
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के बागी नेता और परिवहन मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने हुगली रिवर ब्रिज कमीशन (HRBC) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. शुभेंदु अधिकारी ने ये इस्तीफा ऐसे समय दिया है जब उनके सियासी भविष्य को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं क्योंकि काफी समय से वे पार्टी से नाराज चल रहे हैं और बगावत का बिगुल फूंक चुके हैं.
हुगली रिवर ब्रिज कमीशन पश्चिम बंगाल में परिवहन विभाग के ही तहत एक संवैधानिक निकाय है. इसकी स्थापना 1969 में की गई थी. प्रतिष्ठित विद्यासागर सेतु के निर्माण का श्रेय एचआरबीसी को ही जाता है जो कि देश का सबसे लंबा केबल ब्रिज है. इस पुल का उद्घाटन 1992 में हुआ था.
तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी को एचआरबीसी का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. बनर्जी को यह पद दूसरी बार मिला है.
बीजेपी में जाने की अटकलें
शुभेंदु अधिकारी के राजनीतिक भविष्य को लेकर चल रही अटकलों के बीच उनके इस्तीफे की ये खबर चौंकाने वाली है क्योंकि राज्य के राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा है कि वे तृणमूल कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में जा सकते हैं. हालांकि, पूर्वी मिदनापुर जिले के दिग्गज नेता शुभेंदु अभी अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं और संस्पेंस बना कर रखा है.
पिछले हफ्ते अधिकारी ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा था, “मैं अब भी पार्टी का प्राथमिक सदस्य हूं. मैं अब भी कैबिनेट में हूं. न तो मुख्यमंत्री ने मुझे निकाला है और न मैंने रिजाइन किया है.”
हाल में शुभेंदु पार्टी के कई आयोजनों और यहां तक कि सीएम ममता बनर्जी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठकों में भी अनुपस्थित रहे हैं. इस दौरान वे अपने गढ़ पूर्वी मिदनापुर में बगैर किसी बैनर के राजनीतिक रैलियां आयोजित करते रहे हैं.
बीते 10 नवंबर को शुभेंदु ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा था, “आपको जंग के मैदान में देखेंगे...” शुभेंदु के समर्थक राज्य भर में पोस्टर लगा रहे हैं, "आमरा दादा अनुगामी" यानी "हम दादा के अनुयायी हैं".
पावर सेंटर के तौर पर उभरे हैं
सांसद के तौर पर लो-प्रोफाइल रहे शुभेंदु अधिकारी अपने सांगठनिक कौशल की वजह से टीएमसी में एक वैकल्पिक पावर सेंटर के तौर पर उभरे हैं. दो बार सांसद रह चुके शुभेंदु नंदीग्राम आंदोलन के दौरान सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने ममता बनर्जी के लिए जन समर्थन जुटाने के लिए काफी मेहनत की थी.
तृणमूल के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि शुभेंदु कुछ समय से उपेक्षित महसूस कर रहे थे क्योंकि अभिषेक बनर्जी (ममता बनर्जी के भतीजे) ने पार्टी संगठन पर निंयत्रण की कोशिशें शुरू कर दी हैं. विभिन्न जिलों में संगठन को मजबूत करने में कड़ी मेहनत करने वाले शुभेंदु को यह बात नागवार गुजरी है.