
बिहार में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो गई है, अब दस नवंबर को नतीजों का इंतजार है. बिहार की अगिआंव विधानसभा सीट पर इस बार 28 अक्टूबर को वोट डाले गए, यहां कुल 52.08 फीसदी मतदान हुआ.
बिहार में कई ऐसी विधानसभा सीटें हैं जो पिछले दस साल में ही अस्तित्व में आई हैं. इन्हीं में से एक विधानसभा सीट है अगिआंव. यहां 2010 में पहली बार चुनाव हुए थे. भोजपुर जिले के ये एक मात्र सुरक्षित सीट है. मौजूदा वक्त में ये सीट जनता दल यूनाइटेड के पास है. ऐसे में राष्ट्रीय जनता दल की अगुवाई में महागठबंधन के लिए इस सीट पर जीत हासिल करना आसान नहीं होगा.
कौन है उम्मीदवार?
• प्रभुनाथ प्रसाद – जदयू
• मनुराम राठौर – रालोसपा
• राजेश्वर पासवान – लोजपा
• मनोज मंजिल – सीपीआई (एमएल)
मतदान की तिथि – पहला चरण, 28 अक्टूबर
क्या है इस सीट का इतिहास?
भोजपुर जिले की एक मात्र अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट अगिआंव आरा लोकसभा क्षेत्र में आती है. 2008 में बिहार में परिसीमन हुआ था, जिसके बाद ये सीट बनी थी. 2010 में यहां पहली बार चुनाव हुए और भारतीय जनता पार्टी को जीत हासिल हुई, उसके बाद 2015 के चुनाव में जदयू ने जीत दर्ज की. पिछले चुनाव में जदयू, राजद के साथ थी. लेकिन अब इस सीट को एनडीए की खाते में ही माना जाएगा.
क्या है जातीय समीकरण?
इस सीट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के बड़े समर्थक माने जाते हैं. ये इलाका नक्सली इलाके में गिना जाता था. अगर वोटरों की संख्या को देखें तो यहां करीब पौने तीन लाख वोटर हैं. जबकि 300 के करीब पोलिंग बूथ है. अगिआंव की अलग सीट बनने से पहले ये जगह सहार विधानसभा के रूप में जानी जाती रही है. यहां दस फीसदी से अधिक वोटर अनुसूचित जाति के ही हैं.
2015 में क्या रहे थे नतीजे?
पिछले विधानसभा चुनाव में यहां पर जदयू-राजद गठबंधन की जीत हुई थी. ये सीट जदयू के खाते में गई थी, जहां प्रभुनाथ प्रसाद को जीत मिली थी. जदयू को यहां कुल 52276 वोट मिले थे, जबकि भारतीय जनता पार्टी की ओर से शिवेश कुमार को कुल 37 हजार के करीब वोट मिले थे. 2010 में शिवेश कुमार ही यहां से चुनाव जीते थे.
स्थानीय विधायक के बारे में
अगिआंव विधानसभा सीट से अभी जदयू के प्रभुनाथ प्रसाद विधायक हैं. इसी इलाके के देवड़ी गांव से आने वाले प्रभुनाथ प्रसाद चुनाव लड़ने से पहले सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर ही काम करते रहे हैं. हलफनामे के मुताबिक, उनकी कुल संपत्ति एक करोड़ के करीब है. प्रभुनाथ प्रसाद पर कोई क्रिमिनल केस नहीं है.