Advertisement

बिहार विधानसभा चुनाव

बिहार चुनावः मुजफ्फरपुर के बाद अब औरंगाबाद में भी 'पहले पुल-फिर वोटिंग' की डिमांड

अभिनेश सिंह
  • 30 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 5:31 PM IST
  • 1/6

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के मतदान से पहले बड़ी खबर औरंगाबाद के रफीगंज प्रखंड से है. कजपा पंचायत के पश्चिमी अमरपुरा गांव के ​लोगों ने मतदान बहिष्कार का ऐलान कर दिया है. गांव के लोगों का कहना है कि जब तक पुल और सड़क का निर्माण नहीं कराया जाएगा, तब तक वे मतदान में भाग नहीं लेंगे. इसे लेकर ग्रामीणों ने गांव में प्रदर्शन भी किया. इसके पहले मुजफ्फपुर में ग्रामीणों ने पहले पुल फिर मतदान की बात कही थी. (रिपोर्टः अभिनेश कुमार सिंह)

  • 2/6

ग्रामीणों का कहना है कि सड़क और पुल निर्माण के लिए पूर्व में जिला निर्वाचन पदाधिकारी को ज्ञापन भी दिया जा चुका है. अमरपुरा पश्चिमी के ग्रामीणों ने बताया कि प्रखंड मुख्यालय से अमरपुरा गांव की दूरी लगभग 16 किलोमीटर है. 1500 की आबादी वाले इस गांव को आजादी के 72 वर्ष बाद भी पक्की सड़क से नहीं जोड़ा गया है. 

  • 3/6

गांव के पास मदार नदी भी पड़ती है. इस नदी पर पुल नहीं होने के कारण गांव के सभी लोगों को रेलवे के पुल का प्रयोग करना पड़ता है. इस क्षेत्र के लोगों को रेलवे स्टेशन, लोकल बाजार, प्रखंड, सदर हॉस्पिटल एवं रफीगंज जाने के लिए मादर नदी पार कर जाना पड़ता है. इतना ही नहीं बच्चों के स्कूल भी नदी पार हैं. 

Advertisement
  • 4/6

सबसे बड़ी परेशानी बारिश के दिनों में होती है, जब मदार नदी में पानी आ जाता है, तो रेलवे पुल पर चढ़कर जाना होता है. रेलवे पुल का प्रयोग करने से आए दिन हादसे भी होते रहते हैं, जिनमें अभी तक दर्जनों लोगों की जान जा चुकी है. ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के 72 साल बाद भी अभी तक गांव को न तो सड़क और ना ही पुल मिल सका है. स्कूल आने जाने में भी बच्चों का काफी दिक्कत होती है.

  • 5/6

कई बार जनप्रतिनिधियों को लिखित सूचना दी गई है, लेकिन सरकार द्वारा इस ओर कोई भी ध्यान नहीं दिया गया है. इसलिए सभी ग्रामीणों ने इस बार निर्णय लिया गया है, कि सड़क और पुल नहीं बनेगा, तो चुनाव में मतदान भी नहीं करेंगे. इस बारे में छात्रा श्रीकुमारी ने बताया कि हम लोग खेत की आरी पर चलकर स्कूल आते हैं. कभी कभी फिसलकर कर गिर भी जाते हैं, स्कूल अभी नही खुला है, लेकिन हमलोग स्कूल आकर ग्रुप बनाकर पढ़ते हैं. 

  • 6/6

ग्रामीण नंदकिशोर ने कहा कि जब जनप्रतिनिधियों से कहते कहते थक गए हैं, इसलिए ये तरीका अपनाया है. वहीं गांव के ही रहने वाले श्रीकांत कुमार और उमेश कुमार ने कहा कि नदी के ऊपर पुल नहीं होने के कारण रेलवे के पुल से गुजरते हैं, जो काफी खतरनाक है, इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है.

Advertisement
Advertisement
Advertisement