Advertisement

पश्चिम बंगाल: बीजेपी के हिंदुत्व की काट में TMC ने चला 'बंगाली गौरव' का दांव

बीजेपी ने राज्य में पार्टी के चुनाव अभियान का मैनेजमेंट संभालने के लिए अपने आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय को भेजा है तो वहीं तृणमूल कांग्रेस ने शुक्रवार को अपने मंत्री ब्रात्य बसु को मैदान में उतार दिया. ब्रात्य बसु रंगमंच और फिल्म जगत के जानेमाने चेहरे हैं जिनकी बंगाल के सांस्कृतिक जगत में भी काफी प्रतिष्ठा है.

ममता बनर्जी और अमित शाह. ममता बनर्जी और अमित शाह.
इंद्रजीत कुंडू
  • कोलकाता,
  • 21 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 11:39 PM IST
  • चुनाव से पहले TMC और BJP के बीच बयानबाजी तेज
  • TMC की बीजेपी को बाहरी पार्टी बुलाने की रणनीति

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस ने फैसला किया है कि पार्टी 'बंगाली गौरव' का आह्वान करके भाजपा के हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला करेगी. पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी के सुर में सुर मिलाते हुए टीएमसी नेताओं ने भाजपा को बार-बार 'बाहरी' लोगों की पार्टी कहकर हमला करना शुरू कर दिया है.

बीजेपी ने राज्य में पार्टी के चुनाव अभियान का मैनेजमेंट संभालने के लिए अपने आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय को भेजा है तो वहीं तृणमूल कांग्रेस ने शुक्रवार को अपने मंत्री ब्रात्य बसु को मैदान में उतार दिया. ब्रात्य बसु रंगमंच और फिल्म जगत के जानेमाने चेहरे हैं जिनकी बंगाल के सांस्कृतिक जगत में भी काफी प्रतिष्ठा है. उन्होंने सिंगूर और नंदीग्राम की घटनाओं के दिनों में ममता बनर्जी के 'परि वर्तन' का समर्थन किया और सक्रिय राजनीति में शामिल होने का संकल्प लिया था.

Advertisement

मंत्री ब्रात्य बसु ने सवाल उठाते हुए कहा, “बीजेपी ने बंगाल के अपने किसी सांसद को पूर्ण कैबिनेट बर्थ क्यों नहीं दी है? उनका एकमात्र उद्देश्य बंगालियों को नियंत्रित करना है ताकि हम उनके अधीन रहें. क्या हालात इतने खराब हैं कि बंगाल और बंगाली उनके आगे झुक जाएंगे? क्या बंगालियों को दूसरे राज्यों के नेताओं को स्वीकार करना चाहिए जिन्हें हम पर थोपा जाए?”

बसु ने कहा, “क्या वे यूपी या गुजरात में एक भी ऐसा मंत्री बता सकते हैं जिसका सरनेम- चटर्जी, बनर्जी, सेन या गांगुली हो? क्योंकि वे वहां रहने वाले बंगालियों को अपना नहीं मानते! वहां बंगाली बाहरी समझे जाते हैं.”

ममता सरकार के मंत्री बसु ने पूछा, “उत्तर भारतीयों बंगालियों को तब से किनारे करने की कोशिश करते रहे हैं जब से सुभाषचंद्र बोस त्रिपुरी कांग्रेस में हारे थे...वही अब ममता बनर्जी के साथ भी दोहराया जा रहा है. लेकिन वे बोस की ही तरह लड़ रही हैं. बंगाली राष्ट्रवाद के अतीत को कुरेदते हुए बसु ने क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों खुदीराम बोस और बिनॉय-बादल-दिनेश के बलिदानों की भी याद दिलाई.

Advertisement

उन्होंने कहा, “सेल्युलर जेल का नाम सावरकर के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने अंग्रेजों के सामने पांच दया याचिकाएं लिखीं, लेकिन हेमचंद्र कानूनगो, बारिन घोष, उल्लासकर दत्ता के नाम पर क्यों नहीं रखा गया जिन्होंने वर्षों तक यातनाएं सहीं. जब बंगाली क्रांतिकारी इस मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की आहुति दे रहे थे, तब इन बाहरी लोगों के पुरखे अंग्रेजों की ओर से जमीन पर कब्जा कर रहे थे! मुझे यूपी या गुजरात का एक व्यक्ति दिखाओ जो अंग्रेजों के खिलाफ फांसी पर चढ़ गया हो?

पिछले साल कोलकाता में अमित शाह के रोड शो के दौरान ईश्वरचंद्र विद्यासागर की प्रतिमा के अपमान का आरोप लगाते हुए बसु ने कहा कि वह "बाहरी लोगों" द्वारा बंगाल और बंगाली संस्कृति पर हमला हुआ था.

देखें- आजतक LIVE TV

बंगाल में "अंदरूनी बनाम बाहरी" की बहस के बीच राज्य के भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने पलटवार करते हुए कहा, “बीजेपी ने खुद को दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में स्थापित किया है और एक बंगाली डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इस पार्टी की स्थापना की थी. वे (टीएमसी) बंगाली गौरव की बात करते हैं, लेकिन उन्होंने बंगालियों के लिए किया क्या है? टीएमसी ने बंगालियों को प्रवासी मजदूरों में बदल दिया है.”

Advertisement


 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement