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बीजेपी ने दोहराया लोकसभा जैसा प्रदर्शन तो बंगाल में काफी अलग होगी सियासी तस्वीर

पश्चिम बंगाल के चुनावों पर पूरे देश की नजर है. अगले साल के इस सबसे अहम चुनाव में तृणमूल का जादू चलेगा या बीजेपी ममता बनर्जी के किले में सेंध लगाएगी. इस सवाल का जवाब सब जानना चाहते हैं. इसके लिए हाल के बंगाल चुनावों के वोटिंग पैटर्न पर निगाह डालना काफी जरूरी हो जाता है

बंगाल के मिशन पर हैं अमित शाह (PTI) बंगाल के मिशन पर हैं अमित शाह (PTI)
संदीप कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 23 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 11:21 AM IST
  • बीजेपी के दमदार अभियान से रोचक हुई बंगाल की सियासी लड़ाई
  • लेफ्ट और कांग्रेस को पीछे छोड़ बीजेपी फ्रंट सीट पर आई
  • ममता के कई नेता चुनाव से ठीक पहले बीजेपी के खेमे में

नए साल के जश्न के साथ ही देश तैयार हो रहा है साल 2021 के सबसे बड़े सियासी दंगल के लिए. बिहार की रोचक चुनावी जंग के बाद लोगों को अब पूर्वी भारत के मजबूत किले पश्चिम बंगाल में भी रोचक मुकाबले की उम्मीद है. एक तरफ जहां ममता बनर्जी केंद्र की एनडीए सरकार के खिलाफ मजबूती से मोर्चेबंदी में जुटी हैं तो वहीं बीजेपी ममता के किले में एक-एक कर सेंध लगाकर अपनी सेना मजबूत कर रही है. चुनावों की आहट के साथ ही टीएमसी के कई नेता ममता का साथ छोड़कर बीजेपी के खेमे में आ गए हैं जिससे बड़े सियासी उठापटक की अटकलें भी लगनी शुरू हो गई हैं.

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कभी लेफ्ट और कांग्रेस का गढ़ रहा बंगाल पिछले एक दशक से ममता बनर्जी का अभेद्य सियासी किला बना हुआ है लेकिन पिछले 2 साल में बीजेपी ने ममता के इस मजबूत किले में जबरदस्त सेंधमारी की है. पहले पंचायत चुनावों में 500 से अधिक सीटें जीतकर, फिर पिछले लोकसभा चुनाव में 18 सीटों की जीत और अब मजबूत संगठन के जरिए विधानसभा चुनाव के लिए दमदार अभियान बीजेपी को लेकर उम्मीदों को मजबूत करता दिख रहा है.

बंगाल में बीजेपी को लेकर सियासी अटकलें यूं ही नहीं मजबूत हुई हैं. पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों को अगर विधानसभा सीटवार देखा जाए तो बड़े बदलावों के संकेत मिलते हैं. इस चुनाव में बीजेपी ने लेफ्ट और कांग्रेस को पीछे छोड़कर राज्य के सियासी परिदृश्य में खुद को फ्रंट सीट पर काबिज कर लिया. बंगाल का ये वोटिंग पैटर्न राज्य के बदलते सियासी सीन के बारे में काफी कुछ कहता है. वैसे तो लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में मुद्दे और सियासी सीन अलग होते हैं लेकिन राज्य के सबसे लेटेस्ट चुनाव का वोटिंग पैटर्न अहमियत तो रखता ही है.

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कैसे रहे थे लोकसभा चुनाव के बंगाल में नतीजे?
2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य की 42 सीटों में से बीजेपी ने 18 सीटें जीतकर सबको चौंका दिया. बीजेपी को पिछले चुनावों की तुलना में सीधे 16 सीटों का फायदा हुआ, जबकि ममता बनर्जी की टीएमसी 34 से घटकर 22 सीटों पर आ गई. कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें मिलीं और लेफ्ट फ्रंट का तो खाता भी नहीं खुला. बीजेपी को 40.64% फीसदी वोट मिले जबकि टीएमसी को सिर्फ 3 फीसदी ज्यादा. बीजेपी का वोट शेयर 22 फीसदी बढ़ गया इस चुनाव में. वहीं कांग्रेस को सिर्फ 5.67% फीसदी वोट और लेफ्ट को 6.34% फीसदी वोट मिले.

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उसी पैटर्न पर वोट हो तो विधानसभावार क्या होगी स्थिति?
2019 के लोकसभा चुनाव के बंगाल के इस नतीजे को अगर विधानसभा वार देखा जाए तो सियासी सीन काफी अलग नजर आता है. बंगाल की 295 विधानसभा सीटों में से 122 इलाकों में बीजेपी को बढ़त हासिल हुई. वहीं तृणमूल कांग्रेस 164 विधानसभा इलाकों में आगे रही. कांग्रेस 9 विधानसभा सीटों पर बढ़त के साथ दिखी लेकिन लेफ्ट पार्टियों का कहीं भी नामोनिशान नहीं दिखा यानी एक भी सीट ऐसी नहीं थी जहां लेफ्ट को बढ़त मिलती दिखी हो.

किन इलाकों में दिखाया बीजेपी ने दम?
लोकसभा के 2019 के चुनाव में बीजेपी की बंगाल में जीत किसी एक इलाके में सिमटी नहीं रही बल्कि अधिकांश इलाकों में बीजेपी ने दमदार प्रदर्शन किया. खासकर बंगाल के उत्तरी और पश्चिमी इलाकों में जबरदस्त बढ़त साबित की. नॉर्थ बंगाल की 8 में से 7 सीटें बीजेपी के खाते में गईं जबकि एक सीट कांग्रेस के खाते में. यहां तृणमूल का खाता तक नहीं खुला. पश्चिमी इलाकों की 5 से 2 सीटें, राढ़ बंगाल की 8 में 5 सीटें, साउथ बंगाल की 10 में से 3 सीटें जीतने में बीजेपी सफल रही तो गंगा के तराई क्षेत्र की सीटों में हुगली पर भी जीत का परचम लहराया.

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पिछले विधानसभा चुनाव में कौन कितने पानी में रहा था?
पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव के नतीजे काफी अलग रहे थे. 211 सीटों पर तृणमूल कांग्रेस इस चुनाव में जीती थी और ममता बनर्जी दमदार जीत के साथ सत्ता में आई थीं. जबकि कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली थी. लेफ्ट फ्रंट की सीपीएम को 26 सीटों पर जीत मिली थी. और बीजेपी सिर्फ 3 सीटें जीत पाई थी. लेकिन उसके बाद 2018 के पंचायत चुनावों में जबरदस्त चुनावी हिंसा के बीच बीजेपी 500 से ऊपर ग्राम पंचायत सीटें जीतने में कामयाब रही. 2019 के लोकसभा चुनावों में 18 सीटें यानी लोकसभा की लगभग 40 फीसदी सीटें जीतने में कामयाब रही.

बीजेपी के लिए बंगाल क्यों अहम?
देश की सत्ता पर काबिज बीजेपी के लिए बंगाल की जीत काफी अहम है. बंगाल अब एकलौता बड़ा राज्य है पूर्वी भारत का जहां बीजेपी को सत्ता में आना अभी बाकी है. अरुणाचल से लेकर मणिपुर, मेघालय, असम, त्रिपुरा और फिर बिहार की जीत के बाद अब बंगाल में बीजेपी ने पूरी जान झोंक दी है. बीजेपी ने लेफ्ट के गढ़ त्रिपुरा में भी सत्ता पर कब्जा कर असंभव सी सियासी कामयाबी दिखाई थी. इसके बाद बंगाल में विधानसभा चुनाव की लड़ाई में जुटी बीजेपी ने पिछले एक साल में ममता बनर्जी के किले में बड़ी सेंध लगाते हुए एक-एक कर मुकुल रॉय, अर्जुन सिंह, शुभेंदु अधिकारी, शोभन चटर्जी, सौमित्र खान, अनुपम हाजरा, सब्यसाची दत्ता, शीलभद्र दत्त समेत कई बड़े नेताओं को अपने खेमे में कर लिया है.

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1952 से बंगाल के सियासी इतिहास पर एक नजर
बंगाल में एक सियासी शक्ति के चमत्कारी उभार के साथ पुराने दलों का हाशिए पर चले जाने का पुराना इतिहास रहा है. कभी बंगाल कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. 1952 के चुनाव में कांग्रेस ने 238 में से 150 सीटें जीतकर अपनी पैठ बनाई तो सिलसिला 1957, 1962 में भी जारी रहा. लेकिन पहली बार 1967 के चुनाव में कांग्रेस के समर्थन से राज्य में यूनाइटेड फ्रंट की गठबंधन सरकार बनी तो 1969 में बांग्ला कांग्रेस की सरकार चली. 1972 के चुनाव में सिद्धार्थ शंकर रे की अगुवाई में कांग्रेस ने सत्ता में जबरदस्त वापसी की. इस चुनाव में कांग्रेस ने 280 सीटों में से 216 पर जीत हासिल की.

...जब दिखा लेफ्ट का जलवा
1977 के चुनाव में राज्य में सियासी पासा पलट गया. सीपीएम की अगुवाई में लेफ्ट फ्रंट ने 294 सीटों में से 231 जीतकर सत्ता पर कब्जा कर लिया और ज्योति बसु के हाथ में राज्य की कमान आई. 1982 में फिर लेफ्ट पार्टियां 238 सीटों पर विजयी रहीं. 1987, 1991 और 1996 के चुनाव में भी ज्योति बसु का जादू बरकरार रहा. बंगाल में 2001 और 2006 के चुनाव में भी बुद्धदेब भट्टाचार्य की अगुवाई में लेफ्ट की सरकार बनी.

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ममता का सियासी उभार
बंगाल की सियासत में सबसे बड़ा उलटफेर का दौर 2011 के चुनाव में ममता बनर्जी के सियासी उभार के बाद आया. इस चुनाव में तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के गठबंधन ने 294 में से 227 सीटें जीती जबकि लेफ्ट को सिर्फ 62 सीटों पर संतोष करना पड़ा. ममता ने बंगाल की सत्ता संभाली और अगले चुनाव यानी 2016 के चुनाव में दीदी ने अपना किला और मजबूत करते हुए टीएमसी को अकेले दम पर 211 सीटें जिताया. 

 

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