चुनाव में नेता बड़े-बड़े वादे करते हैं कि मजबूत सड़कें बनाएंगे जो सालों-साल चलेंगी. करोड़ों की लागत से सड़क बनती तो है लेकिन साल भर के बाद वह सड़क अपनी रंगत में लौट आती है. सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे बन जाते हैं. यह हाल है बांका हो कर गुजरने वाली NH333A सड़क का. (इनपुट - प्रियरंजन)
15 करोड़ की लागत से यह सड़क पिछले साल ही बनी थी. यह सड़क जमुई से बांका होते हुए झारखंड के गोड्डा तक जाती है. नक्सली इलाका होने के कारण सरकार से मूलभूत सुविधाओं के लिए फंडिंग की कोई कमी नहीं रहती है. इसका नाजायज फायदा यहां के ठेकेदार और अधिकारी उठाते हैं.
सड़क में अब बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं. इस सड़क पर रोजाना बड़ी गाड़ियां चलती हैं लेकिन गाड़ी कब कहां पलट जाए कोई नहीं कह सकता. अपनी गाड़ी बचाने के लिए ड्राइवर ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं.
अभी 15 दिन की ही रिपोर्ट पर अगर बात करें तो 2 अक्टूबर को बांका के झिरवा गांव के पास एक रिक्शा पलट गया था. जिसमें एक महिला गंभीर रूप से घायल हो गई थी. 4 अक्टूबर को कटोरिया में दो घंटे तक जाम लगा था.
जरा सी बरसात होती नहीं है कि जगह-जगह ट्रक और बस गड्ढे में फंसे मिल जाएंगे. हालांकि खानापूर्ति के नाम पर गड्ढों में मैटेरियल डाले गए हैं, लेकिन बस एक बरसात की बात है फिर से गड्ढों में सड़क आ जाएगी.