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बिहार: दुर्गा पूजा पर कोरोना का ग्रहण, मूर्तिकारों के सामने खड़ा हो गया बड़ा संकट

aajtak.in
  • 05 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 6:19 PM IST
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बिहार में धूमधाम से मनाया जाने वाले दुर्गा पूजन महोत्सव पर इस वर्ष कोरोना का ग्रहण लग गया है. प्रशासन ने मां दुर्गा की मूर्ति चौक, चौराहों पर स्थापना के लिए रोक लगा दी है. ऐसे में बड़ी आफत उन शिल्पकारों पर टूट पड़ी है, जिनके पास अब मूर्तियां बनाने के ऑर्डर ही नहीं हैं. मूर्तिया बना भी लें, तो उनकी बिक्री कहा करेंगे.

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कोविड 19 महामारी का असर दुर्गा पूजा पर भी देखने को मिल रहा है. इस बार प्रशासन ने चौक और चौराहों पर मूर्ति स्थापना करने पर रोक लगा दी है. प्रशासन की इस रोक से श्रद्धालुओं में तो निराशा है ही, इसके साथ ही सबसे अधिक परेशान मां दुर्गा की मूर्तियां बनाने वाले शिल्पकार हैं. 

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प्रशासन ने सिर्फ कलश स्थापना की अनु​मति दी है, जिसके बाद मूर्तिकारों ने कुछ ही मूर्तियां बनाकर काम बंद कर दिया है. सालभर से इस आयोजन का इंतजार देखने वाले मूर्तिकारों के सामने अब रोजी रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है, क्योंकि इन मूर्तिकारों को मूर्ति बनाने के जो ऑर्डर मिले भी थे, वो अब कैंसिल हो रहे हैं.
 

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पटना के बिक्रम प्रखंड के अख्तियारपुर, नगहर, मंझौली गांव के पास बड़ी संख्या में मूर्तियां बनाने का काम होता है. कहा ये जा सकता है कि यहां के लोगों का मुख्य रोजगार मूर्तियां बनाना ही है. यहां के मूर्तिकारों का कहना है कि लॉकडाउन के चलते पहले ही काम धंधा चौपट हो गया. दुर्गा पूजा से कुछ उम्मीद थी, लेकिन अब वो भी खत्म हो गई. अख्तियारपुर गांव के रहने वाले मूर्तिकार अनुरुद्ध पंडित व शिव नंदन पंडित ने कहा कि दुर्गा पूजा के लिए पूजा कमेटी से मूर्ति बनाने के लिए ऑर्डर और एडवांस मिला था, लेकिन प्रशासन के आदेश के बाद पूजा कमेटी ने मूर्ति बनावाने से इंकार कर दिया. मूर्ति बनाने का काम आधा  कर लिया, ऐसे में कहां से कमेटी वालों का पैसा देंगे. 

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मूर्तिकार अनुरुद्ध पंडित ने बताया कि बचपन से मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं. हर वर्ष 8 से 10 बड़ी दुर्गा मां की मूर्तियां बनाने के ऑर्डर मिल जाते थे, लेकिन इस बार महज दो से तीन मूर्तियों के सेट बनाए गए हैं, बाकी के ऑर्डर कैंसिल हो गए. पिछले 60 सालों में ऐसा समय पहली बार देखने को मिला है, जब दुर्गा पूजा के समय भी काम नहीं है. दुर्गा पूजा पर होने वाली कमाई से सालभर परिवार के पालन पोषण की व्यवस्था हो जाती थी, लेकिन अब न जाने क्या होगा. पता नहीं कर्ज से कैसे उबर सकूंगा.

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