
पश्चिम बंगाल में अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचलें तेज हो गई हैं. बीजेपी बंगाल की सत्ता में आने के लिए बेताब है तो टीएमसी अपनी सत्ता बचाए रखने की कवायद में जुटी है. ममता बनर्जी सियासी रणभूमि में उतरकर अपने राजनीतिक समीकरण दुरुस्त कर रही हैं. उनका फोकस उन इलाकों और जातीय समीकरणों पर है, जिसपर बीजेपी नजर टिकाए हुए है.
पश्चिम बंगाल में कमल खिलाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस महीने के शुरू में ही दो दिवसीय राज्य दौरे की शुरुआत आदिवासियों के गढ़ बांकुड़ा जिले से की थी. अमित शाह के दौरे के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी बांकुड़ा में चार दिन गुजारे. इस दौरान ममता ने आदिवासियों ही नहीं बल्कि कूचबिहार के राजबंशी समाज, 24 परगना इलाके के मतुआ समाज व हिंदी भाषियों के बीच भी अपनी पैठ बनाने की कोशिश की.
राजबंशी समुदाय को साधने का प्लान
अमित शाह ने बांकुड़ा के जिस रवींद्र भवन में बीजेपी नेताओं के साथ सांगठनिक बैठक की थी, ममता बनर्जी ने भी उसी जगह पर बैठक कर राजबंशी नेता व समाज सुधारक पंचानन वर्मा के जन्मदिन पर सरकरी छुट्टी का ऐलान किया. पंचानन वर्मा को ठाकुर पंचानन और रॉय साहब के नाम से भी जाना जाता है. बंगाल के कूचबिहार सहित कुछ जिलों में राजबंशी समुदाय के लोगों का खासा प्रभाव है. कूचबिहार इलाके में बीजेपी अपना सियासी आधार मजबतू करने में लगी हुई थी, जिसके देखते हुए ममता ने ये दांव चला है. .
24 परगना में मतुआ बोर्ड मुख्यालय
पश्चिम बंगाल की राजनीति में मतुआ समाज काफी अहम माने जाते हैं. पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह तक मतुआ समाज को साधने के लिए उनके बीच दस्तक दे चुके हैं. शाह ने अपने बंगाल दौर के दौरान मतुआ समुदाय के घर भोजन किया था. शाह के दौरे के बाद पहुंची ममता बनर्जी ने नार्थ 24 परगना जिले के ठाकुरनगर में मतुआ बोर्ड का मुख्यालय स्थापित करने का ऐलान किया.
दरअसल, मतुआ समुदाय के लोग पूर्वी पाकिस्तान से आकर बंगाल में बसे हैं. नार्थ 24 परगना जिले के आसपास उनकी बड़ी आबादी है, जिन्हें सीएए-एनआरसी के बहाने बीजेपी साधने में लगी है. ये समुदाय टीएमसी का मजबूत वोट बैंक माना जाता है. ममता को लेफ्ट के खिलाफ माहौल बनाने में मतुआ समाज का समर्थन मिला था. ममता ने मतुआ विकास बोर्ड को 10 करोड़ रुपये देने का भी ऐलान किया.
बिरसा मुंडा के बहाने अदिवासियों पर नजर
बिरसा मुंडा को पश्चिम बंगाल में आदिवासी समुदाय के लोग भगवान की तरह पूजते हैं. यही वजह है कि अमित शाह से लेकर ममता बनर्जी तक बिरसा मुंडा के जरिए बंगाल के आदिवासी समाज को साधने की कोशिश में हैं. अमित शाह ने बंगाल के अपने दौरे पर बिरसा मुंडा की मूर्ति का शिलान्यास किया. वहीं, ममता बनर्जी ने बांकुड़ा पहुंचकर बिरसा मुंडा की जयंती पर सरकारी छुट्टी का ऐलान कर दिया. बीजेपी और टीएमसी दोनों की नजर आदिवासी समुदाय के वोट बैंक पर है, जो कुल आबादी का लगभग 11 फीसदी है.
बता दें कि आदिवासी क्षेत्र में 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी का प्रदर्शन टीएमसी से काफी बेहतर रहा था. टीएमसी को जंगलमहल और नॉर्थ बंगाल में राजनीतिक तौर पर काफी नुकसान हुआ था. इस इलाके में आदिवासियों की संख्या ज्यादा है. पश्चिमी और उत्तर बंगाल में आदिवासियों ने बीजेपी के समर्थन में जमकर वोट किया था. इसीलिए ममता बनर्जी अब आदिवासी समुदाय को साधने में जुटी हैं. इसके लिए ममता ने बाउड़ी कल्चरल बोर्ड के मुख्यालय को बांकुड़ा और बागदी बोर्ड का बर्धमान में करने का ऐलान किया है. इसके साथ ही दोनों बोर्ड को 5-5 करोड़ भी देने की घोषणा की है.
हिंदी भाषियों को साधने का दांव
बंगाल ऐसा राज्य है जहां बड़ी संख्या में यूपी, बिहार, राजस्थान, गुजरात, पंजाब के लोग दशकों से रह रहे हैं. बंगाल इनकी कर्मभूमि बन चुकी है. हिंदी भाषी मतदाता को साधने के लिए ममता बनर्जी ने पार्टी स्तर पर हिंदी प्रकोष्ठ का पुनर्गठन किया और सरकारी स्तर पर हिंदी अकादमी को भी नया रूप दिया. महापर्व छठ पर सरकारी छुट्टी जैसे ऐलान ममता सरकार ने किए हैं, जिन्हें अब प्रमोट करने की रणनीति टीएमसी ने बनाई है. ऐसे में देखना है कि हिंदी भाषी वोटर की पसंद ममता बनती हैं या फिर बीजेपी.