
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की 30 सीटों पर 171 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला गुरुवार को होना है. इस चरण में बीजेपी के उत्थान ने राज्य की सत्ताधारी पार्टी टीएमसी को न केवल कड़ी चुनौती दी है बल्कि ममता बनर्जी के सामने खुद की नंदीग्राम सीट पर जीत दर्ज करने का चैलेंज है. बंगाल के दूसरे चरण में जातीय और धार्मिक समीकरण भी काफी अहम माने जा रहे हैं, क्योंकि सबसे ज्यादा 24 फीसदी अनुसूचित जाति के लोग हैं जो एक तरह से हर चौथा वोटर है. ऐसे में दलित को साधन के लिए टीएमसी और बीजेपी ने हर जतन किए हैं.
बंगाल के दूसरे चरण की 30 सीटों में दक्षिण 24 परगना की चार, पश्चिम मेदिनीपुर की 9, बांकुड़ा की 8 और पूर्व मेदिनीपुर की 9 सीटें शामिल हैं. साल 2016 के विधानसभा चुनाव में इन 30 सीटों में से टीएमसी ने 22 यानी 73 फीसदी सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन साल 2019 के लोकसभा चुनाव में स्थिति पूरी तरह से बदल गई है. बीजेपी ने इन विधानसभा क्षेत्रों में से 18 पर बढ़त हासिल की है, जबकि टीएमसी केवल 12 पर ही बढ़त हासिल कर पाई है. यही वजह है कि दूसरे चरण का चुनाव काफी कांटे भरा मुकाबला माना जा रहा है.
दूसरे चरण का जातीय समीकरण
बंगाल के दूसरे चरण के जातीय और धार्मिक समीकरण को देखते हैं तो सबसे ज्यादा 24 फीसदी अनसूचित जाति है जबकि मुस्लिम समुदाय 13 फीसदी है. इसके अलावा 5 फीसदी अनुसूचित जनजाति के मतदाता हैं. दूसरे चरण की 30 सीटों में से 17 सीटों पर अनूसूचित जाति 20 फीसदी से अधिक है जबकि 3 सीटों पर अनूसूचित जनजाति की संख्या 20 फीसदी से अधिक है.
जंगल महल इलाके के बाउड़ी और बागदी में दलित वोटर काफी बड़ी संख्या में है. ऐसे ही 24 परगना इलाके में एससी समुदाय की तमाम उपजातियां शामिल हैं. वहीं, भले ही दूसरे चरण में 13 फीसदी मुस्लिम हों, लेकिन नंदीग्राम सीट पर 35 फीसदी के करीब हैं. ऐसे में दूसरे चरण की सियासी बाजी भले ही दलितों के हाथ में हो, लेकिन नंदीग्राम सीट पर मुस्लिम वोटर हार जीत तय करने की स्थिति में है.
बंगाल के दूसरे चरण के जातीय समीकरण को देखते हुए बीजेपी और टीएमसी ने तमाम कोशिशें की है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दक्षिण 24 परगना जिले में स्थित तीर्थ स्थल गंगासागर का दौरा किया था, जो हिंदुओं का महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है. गंगासागर के दौरे पर अमित शाह ने वादा किया था कि अगर बीजेपी की सरकार बनेगी, तो गंगासागर को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन सर्किट में शामिल किया जाएगा. बीजेपी ने इसे अपने संकल्प पत्र में भी शामिल किया है. अमित शाह ने काकद्वीप दौरे पर दलित समुदाय के घर में खाना खाया था.
ममता बनर्जी का नए चेहरों पर दांव पर
वहीं, ममता बनर्जी ने एंटी-इनकंबेंसी फैक्टर से मुकाबला करने के लिए नए चेहरों को उतारा है. तीस सीटों में टीएमसी ने 17 नए चेहरे उतारे हैं. बांकुड़ा जिले में होने जा रही आठ सीटों में से ममता बनर्जी की पार्टी ने सात उम्मीदवारों को बदल दिया और नए लोगों को टिकट दिया है. दक्षिण 24 परगना जिले में, जहां टीएमसी ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर बढ़त हासिल की थी, पार्टी ने एक भी उम्मीदवार को नहीं बदला है और 2016 के विधानसभा चुनावों के पुराने चेहरे को बरकरार रखा है.
पूर्व मेदिनीपुर और पश्चिम मेदिनीपुर जिले की 18 सीटों पर इसी चरण में मतदान होगा. टीएमसी ने 18 उम्मीदवारों में से 10 उम्मीदवारों को बदल डाला. ममता बनर्जी ने खुद दूसरे चरण में नंदीग्राम सीट पर उतरकर बीजेपी के सियासी प्रभाव को तोड़ने की रणनीति अपनाई है. वो अपने प्रचार में महिला मतदाताओं पर फोकस कर रही हैं और इस चरण में अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में अधिक महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है.
ममता बनर्जी अपनी सभाओं में राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं जैसे 'द्वारे सरकार' आदि का उल्लेख करती नजर आईं. ममता बनर्जी ने नंदीग्राम सीट पर तीन दिन डेरा जमाकर अपनी सीट ही नहीं बल्कि पूर्व और पश्चिम मेदिनीपुर जिलों में 18 सीटों का समीकरण साधने का दांव चला है. बांकुड़ा जिले में बीजेपी को बढ़त मिलने की संभावना है जबकि दक्षिण 24 परगना जिले में टीएमसी मजबूत स्थिति में नजर आ रही है. पूर्व और पश्चिम मेदिनीपुर जिले में बीजेपी और टीएमसी के बीच कांटे की टक्कर दिख रही है.