बिहार में चुनाव से पहले न जाने कैसे-कैसे घपले घोटाले सामने आएंगे. अब सारण के परसा प्रखंड में मनरेगा जॉब कार्ड बनाकर करोड़ों रुपयों की राशि गबन का मामला सामने आया है. स्थानीय मुखिया, मनरेगा PO, बैंक CSP की मिलीभगत से बिना ग्रामीणों की जानकारी के उनके नाम का जॉब कार्ड बनाकर रुपये हड़पे जा रहे हैं. आरोप ये लगाया गया है कि इन जॉब कार्ड पर जिन लोगों के नाम हैं, वो दिव्यांग हैं, मृत है या फिर सरकारी सेवक हैं. उनके खाते में राशि जा भी नहीं रही है. (रिपोर्टः आलोक कुमार जायसवाल)
इस मामले की शिकायत करने वाले आलोक कुमार कई जगहों पर अपनी अर्जी और दस्तावेज लेकर पहुंचे कि शायद कहीं सुनवाई हो जाए लेकिन किसी के कान में जूं तक नहीं रेंगी. पिछले वर्ष 14 नवंबर को शिकायतकर्ता आलोक ने मनरेगा घोटाले की जांच कराने के लिए सारण के जिलाधिकारी को आवेदन के साथ सबूतों की कॉपी दी थी, जिसपर जिलाधिकारी सारण ने उप विकास आयुक्त की टीम बनाकर इस मामले की जांच करने का आदेश दिया था लेकिन जांच आगे नहीं बढ़ी.
शिकायतकर्ता ने फिर 3 जनवरी 2020 को सारण के प्रमंडलीय आयुक्त को इस संबंध में आवेदन दिया. लेकिन इतने दिन बीतने के बाद भी स्थानीय प्रशासन द्वारा कोई भी जांच और कार्रवाई नहीं की.
शिकायतकर्ता आलोक अब प्रशासन के इस रवैये से परेशान होकर अब हाईकोर्ट जाने का मन बना रहा है. आलोक के अनुसार इस घोटाले में कुल 166,678 मजदूरों को कुल रकम 5,37,41,340 रुपयों का भुगतान फर्जी तरीके से जॉब कार्ड बनाकर किया गया है. जबकि इसमें से कई दिव्यांग, मृत या सरकारी सेवक हैं.
आलोक का आरोप है कि इस घोटाले में मरे हुए व्यक्ति के नाम पर भी जॉब कार्ड बनाकर राशि का भुगतान किया गया है. स्कूल के दो रसोईयों के नाम से भी जॉब कार्ड बनाकर मनरेगा की मजदूरी का भुगतान किया गया है. शारीरिक रूप से चलने फिरने में असमर्थ दिव्यांग व्यक्ति के नाम पर भी जॉब कार्ड बनाकर भुगतान किया गया है. एक ही व्यक्ति का दो पंचायतों में नाम दर्ज कराकर राशि का भुगतान किया गया है.
एक ही व्यक्ति को एक ही तारीख में 2-2 जगह मजदूरी करते हुए दिखाकर भुगतान किया गया है. घोटालेबाज़ों को जब इस घोटाले की खोज खबर की जानकारी हुई तो सरकारी पोर्टल से ही सारा डाटा डिलीट कर दिया गया. लेकिन शिकायतकर्त्ता ने पहले ही सभी एंट्रीज का प्रिंटआउट निकाल लिया था.