बिहार में चुनाव की गहमागहमी शुरू हो गई है. इतने बड़े पैमाने पर चुनाव कराने के लिए कई सारे कर्मचारियों की भी जरूरत पड़ेगी. इस बार तो ज्यादा मतदान कर्मियों की जरूरत है क्योंकि कोरोना की वजह से सोशल डिस्टेंसिंग आदि का ख्याल जो रखना है. मुद्दा ये है कि चुनाव की ड्यूटी पर न जाना पड़े इसके लिए लोग कई तरह के बहाने बना रहे हैं. इस समय सबसे बेहतरीन बहाना चल रहा है कोरोना वायरस का. मतदान कर्मी ड्यूटी से बचने के लिए कह रहे हैं कि वो कोरोना वायरस से संक्रमित हैं. इनमें महिला कर्मचारियों की संख्या ज्यादा है.
मधेपुरा जिले में मतदान कर्मियों की प्रखंडवार लिस्ट तैयार की गई है. चुनाव आयोग के कार्यालय के मुताबिक करीब दो दर्जन कर्मचारियों ने कई तरह की बीमारियों का बहाना बनाया है. इसमें से कई ऐसे है जिन्होंने कोरोना पॉजिटिव होने की बात तक कही है. साथ ही निवेदन किया है कि उन्हें चुनावी ड्यूटी से दूर रखा जाए.
मधेपुरा जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों में इस बार 1285 मुख्य और 584 सहायक मतदान केंद्र बनाए गए हैं. इन केंद्रों पर साढ़े सात हजार से ज्यादा कर्मचारियों की जरूरत होगी. कोरोना के चक्कर में इस बार चुनाव में ज्यादा कर्मचारियों की जरूरत है. मुख्य वजह ये है कि 80 साल से अधिक उम्र के मतदाताओं को सुविधाएं देनी हैं.
इसके अलावा कोरोना संक्रमित मरीजों को घर पर ही मतदान की सुविधा देने की बात चल रही है. इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था का भी ध्यान रखना है. जिला प्रशासन की माने तो कोरोना संक्रमित व अन्य गंभीर बीमारियों में डॉक्टर की ओर से पुष्टि करने के बाद ड्यूटी की लिस्ट से नाम हटाने का प्रावधान है. लेकिन कर्मचारी मेडिकल जांच प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही बीमारी का आवेदन दे चुके हैं.
मधेपुरा के एक निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि चुनाव में हर बार ज्यादा कर्मचारियों की जरुरत होती है. कोरोना संकट को देखते हुए इस बार ज्यादा एहतियात बरतना पड़ेगा. इसलिए हमें ज्यादा लोगों की जरूरत पड़ने वाली है. लेकिन चुनाव ड्यूटी से पहले ही लोग छुट्टी का आवेदन दे रहे हैं. मतदान कर्मियों के मेडिकल के आधार पर ही छुट्टी देने का फैसला लिया जाएगा.