरह की मांग को लेकर केंद्र सरकार को पत्र लिखा था.
चंद्र बोस ने कहा, 'प्रोफेसर पीसी गुप्ता ने एक किताब लिखी और अपने पेपर्स जमा कर दिए लेकिन पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया. मुझे नहीं पता ऐसा क्यों किया गया. इसे रक्षा अभिलेखागार की एक तिजोरी में रखा गया है. मैंने निवेदन किया कि इसे डिक्लासिफाइड और प्रकाशित किया जाना चाहिए. हम INA के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं.'
एनडीए सरकार जारी क्यों नहीं कर रहीः चंद्र बोस
उन्होंने आगे कहा, 'नेताजी के गायब होने के एंगल पर एक अलग चैप्टर भी है. ये बातें सामने आनी चाहिए. पता नहीं एनडीए सरकार ने भी इसे जारी क्यों नहीं किया. ऐसी कुछ चीजें भी हो सकती हैं, जिन्हें वर्तमान सरकार भी बताना नहीं चाहती है. मुझे लगता है कि सब कुछ सामने आना चाहिए, और लोगों को न्याय करने देना चाहिए.'
चंद्र बोस से पहले टीएमसी के राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर राय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि नेताजी की 125वीं वर्षगांठ से पहले उनकी मौत के बारे में खुलासा किया जाए.
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टीएमसी सांसद शेखर राय ने दावा किया कि 'ए हिस्ट्री ऑफ इंडियन नेशनल आर्मी 1942-45' में इस बात का खुलासा है कि नेताजी की मौत कैसे हुई है. उनका दावा है कि इस किताब के पेज नंबर 186 से लेकर 192 के बीच सबसे विवादित चीज लिखी हुई है उनकी मृत्यु प्लेन क्रैश से नहीं हुई. यह किताब साल 1949 में लिखी गई थी.
यह किताब रक्षा मंत्रालय के इतिहास विभाग की ओर से प्रसिद्ध इतिहासकार प्रफुल्ल चंद्र गुप्ता की अगुवाई में 1949-50 में लिखी गई. अब टीएमसी नेता की ओर से सार्वजनिक करने की मांग की गई है. इस मांग में नेताजी के पड़पोते भी शामिल हो गए हैं.