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बिहार विधानसभा चुनाव

Patna: नेताओं पर फूटा बुनकरों का गुस्सा, कहा- जीतने पर सिर्फ अपनी किस्मत बदलते हैं

aajtak.in
  • 10 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 12:29 AM IST
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जनता तो नेता पर बार-बार विश्वास करती है लेकिन नेता जनता के उसी विश्वास को तोड़ देते हैं. ऐसा ही मामला पटना के पालीगंज से आया है. जहां बुनकरों ने बार-बार नेताओं की झूठे वादों के बाद मिले धोखे के प्रति अपना गुस्सा जताया है. उनका कहना है कि नेता आते हैं. बोलते हैं कि हम को वोट दो हम किस्मत बदल देंगे. जीतने के बाद वह अपनी किस्मत बदल लेते हैं. इस बार बुनकरों ने मन बना लिया है कि हमारी समस्या खत्म हो या न हो लेकिन इस चुनाव में हम झूठे वादे करने वाले नेताओं को सबक जरूर सिखा देंगे. (इनपुटः मनोज कुमार)

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पटना के पालीगंज अनुमंडल के सिगोरी थाना के बुनकर पिछले कई चुनाव में नेताओं के इस आश्वासन पर वोट देते रहे कि जब मैं चुनाव जीतकर आऊंगा तो यहां के बुनकरों की सारी समस्या को जड़ से खत्म कर दूंगा. नेता चुनाव जीत भी जाते हैं लेकिन यहां के बुनकरों की समस्या जस की तस बनी हुई है. 
 

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बुनकर जाकिर अनवर बताते हैं कि हम लोगों को हैंडलूम का रोजगार विरासत में मिला था. आज इसकी स्थिति बहुत दयनीय है. नेता आश्वासन देकर चले जाते हैं, उसके बाद फिर कोई पूछने वाला नहीं होता है. हमने बचपन में देखा है की यहां 2000 के आसपास हैंडलूम चलते थे, लेकिन स्थिति यह है कि अब आंकड़ा 300 पर आकर रुक गया है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी यहां आए थे कई घोषणा भी की थीं लेकिन बुनकरों को कोई फायदा नहीं हुआ. चुनाव में नेता लोग आते हैं आश्वासन देकर चले जाते हैं. हमारी समस्या जस की तस बनी रहती है. 

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परवेज आलम अपनी दर्द बताते हुए कहते हैं कि लॉकडाउन में सारा काम ठप हो गया है. सरकार तो चुनाव के समय आएगी. कहेगी ऐसे करेंगे, वैसे करेंगे. चुनाव के बाद सब सरकारें भूल जाती हैं. कोई देखने वाला नहीं है. सरकार के द्वारा चादर भी बनवाया गया था. उसका भी हम लोगों को पैसा नहीं मिला. खाली सरकार घोषणा करती है. सुविधा नहीं मिलती. जनता वहीं की वहीं रह जाती है. इस बार हम किसी को वोट नहीं देंगे. 

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सलीम खातून बताती हैं कि हम लोग पेट पालने के लिए मजदूरी करते हैं. सरकार की तरफ से कुछ नहीं मिलता. न सरकार, न ही पंचायत, न ही मुखिया कोई कुछ नहीं देता. कुछ भी नहीं मिलता है. इस बार हम किसी को वोट नहीं देंगे.

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चुनावी बयार में नेताओं के द्वारा किए गए वादे तो आम बात हैं, यहां के बुनकरों को तो बस काम होने से मतलब है. अब देखना होगा कि नेताओं के द्वारा फिर इस चुनाव में किए गए वादे पूरा होंगे या फिर इन बुनकरों को नेताओं के किए गए वादे पर ही संतोष करना पड़ेगा. 

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